Yes Bank crisis: प्रियंका गांधी तो कलाकार निकलीं!
यस बैंक (Yes Bank Crisis) कांग्रेस के लिए नयी मुसीबत बना है. खबर है कि यस बैंक वाले राणा कपूर (Rana Kapoor) ने दो करोड़ में प्रियंका गांधी की पेंटिंग (Priyanka Gandhi Painting) खरीदी थी, केंद्र में यूपीए की सरकार थी.
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अगर यस बैंक (Yes Bank Crisis) का मामला सामने नहीं आता तो देश को शायद ही कभी पता चलता कि प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Painting) एक बेहतरीन आर्टिस्ट भी हैं. अब तक पॉलिटिक्स में अगर कभी पेंटिंग की चर्चा होती रही तो ममता बनर्जी का नाम ही सबसे ऊपर आता रहा. ये भी ठीक वैसे ही जैसे फिटनेस को लेकर सवाल नहीं उठता तो किसी को मालूम नहीं होता कि राहुल गांधी जापानी मार्शल आर्ट एकिडो में ब्लैक बेल्ट भी हैं.
यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर (Rana Kapoor) की गिरफ्तारी के बाद खबर आयी है कि वो प्रियंका गांधी की कला के सबसे बड़े कद्रदान रहे हैं. कांग्रेस ने भी इस बात की पुष्टि एक सवाल के साथ कर दी है कि अगर कोई चीज बेची जाती है तो खरीदार नहीं देखा जाता.
यस बैंक घोटाले को लेकर भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर हमला बोला था. लगता है राहुल गांधी का अटैक एक बार फिर बुरी तरह बैकफायर हुआ है - क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है.
प्रियंका गांधी कलाकार भी हैं!
जिस तरीके से प्रियंका गांधी वाड्रा की छिपी प्रतिभा सामने आयी है वो कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी मुसीबत है - और जिस तरीके से कांग्रेस की तरफ से बचाव किया जा रहा है वो तो और भी उलझाने वाला है.
खबर आयी है - यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर ने प्रियंका गांधी वाड्रा की पेंटिंग को दो करोड़ रुपये में खरीदा था. ये तब की बात बतायी जा रही है जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी. आयकर विभाग फिलहाल इस बात की जांच कर रहा है कि दोनों के बीच कोई लिंक भी है क्या? मामला सिर्फ पेंटिंग की खरीद बिक्री तक ही है या कुछ और भी है? खबर में अपडेट है कि कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी और राणा कपूर के बीच हुई आर्ट-डील को स्वीकार कर लिया है. लेकिन कांग्रेस नेता राशिद अल्वी उससे आगे दोनों के बीच किसी तरह के लिंक से साफ तौर पर इंकार कर रहे हैं.
राशिद अल्वी ने कहा है, 'इससे क्या होगा. अगर प्रियंका गांधी ने कोई चीज बेची है और किसी ने खरीदी है - खरीदार को देखा नहीं जाता. जो पैसे देता है वो खरीद लेता है. अगर मोदी जी चाहते तो मोदी जी खरीद लेते. तो क्या आप यह आरोप लगाते कि सारी सरकार प्रियंका गांधी जी चला रही हैं. मोदी जी के जरिये, चूंकि उन्होंने पेंटिंग खरीदी है.'
बीजेपी की तरफ से पार्टी के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय मोर्चा ले रहे हैं. राहुल गांधी पर तो अमित मालवीय ने अमर सिंह के वीडियो के साथ हमला बोला था, प्रियंका गांधी को लेकर मचे बवाल पर पूरे गांधी परिवार को ही तमाम घोटालों से जोड़ डाला है. विजय माल्या से लेकर नीरव मोदी तक.
Every financial crime in India has deep link with the Gandhis.Mallya used to send flight upgrade tickets to Sonia Gandhi. Had access to MMS and PC. Is absconding.Rahul inaugurated Nirav Modi’s bridal jewellery collection, he defaulted.Rana bought Priyanka Vadra’s paintings... pic.twitter.com/qdN3hjnTWG
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 8, 2020
राशिद अल्वी की दलील तकनीकी रूप से ठीक हो सकती है, लेकिन जवाब दमदार नहीं लगता - बीजेपी के हमलों का कांग्रेस को प्रियंका गांधी के मामले में भी वैसे ही जवाब देना चाहिये था जैसे राहुल गांधी के मामले में कोरोना की जांच को लेकर जवाब दिया था. बीजेपी ने सवाल उठाया था कि राहुल गांधी की कोरोना वायरस को लेकर जांच हुई या नहीं? जब राहुल गांधी दिल्ली के दंगे प्रभावित इलाकों के दौरे पर निकले थे, दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने पूछा था कि इटली से आने के बाद राहुल गांधी की कोरोना वायरस को लेकर जांच हुई या नहीं. उसके बाद एडीए के सांसद हनुमान बेनीवाल ने कोरोना वायरस को लेकर राहुल गांधी और सोनिया गांधी सहित पूरे परिवार की जांच की मांग की थी. बहरहाल, कांग्रेस की तरफ से जानकारी दे दी गयी कि राहुल गांधी इटली से लौटने पर कोरोना वायरस को लेकर टेस्ट कराये गये थे.
प्रियंका गांधी के मामले भी कांग्रेस को वैसा ही कुछ उपाय खोजना चाहिये था. कोई ऐसा तर्क देना चाहिये था कि नये सवाल का मौका न मिले.
राणा कपूर के अलावा और कितने लोग प्रियंका गांधी वाड्रा की पेंटिंग के कद्रदान हैं?
अगर प्रियंका गांधी आर्टिस्ट हैं और पेंटिंग बनाती हैं तो उसके कद्रदान राणा कपूर अकेले थोड़े ही होंगे - और लोगों ने भी तो खरीदी होगी. हो सकता है करोड़ों में न खरीदी हो - लेकिन लाखों में तो खरीदी ही होगी. या कम पैसे में ही खरीदी हो सकती है. हो सकता है प्रियंका गांधी ने किसी बड़ी शख्सियत को अपनी पेंटिंग गिफ्ट की हो और उसने उसकी तारीफ की हो. अगर कांग्रेस इस तरीके से बताती कि प्रियंका गांधी की कितनी पेंटिंग बिकीं? और कहां कहां उनकी प्रदर्शनी लगी, इतना सुनते ही बीजेपी की बोलती बंद हो जाती.
लेकिन अगर प्रियंका गांधी की एक ही पेंटिंग बिकी हो तो अजीब तो लगेगा ही. ज्यादा अजीब तो तब लगेगा जब बैंक घोटाले के आरोपी ने खरीदी हो. खरीद की रकम भी करोड़ों में हो. और ये खरीद भी तब की जब कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए की केंद्र में सरकार हो.
वैसे भी राणा कपूर ने तो खुद ही लोन के बदले कैशबैक जैसी स्कीम बना रखी थी. यही वो तरीका था जिसकी बदौलत राणा कपूरी किसी को भी लोन के लिए NO नहीं बोलते थे.
ये तो संयोग ही कहा जाएगा कि यस बैंक की स्थापना 2004 में ही हुई थी - और ये भी संयोग ही है कि उसी साल यूपीए की पहली सरकार अस्तित्व में आयी थी. हो सकता है राणा कपूर यस बैंक बनाने की तैयारी काफी पहले से कर रहे हों, लेकिन कोई भी सपना वक्त से पहले साकार होता किसका है.
कांग्रेस के हमले जो बुरी तरह बैकफायर हो गये
एक तो प्रियंका गांधी वाड्रा को अपने पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चल रही जांच के चलते वैसे भी बचाव की मुद्रा में रहना पड़ता है. हरियाणा विधानसभा चुनाव के वक्त स्टार प्रचारकों की लिस्ट में होने के बावजूद वो चुनाव प्रचार से पूरी तरह परहेज करती नजर आयीं. माना गया कि ऐसा वो हरियाणा में वाड्रा को लेकर बीजेपी नेता कोई बखेड़ा न खड़ा कर दें इसलिए ऐसा किया और फिर महाराष्ट्र भी ये कर टाल दिया गया कि वो यूपी चुनाव पर फोकस कर रही हैं. बाद में जब झारखंड चुनाव और दिल्ली चुनाव में प्रियंका ने दिल खोल कर चुनाव प्रचार किया.
1. अमित शाह के इस्तीफे की मांग: दिल्ली दंगों को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफा मांग लिया था. ये सुनते ही बीजेपी नेता 1984 के सिख दंगों को लेकर धावा बोल दिये. फिर सोनिया गांधी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचीं और अमित शाह को पद से हटाने के साथ ही मोदी सरकार को राजधर्म की याद दिलाने की गुजारिश की.
2. सावरकर पर राहुल गांधी का बयान: रामलीला मैदान में राहुल गांधी ने वीर सावरकर का नाम लेकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की. झारखंड की चुनावी रैली में रेप इन इंडिया वाले बयान को लेकर राहुल गांधी संसद में बीजेपी सांसदों के हमले से खफा थे, लेकिन 'मेरा नाम राहुल सावरकर' नहीं बोलकर शिवसेना की भी नाराजगी मोल लिये. बीजेपी तो पहले से ही हमलावर थी, शिवसेना महाराष्ट्र उद्धव ठाकरे की महाविकास आघाड़ी सरकार में पार्टनर है.
3. मोदी के हिंदुत्व पर सवाल उठाना: 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी ने बोल डाला था, 'हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह हिंदू हैं लेकिन हिंदुत्व की नींव के बारे में नहीं जानते - वो किस प्रकार के हिंदू हैं?'
तब सुषमा स्वराज ने कहा था कि ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि वो और कांग्रेस अपने धर्म और जाति के बारे में कन्फ्यूज हैं. बीजेपी नेता ने कहा था, 'कई साल से उन्हें सेक्युलर नेता के तौर पर पेश किया गया, लेकिन चुनाव के वक्त एहसास हुआ कि हिंदू बहुसंख्यक हैं, इसलिए अब ऐसी छवि बना रहे हैं.'
4. 'चौकीदार...' स्लोगन: राहुल गांधी ने 'चौकीदार चोर है' स्लोगन की शुरुआत तो राजस्थान विधानसभा चुनाव से ही की थी, लेकिन 2019 के आम चुनाव में उसे मुख्य नारा बना डाला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नाम के पहले जब 'चौकीदार' दिया तो बीजेपी नेताओं सहित देश भर में लोग ऐसा करने लगे - नतीजे आये तो मालूम हुआ कांग्रेस बुरी तरह हार चुकी है. जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने चौकीदार शब्द हटा लिया.
5. अघोषित आपातकाल: राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा अक्सर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर अघोषित आपातकाल लागू करने का इल्जाम लगाते हुए हमले करते रहते हैं - लेकिन जैसे ही बीजेपी की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की इमरजेंसी की याद दिलायी जाती है कांग्रेस नेताओं को खामोश हो जाना पड़ता है.
6. विकास पागल है: 2017 में गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस का एक कैंपेन खूब चर्चित रहा - विकास पागल है. गुजरात गौरव यात्रा के दौरान पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोल दिया, 'मैं ही गुजरात हूं, मैं ही विकास हूं'.
जब कांग्रेस को लगा कि स्लोगन को गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया गया तो दांव उलटा पड़ता देख कांग्रेस ने मुहिम बंद कर दी.
एक जिम्मेदार विपक्ष की तरह कांग्रेस को सत्ता पक्ष पर राजनीतिक हमले का बेशक अधिकार है, लेकिन जब कई मामलों में खुद ही कमजोर कड़ी हो तो परहेज भी करना चाहिये. कांग्रेस के कई सीनियर नेता नेतृत्व को सलाह दे चुके हैं कि वो मोदी सरकार और बीजेपी पर हमले के मामले में थोड़ा संयम बरते, लेकिन उनकी सुनता कौन है. वैसे होना तो यही चाहिये कांग्रेस को मोदी सरकार पर ऐसा हमला नहीं बोलना चाहिये कि दांव उलटा पड़ जाये.
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