कहानी लालू के घर की - 'सास, बहू और सियासत'
लालू प्रसाद के परिवार में आई बहू के राजनीति में एंट्री पर पटना में इन दिनों खूब चर्चा हो रही है. आरजेडी की स्थापना दिवस समारोह के दरम्यान तो ऐश्वर्या राय के सारण सीट से मैदान में उतरने तक की बातें होने लगीं.
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सियासी मंचों से इतर जब तब हाथ में बांसुरी लिए अवतरित होने वाले तेज प्रताप यादव का वो पोस्टर तो देखा ही होगा - रूद्रा : द अवतार. ध्यान उस बात पर भी गया ही होगा जो पोस्टर में नीचे लिखा हुआ था - 'कमिंग सून'. बताते हैं अपनी आने वाली फिल्म खातिर तेज प्रताप इन दिनों जिम में खूब पसीना बहा रहे हैं.
तेज प्रताप वाले पोस्टर से मिलते जुलते रंग में ही हाल में पटना में आरजेडी के स्थापना दिवस के कुछ पोस्टर देखे गये. इस पोस्टर में तेज प्रताप तो नहीं लेकिन उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय की फोटो जरूर लगी थी.
जहां तक तेज प्रताप का सवाल है - उनका नाम तो स्थापना दिवस के आमंत्रण पत्र और प्रेस रिलीज से भी गायब था. फिर भी तेज प्रताप स्थापना दिवस कार्यक्रम में छाये रहे. कुछ तो तेज प्रताप को मुहैया कराया गया था, कुछ मैदान तो उन्होंने खुद ही लूट लिये.
लोग कहते हैं - 'जोरू का गुलाम'
कुछ ही दिन पहले तेज प्रताप के एक पोस्ट को लेकर खासा बवाल भी हुआ था जिसमें उन्होंने राजनीति छोड़ कर संन्यास लेने की बात कही थी. आरजेडी के कई सीनियर नेताओं को खरी खोटी सुनाते हुए तेज प्रताप ने नाराजगी जतायी थी कि उन्हें 'जोरू का गुलाम' कहा जाने लगा है. हालांकि, बाद में तेज प्रताप ने खुद ही फेसबुक पर दोबारा पोस्ट लिख कर सफाई दी थी कि उनका अकाउंट हैक हो गया था. वैसे तेज को शायद ही इस बात में कोई दिलचस्पी रही होगी कि लोग उनके हैक हुए अकाउंट वाले पोस्ट को गंभीरता से लिया या फिर सफाई वाले पोस्ट को.
सब कुछ क्यों संभालना चाहते हैं तेज प्रताप
सवाल ये है कि क्या तेज प्रताप के बात-व्यवहार में शादी के बाद कोई फर्क आया है? सवाल ये भी है कि क्या क्या बहू के आने के बाद लालू के परिवार में कोई प्रभाव देखा गया है?ये सवाल शायद ही उठते अगर खुद तेज प्रताप की फेसबुक पोस्ट नहीं आयी होती. भले ही वो अकाउंट होने के चलते ही क्यों न हुआ हो.
सवाल उठने की एक वजह और भी है - ऐश्वर्या राय के राजनीति में आने को लेकर छिड़ी चर्चा. ऐश्वर्या राय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती ओर पूर्व मंत्री चंद्रिका राय की बेटी हैं. जब से आरजेडी के पोस्टर में ऐश्वर्या का फोटो आया है उनके चुनाव लड़ने की भी चर्चा छिड़ी हुई है. लालू परिवार के विरोधियों की ओर से तो ऐश्वर्या के आने से परिवार में फूट पड़ने की बात आगे बढ़ाने की कोशिश पूरी हो रही है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर दोनों भाई मिल कर सब संभालते नजर आ रहे हैं.
राबड़ी देवी ने जरूर कहा था कि बहू तो घर की लक्ष्मी है, लेकिन बहू के आने का असर घर से बाहर भी दिखने लगा है. सत्ता के गलियारों में तो लोग दबी जबान पूछ तो रहे ही हैं - बहू आने के बाद कमाल दिखा रही है या आने का मकसद ही यही था? एक पूछता है तो दूसरा दलील भी दे देता है - अगर मकसद तय नहीं होता तो मिरांडा हाउस की पढ़ी लिखी लड़की ऐसा जीवनसाथी क्यों चुनती भला!
सारण से संभावित उम्मीदवार
क्या ऐश्वर्या राय आरजेडी के टिकट पर 2019 का चुनाव लड़ेंगी? और अगर लड़ेंगी तो क्या सारण से ही चुनाव लड़ेंगी?
आरजेडी की ओर से अभी तक इस बारे में कोई भी आधिकारिक जानकारी खंडन के रूप में ही ये बात सामने आ रही है. ये बात अलग है कि ऑफ द रिकॉर्ड सारे के सारे ये सवाल सुन कर मुस्कुरा रहे हैं.
फिर भी दीवारों के भी कान तो होते ही हैं. ऐसी दीवारों का ही कहना है कि 2019 में ऐश्वर्या सारण से आरजेडी उम्मीदवार होने जा रही हैं.
बिहार की सारण लोक सभा सीट वही है जहां 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हार का मुंह देखना पड़ा था. ये वही सारण सीट है जिसका चारा घोटाले में सजा के बाद अयोग्य ठहराये जाने तक लालू प्रसाद लोक सभा में प्रतिनिधित्व करते रहे. 2014 की मोदी लहर में राजीव प्रताप रूडी ने राबड़ी देवी को हराया था.
ऐश्वर्या के चुनाव लड़ने की चर्चा जोर पकड़ी है आरजेडी के स्थापना दिवस समारोह के दौरान. हालांकि, स्थापना दिवस समारोह में न तो लालू प्रसाद रहे, न ऐश्वर्या राय और न ही राबड़ी देवी.
तेज के पीछे कौन?
तेज प्रताप ने कहा भी, "आदरणीय लालू प्रसाद जी आज भी हमारे ही बीच में हैं, हम उनकी ही टोन में बोल रहे हैं, तो फिर आप लोग काहे को बोलते हो कि वह हमारे बीच में नहीं हैं."
बाकी बातों के अलावा स्थापना दिवस समारोह में दोनों भाइयों का जोर इसी बात पर रहा कि उनके बीच कोई मनमुटाव नहीं है - और ये सब संघ और बीजेपी जैसे विरोधियों की करतूत है.
हम सब एक हैं?
22 साल पहले जब लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना की थी, तब तेजप्रताप की उम्र महज सात थी. 29 साल के होते होते तेज प्रताप खुद को सबसे सीनियर घोषित कर रहे हैं - "देखते नहीं यहां इतने सीनियर-सीनियर लोग बैठे हैं. सबसे सीनियर तो मैं हूं."
राम चंद्र पूर्वे और अब्दुल बारी सिद्दीकी के साथ साथ सारे सीनियर नेता तेज प्रताप की बातें चुपचाप सुने जा रहे थे. आखिर सुनते नहीं तो और क्या करते भला. जब कोई आपस में धीमे से भी कुछ बोलता तेज प्रताप गुस्से में आग बबूला भी हो रहे थे, "क्या खुसुर-फुसुर कर रहे हो? बोलने क्यों नहीं देते?"
आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष राम चंद्र पूर्वे तो लगता है खास तौर पर तेज प्रताप के निशाने पर रहे, बोलते बोलते तेज प्रताप ये भी बता गये कि तेजस्वी दिल्ली चला जाएगा तो वो पार्टी को खुद संभालेंगे.
स्थापना दिवस के मौके पर तेज और तेजस्वी दोनों ने इतनी बार एकजुट होने की बात दोहरायी कि यूं ही कोई भी शख्स शक कर बैठेगा. आखिर दो सगे भाइयों को बार बार साथ होने की दुहाई क्यों देनी पड़ रही है? लालू प्रसाद कानूनी पचड़े में फंसे हुए हैं और राबड़ी देवी जैसे तैसे घर संभालने की कोशिश कर रही हैं. लालू को कुछ बोलते भी नहीं बन रहा क्योंकि जमानत की एक शर्त ये भी है कि वो मीडिया में कुछ नहीं बोलेंगे.
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