यशपाल आर्य की कांग्रेस में 'घर वापसी' उत्तराखंड को पंजाब न बना दे
भाजपा सरकार (BJP) में परिवहन मंत्री रहे यशपाल आर्य (Yashpal Arya) ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली है. लेकिन, कांग्रेस (Congress) में दोबारा लौटने के पीछे की मंशा जाहिर करते हुए उन्होंने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र होने की बात उठाई है, जो कहीं न कहीं चौंकाने वाली है. क्या पंजाब की तरह उत्तराखंड में भी सूबे की जनता को मिलेगा दलित सीएम?
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2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी चुनावी राज्यों में सियासी घटनाक्रमों में तेजी से बदलाव हो रहे हैं. आमतौर पर किसी भी चुनाव से पहले खेला जाने वाला दल-बदल का खेल अब हर राज्य में तोजी से अपने चरम की ओर पहुंचता जा रहा है. उत्तराखंड की भाजपा सरकार (BJP Government) में परिवहन मंत्री रहे यशपाल आर्य (Yashpal Arya) ने अपने विधायक बेटे संजीव आर्य के साथ एक बार फिर से 'घर वापसी' कर ली है. दरअसल, ये पिता-पुत्र की जोड़ी पहले कांग्रेसी ही थी. लेकिन, 2017 में भाजपा में शामिल होकर सत्ता सुख भोग रहे थे. वैसे, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हुई हिंसा मामले का असर उत्तराखंड में भी हो सकता है. दरअसल, जिस बाजपुर विधानसभा सीट से यशपाल आर्य विधायक है, उस सीट पर सिख मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है. जो लखीमपुर हिंसा के बाद भाजपा के नाम से भड़की हुई कही जा सकती है.
खैर, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (Uttarakhand Assembly Elections 2022) से पहले यशपाल आर्य का कांग्रेस में शामिल होना भाजपा के लिए किसी झटके से कम नहीं है. क्योंकि, यशपाल आर्य 7 बार के विधायक और उत्तराखंड के कद्दावर नेता हैं. भाजपा के लिए यशपाल आर्य की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह एक या दो नहीं बल्कि 6 विभागों के मंत्रालय देख रहे थे. इतना ही नहीं यशपाल आर्य उत्तराखंड के एक जाने माने दलित नेता भी हैं, तो उनका कांग्रेस में शामिल होना सूबे की हवा में बदलाव ला सकता है. लेकिन, यशपाल आर्य की कांग्रेस में एंट्री पार्टी की राजनीति में भी उथल-पुथल मचा सकती है.
उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी पहले से ही चरम पर है.
दरअसल, उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी पहले से ही चरम पर है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) और कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह (Pritam Singh) के बीच सीएम की कुर्सी को लेकर चल रही खींचतान किसी से छिपी नहीं है. वहीं, यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के बाद इस बात की संभावना कई गुना बढ़ जाती है कि अब पार्टी में तीन मुख्यमंत्री (Chief Minister) पद के उम्मीदवार सामने आ सकते हैं. दरअसल, 2012 में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने उत्तराखंड में विजय बहुगुणा (Vijay Bahuguna) को सीएम बनाया था. जबकि, मुख्यमंत्री पद (CM Face) की रेस में उस समय भी यशपाल आर्य का नाम काफी आगे चल रहा था.
हो सकता है कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले भाजपा (BJP) छोड़कर कांग्रेस (Congress) में शामिल हुई पिता-पुत्र की ये जोड़ी कांग्रेस नेता हरीश रावत के उस बयान को सुनकर घर वापसी को मजबूर हो गई हो, जिसमें उन्होंने पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी की तरह ही उत्तराखंड में भी दलित सीएम बनाने की बात की थी. यशपाल आर्य एक बड़े दलित नेता हैं, तो अगर गलती से भी उनके सीएम बनने को लेकर माहौल बना, तो उत्तराखंड कांग्रेस भी पंजाब की तरह ही सियासी तूफान की चपेट में आकर अपना नुकसान करवा सकती है.
Shri @RahulGandhi welcomes Shri Yashpal Arya & Shri Sanjeev Arya into the Congress party in the presence of Shri @kcvenugopalmp Shri @harishrawatcmuk Shri @devendrayadvinc Shri @UKGaneshGodiyal Shri @incpritamsingh & Smt. @DipikaPS pic.twitter.com/C84nOiS3TC
— Congress (@INCIndia) October 11, 2021
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हरीश रावत ने बताया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने यशपाल आर्य से पूछा कि कांग्रेस और भाजपा में क्या अंतर है? बकौल हरीश रावत, यशपाल आर्य ने इस सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है. पार्टी दलितों से लेकर अल्पसंख्यकों के साथ है. खैर, जिस कांग्रेस में दो साल से पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी बनी हुई हों, उस राजनीतिक दल में आंतरिक लोकतंत्र का अंदाजा लगाना कोई बड़ी बात नहीं है. खैर, यशपाल आर्य और उनके बेटे के कांग्रेस में शामिल होने से इस बात की संभावना बढ़ गई है कि अगर भविष्य में सूबे के लिए भी पंजाब की तरह दलित सीएम बनाने की हवा ने जोर पकड़ा, तो हरीश रावत के साथ ही उन्हें चुनौती दने वाले प्रीतम सिंह भी इस सियासी तूफान से बच नहीं पाएंगे.
वैसे राजनीति (Politics) को भी क्रिकेट की तरह ही अनिश्चचितताओं का खेल कहते हैं, तो उत्तराखंड चुनाव 2022 (Assembly Elections) के बाद अगर कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में आती है, तो यशपाल आर्य को सीएम बनाने के लिए मजबूर हो जाएगी. वहीं, अगर ऐसा नहीं होता है और राज्य में भाजपा व कांग्रेस के बीच कांटें की टक्कर वाला माहौल बनता है, तो यशपाल आर्य की भाजपा में भी वापसी की संभावनाएं बनी हुई हैं. कुल मिलाकर यशपाल शर्मा ने कांग्रेस में दोबारा शामिल होने का फैसला यूं ही नहीं कर लिया है. उन्होंने बंदूक हरीश रावत के कंधे पर रखी है और निशाना कांग्रेस नेतृत्व है.
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