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Updated: 18 अक्टूबर, 2016 08:05 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
  @ashok.upadhyay.12
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उत्तर प्रदेश में 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को छोड़ कर बाकी सभी पार्टियों का ध्यान खासतौर से लगभग 19% मुस्लिम वोट साधने पर लगा हुआ है. इसी क्रम में बहुजन समाजपार्टी प्रमुख मायावती ने कांशीराम की पुण्य तिथि पर मुसलमानों को जातीय समीकरण समझाकर उनसे वोट मांगा. बसपा प्रमुख ने बताया कि सपा और कांग्रेस को वोट देने से बीजेपी को फायदा होगा. मुसलमानों की मानसिकता से वाकिफ, मायावती ने उनको भाजपा का डर दिखाते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव की तरह वोट बंटने न दें.

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 मुस्लिम मतदाताओं को प्रभावित करने में जुट गईं हैं मायावती

पर क्या उत्तर प्रदेश के मुसलमान बसपा को वोट देंगे? क्या अब तक दलित कार्ड खेलती आई बसपा, सपा के पारंपरिक मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगा पायेगी? क्या सपा का MY- यानि की मुस्लिम यादव समीकरण टूटकर बसपा का नया डीएम समीकरण DM - दलित मुसलमान - बनेगा?

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मुस्लिम मतदाताओं का रुख बसपा की तरफ करने के लिए मायावती जी जान से जुटी हुई हैं. उनके इस दिशा में किए जा रहे कुछ प्रयास ये हैं:

कमजोर सपा भाजपा से नहीं लड़ सकती

5 वर्षों से सत्ता में रहने के कारण पहले से एंटी इंकमबेंसी यानि की सत्ताविरोधी लहर झेल रही समाजवादी पार्टी की पारिवारिक लड़ाई सड़क पर आ गई है. इसके कारण आज सपा कमजोर हो गई है. बसपा अल्पसंख्यकों को ये समझाने में लगी हुई है कि सपा भाजपा का सामना करने की स्थिति में नहीं है और ये काम बसपा बेहतर ढंग से कर सकती है. इसी क्रम में मायावती ने आगरा, आजमगढ़, सहारनपुर, इलाहाबाद और लखनऊ, जहां मुसलमानों एवं दलितों की अच्छी तादात है, रैली की. इन रैलियों में मुसलमानों और दलितों को मिल कर भाजपा से लड़ने का आह्वान किया गया.

मोदी एवं भाजपा पे हमला करने में सबसे आगे

जुलाई में मायावती ने पार्लियामेंट में मध्य प्रदेश में गोमांस की अफवाहों पर दो मुस्लिम महिलाओं की पिटाई का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया. वो भाजपा पे वार करने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं चाहे मुद्दा सर्जिकल स्ट्राइक का हो, प्रधान मंत्री का लखनऊ में दशहरा रैली करने का मामला हो या रैली में मोदी के द्वारा जय श्री राम बोलने का मुद्दा हो.

सपा की भाजपा से नजदीकियों को उजागर करना

बसपा के सूत्रों के अनुसार पार्टी ने सपा की भाजपा से नजदीकियों को उजागर करने के लिए एक डोसियर तैयार किया है. जैसे बिहार चुनाव के समय सपा ने राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाईटेड महा गठबंधन को बीच में ही छोड़ दिया जिससे भाजपा को फायदा हुआ. पार्टी के महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी आरोप लगाते हैं की सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव का जड़ जन संघ दिनों से ही संघ से जुड़ा हुआ है.

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लगभग 100 मुसलमानों को टिकट

बसपा ने अल्पसंख्यक वोट को अपने तरफ करने के लिए लगभग 100  मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट देने के निर्णय किया है. वहीं पार्टी में दो मुस्लिम नेताओं नसीमुद्दीन सिद्दीकी और मुनकद अली को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई है.

भाजपा से गठबंधन ना करने का वादा

मायावती ने तीन बार सत्ता में आने के लिया भाजपा के साथ गठबंधन किया है और सपा मुसलमानो को कह रही है की वो ऐसा चौथी बार भी कर सकती हैं. परंतु मायावती लोगों से कह रहीं हैं की वो सपा के इस तरह के दुष्प्रचार से बचें. उनके अनुसार सपा ऐसा सिर्फ मुस्लिम वोटों के लिए कर रही हैं.

मुस्लमान विधायकों को पार्टी में शामिल कराना

हालांकि अभी बड़ी संख्या में बसपा के नेताओं का दूसरी पार्टियों में पलायन हो रहा है पर साथ ही साथ विपक्ष के 4 विधायक बसपा में शामिल हुए हैं. ये हैं नवाब काज़िम अली खान, दिलनवाज़ खान, नवाज़िश आलम खान और मोहम्मद मुस्लिम खान. बसपा को लगता है कि इससे मुसलमानों को अपनी तरफ लाने में मदद मिलेगी.

मुसलमानों के सपा से मोहभंग का लाभ उठाना

मुजफ्फरनगर और दादरी के बिसाहड़ा में हुई हत्या के बाद से समाजवादी पार्टी सरकार की मुसलमानों में लोकप्रियता घटी है. उनको लगता है की जिस तरह से राज्य में मुसलमानों के साथ हो रही छोटी-बड़ी घटनाओं पर सरकार ने वो किरदार अदा नहीं किया जो उसको करना चाहिए था. अखलाक की हत्या के आरोपी रवि को अखिलेश सरकार ने 25 लाख का मुआवजा दिया. इससे भी मुस्लिम समुदाय में काफी क्षोभ है. बसपा उसका पूरा फायदा उठाने के लिए  पार्टी  बड़े दो मुस्लिम नेताओं नसीमुद्दीन सिद्दीकी और मुनकद अली को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी हैं.

मायावती को लगता है कि 21-22 फीसदी दलित और 19 फीसदी मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा उन्हें मिल जाए तो वह पांचवीं बार सीएम बन सकती हैं.  पर क्या उत्तर प्रदेश के मुसलमान उनपे मेहरबान होंगे? इसका जबाब तो समय ही देगा पर बहनजी इस प्रयास में जी जान से जुटी हुई हैं.

लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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