Women coolie: रेल मंत्रालय तो गलत है ही, शशि थरूर भी चूक गए
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day ) से पहले रेल मंत्रालय (Railway Ministry) ने महिला कुलियों की तस्वीर ट्वीट करके गलत काम किया. रेल मंत्रालय के उस ट्वीट करके जो कुछ कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेताओं में शुमार शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने लिखा है वो भी कम शर्मनाक नहीं है.
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8 मार्च 2020 यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day). पूरी दुनिया की तर्ज पर भारत में भी तैयारियां अपने अंतिम पड़ाव पर हैं. देश के प्रधानमंत्री (PrimeMinister) पहले ही कह चुके हैं कि इस दिन वो अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स का एक्सेस उन महिलाओं को देंगे जिनका जीवन और काम करने का तरीका हमें प्रभावित करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का मानना है कि इस पहल से देश के लाखों लोग प्रेरित होंगे. प्रधानमंत्री के इस ट्वीट के बाद उनका पूरा मंत्रिमंडल देश की महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति सजग हो गया है. पीएम की इस पहल पर औरों से दो हाथ आगे निकलते हुए रेल मंत्रालय (Rail Ministry) ने एक तस्वीर ट्वीट की और एक नई बहस को पंख दे दिए. बीते दिनों रेल मंत्रालय ने 'भारतीय रेलवे के लिए काम करते हुए, इन महिला कुलियों ने साबित कर दिया है कि वो किसी से कम नहीं हैं !! हम उन्हें सेल्यूट करते हैं'. इस कैप्शन के साथ अलग अलग स्टेशन पर काम करने वाली महिला कुलियों (Women Coolie) की तस्वीर साझा की और आलोचकों के निशाने पर आ गया.
महिला कुलियों की तस्वीर ट्वीट करके रेल मंत्रालय ने एक नई बहस का आगाज कर दिया है
बता दें की रेल मंत्रालय के इस ट्वीट को 3 हजार रीट्वीट मिल चुके हैं और 18,500 लोगों ने इस तस्वीर को पसंद किया है. 2000 के आस पास लोगों ने रेल मंत्रालय के इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी है और जैसा देश के आम लोगों का रवैया है, साफ़ पता चल रहा है कि एक बड़ी आबादी ऐसी है जिन्हें रेलवे का ये अंदाज बिलकुल भी पसंद नहीं आया है.
Working for Indian Railways, these lady coolies have proved that they are second to none !!
We salute them !! pic.twitter.com/UDoGATVwUZ
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) March 4, 2020
हो सकता है कि रेल मंत्रालय अपने इस ट्वीट के बाद खुद पर गर्व कर रहा हो. मगर इसने उस बहस को आगे बढ़ाया है जिसमें बंद हवादार कमरों में महिला सशक्तिकरण की बातें तो खूब होती हैं. लेकिन जिनकी जमीनी हकीकत कहीं से भी सुखद नहीं है. एक ऐसे वक़्त में जब खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अलग अलग मंचों से 'बेटी पढ़ाओ- बेटी बचाओ' के नारे लगवा रहे हों. रेल मंत्रालय का इस तस्वीर को ट्वीट करना बताता है कि देश की बेटी लगातार गर्त के अंधेरों में जा रही है और न सिर्फ बल्कि देश की सरकार भी तमाशबीन बन सब कुछ चुपचाप खड़े देख रही है. रेल मंत्रालय द्वारा पोस्ट की गई ये तस्वीर खुद इस बात का आभास करा रही है कि आजादी के 70 सालों बाद जब हम न्यू इंडिया की बातें कर रहे हों देश में ज्यादा कुछ नहीं बदला है.
You are promoting occupational health hazards and glorifying it on helpless hard working women of this country.
— Arjun (@comradarjun) March 4, 2020
तस्वीर को लेकर रेल मंत्रालय भले ही गर्व कर रहा हो लेकिन हकीकत यही है कि उसके द्वारा पोस्ट की गई इन तस्वीरों में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसपर गर्व किया जाए. आज देश को आजाद हुए 70 साल हो चुके हैं. अगर इन 70 सालों में भी किसी को अपने नाजुक कंधों पर किसी दूसरे का बोझ लादना पड़ रहा है तो ये हमारे सिस्टम की खामी है.
फिल्मों में हम अमिताभ बच्चन और गोविंदा को कुली बनते देख चुके हैं. हमने देखा है कि कैसे इन्होंने ग्लैमर भरे अंदाज में अपने रोल को निभाया. हम एक ऐसे फ़साने को हकीकत नहीं मान सकते जिसकी नींव या ये कहें कि जिसका मकसद ही एंटरटेनमेंट था. जिंदगी एंटरटेनमेंट नहीं है. जाहिर सी बात है कि ये महिलाएं ये सब अपनी ख़ुशी से या ग्लैमर के चलते नहीं कर रही हैं इनकी अपनी मजबूरियां हैं. रेल मंत्रालय को समझना होगा कि किसी को कुली बनाकर यदि सशक्तिकरण के दावे किये जा रहे हैं तो ये बात खुद-ब-खुद इस बात की तस्दीख कर देती है कि हमारे इस पूरे सिस्टम को लकवा मार चुका है और इन्फेक्शन इस हद तक बढ़ गया है कि अब उसमें से मवाद निकलने लग गया है.
please ask @minmsme to depute their director of Industries to organise an awareness program and do Capacity Building of these ladies ,such menial labour in 2020 is just unacceptable ,some of them could be #Graduates too .Take help of local #NGO ,if required involve me .
— Bankim Mistry- Get Ready for Navi Mumbai Elections (@BankiMistry) March 5, 2020
सवाल ये है कि अब तक आखिर कैसे रेलवे इस बात को बर्दाश्त कर रहा है कि एक इंसान का बोझ कोई दूसरा उठा रहा है? आखिर क्यों नहीं कोई ऐसी तकनीक विकसित की गई जिसमें हमारे स्टेशनों पर काम करने वाले कुलियों को फायदा मिलता और उनका वर्तमान स्वरुप बदलता.
Poverty porn is not empowerment. Do explore why the need for manual labour despite all 'scientific & technological' advances.
— Sidrah (@SidrahDP) March 4, 2020
अब भी वक़्त है रेल मंत्रालय को चेत जाना चाहिए और कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हमारे रेलवे स्टेशनों की सूरत बदले और इन महिलाओं बल्कि सम्पूर्ण कुलियों के अच्छे दिन आएं.
रेल मंत्रालय गलत, शशि थरूर का रवैया उससे ज्यादा गलत
इस तस्वीर को डाल कर रेल मंत्रालय ने चूक की थी लेकिन जब हम कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार शशि थरूर को देखें तो मिलता है कि महिला सशक्तिकरण के नाम पर सिलेक्टिव हुए थरूर ने रेल मंत्रालय की चूक से बड़ी चूक को अंजाम दिया. सवाल होगा कि कैसे? जवाब है उनका वो रिप्लाई जो उन्होंने रेल मंत्रालय को किया. थरूर ने रेल मंत्रालय का ट्वीट री पोस्ट करते हुए लिखा कि यह एक अपमान है. लेकिन इस आदिम प्रथा पर शर्मिंदा होने के बजाय, हमारा @RailMinIndia गर्व से गरीब महिलाओं के सिर पर भारी बोझ ढोने के इस शोषण की तारीफ कर रहा है.
This is a disgrace. But instead of being ashamed of this primitive practice, our @RailMinIndia is proudly boasting of this exploitation of poor women to carry heavy head loads?! https://t.co/qPvqjBfarw
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 4, 2020
हमें इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि थरूर महिलाओं को लेकर अच्छी फ़िक्र रखते हैं मगर जिस तरह उन्होंने केवल 'महिलाओं' की बात की वो इस बात की तस्देख कर देता है कि थरूर का एजेंडा सिलेक्टिव है. थरूर को भी ये सोचना चाहिए कि अगर वो कुली प्रथा का जिक्र कर रहे हैं तो वो जितना महिलाओं के साथ खड़े हैं उतना ही उन्हें पुरुषों के साथ भी खड़े होना चाहिए. ध्यान रहे कि कुली बन जितना तिरस्कार महिलाएं झेल रही हैं उतना ही तिरस्कार पुरुष भी झेल रहे हैं और इस पूरे मामले में कोई किसी से कम नहीं है.
अगर आज आजादी के इतने लंबे समय बाद कुली प्रथा महिला कुलियों की सेहत को प्रभावित कर रही है तो थरूर या फिर उनके जैसे लोगों को सोचना चाहिए कि इस प्रथा ने कई पुरुषों की भी जान ली है. कुप्रथा कासामना स्त्री और पुरुष दोनों ही कर रहे हैं और इसके पीछे इनकी अपनी मजबूरियां हैं.
बहरहाल, भले ही रेल मंत्रालय महिलाओं को कुली बनाने वाली अपनी इस उपलब्धि पर गर्व कर रहा हो मगर साइंस एंड टेक्नोलॉजी की बड़ी बड़ी बातों के बीच न्यू इंडिया के इस दौर में एक नागरिक के तौर पर हमारे लिए इन बातों को पचा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
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