लखनऊ सीट पर बदलता नवाबी रुख राजनाथ को बहुत कुछ बता रहा है!
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अली बजरंगबली विवाद का सबसे ज्यादा असर लखनऊ में देखने को मिल रहा है. लखनऊ से भाजपा ने राजनाथ सिंह को टिकट दिया है और माना यही जा रहा है कि शिया बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण लखनऊ में राजनाथ इसका खामियाजा भुगतेंगे.
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देश की कुछ अहम लोकसभा सीटों में लखनऊ के चुनावी माहौल में नवाबियत के बदलते रंग नजर आ रहे हैं. वाराणसी, वायनाड,अमेठी, रायबरेली, बेगुसराय, आजमगढ़, रामपुर जैसी दर्जनभर सीटें हैं जहां बड़े जनाधार वाले कद्दावर, विवादित या चर्चित प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं. ऐसी ही लखनऊ की लोकसभा सीट है. यहां से गृहमंत्री राजनाथ सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. खास बात ये है कि लखनऊ लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार को मुसलमानों के एक वर्ग का समर्थन अपवाद बनकर चर्चा का विषय बनता रहा है.
इस बार मुसलमानों के शिया वर्ग की लीडरशिप भाजपा के लखनऊ प्रत्याशी के समर्थन को लेकर पशोपेश मे है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के अली-बजरंग संबंधित विवादित बयान के कारण भाजपाई शिया उलमा और इदारे अपने समाज में भाजपा उम्मीदवार राजनाथ सिंह की हिमायत में झिझक सा रहे हैं.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान ने लखनऊ में राजनाथ सिंह को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है
यहां राजनाथ सिंह के मुकाबलें में सपा-बसपा गठबंधन की सपा प्रत्याशी पूनम सिन्हा और कांग्रेस उम्मीदवार आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं. यहां की लड़ाई में इस बार नवाबों के शहर का मिज़ाज़ बदलता दिख रहा है. भाजपा समर्थक शिया समाज गैर मुस्लिम आध्यात्मिक शख्सियत की तरह खिचते हैं. सूफिज्म पर भरोसा करने वाली ये मुस्लिम मसलक खानाखाही को पवित्र, आध्यात्मिक और काबिले भरोसा मानती है. इसलिए इन्हें गैर मुस्लिम योगी और आचार्य भी भाते हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अली-बजरगबली संबधित विवादित बयान से नाराज होकर शिया समाज एक योगी से नारीजगी में एक आचार्य के समर्थन की तरफ बढ़ सकता है. बदलते रुख के इस चुनावी माहौल में आध्यात्मिक ताकत और सूफिज्म की रंगत नवाबी शहर के चेहरे पर झलक रही है.
जहन मे अली और जिगर में बजरंगबली वाला ये शहर अलहदा हो भी क्यों ना? शहर को तहज़ीब- तमद्दुल, नज़ाकत-नफासत, मोहब्बत, भाईचार और मज़हबी सौहार्द की नेमतें देने वाले हज़रत अली के आशिक़ नवाबीन ने बजरंगबली से भी बेपनाह मोहब्बत की है. शहर-ए-लखनऊ में मुस्लिम नवाबीन ने हिन्दुओं की अक़ीदत का सम्मान कुछ इस तरह किया जिसे देखकर आलमे इंसानी को फख्र हुआ. दुनिया ने माना कि नवाबों के शहर ने जिन्ना के इस कथन को झूठा साबित कर दिया जिसमे उन्होंने कहा था कि हिन्दू और मुसलमान सिर्फ दो मजहब ही नहीं बल्कि दो अलग अलग मुल्क हैं.
बजरगबली पर आस्था व्यक्त करने के साथ भूखे की भूख और प्यासों की प्यास मिटाने वाले बड़ा मंगल की रवायत (परंपरा) लखनऊ के नवाबों ने ही शुरु की थी. इन तमाम खूबियों से सजी नवाबों की विरासत आज भी ज़िन्दा है. रिआसतें चलाने वाले नवाबीन वैसे तो सियासत में पड़ते नहीं लेकिन लोकतंत्र के सम्मान में ये बहुत सोचसमझ कर अपना नुमांइदा चुनते हैं.
योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या लखनऊ के शिया मुस्लिम राजनाथ सिंह के समर्थन के लिए आगे आएंगे
लखनऊ के नवाबों के जिक्र में लखनऊ लोकसभा की बात की जाये तो यहां भी अरसा पहले नवाबीन ने एक परंपरा रची थी. नब्बे के बाद के दौर में जब अयोध्या फसाद की आग से सूबे की राजधानी भी खूब सुलग रही थी और भाजपा को लेकर मुस्लिम समाज में नफरत पनप रही थी तब नवाबीन ने लखनऊ लोकसभा सीट के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी की हिमायत का एलान भी किया और अपील भी की. खबर बनी की अटल ने शिया मुसलमानों का भी दिल जीत लिया.
यहीं से अटल जी की शख्सियत पर नवाबों के लखनवी वंशजों ने उदारवाद की मोहर लगा दी. इसके बाद लगातार शिया मुसलमान लखनऊ के हर भाजपा उम्मीदवार को भी जिताने में अपना पूरा योगदान देते रहे. राजनाथ सिंह को अटल की विरासत का हकदार मानकर पिछले लोकसभा में नवाबीन और कुछ एहले शिया राजनाथ के समर्थन में खुल कर उतरे.
लेकिन इस बार समीकरण बदलते नज़र आ रहे हैं. अली और बजरंग बली दोनों पर अकीदा रखने वाली रॉयल फैमली ऑफ अवध के रूख में बदलाव दिख रहा है. अली बजरंगबली का विवादित बयान आने के बाद अजादारी और बड़ा मंगल मिलजुल कर मनाने वाले रिबरल शिया भाजपा से नाखुश हैं. इसका सीधा असर लखनऊ लोकसभा सीट के भाजपा उम्मीदवार पर पड़ेगा. शायद इसलिए नवाबीन को आध्यात्मिक ताकत और सूफिज्म की खुशबू खीच रही है. बजरंगबली पर श्रद्धा और हजरत अली पर अकीदा रखने वाले लखनऊ से कांग्रेस उम्मीदवार आचार्य प्रमोद कृष्णम की तरफ खिचता रूझान बदलाव के संकेत दे रहा है.
रॉयल फैमली ऑफ अवध के महासचिव शिकोह आज़ाद और तमाम नवाबों के वंशजों के साथ आज आचार्य प्रमोद कृष्णम की बैठकों में आचार्य ने नवाबी वंशजों से समर्थन की इल्तिजा की है. लेकिन अभी साफ नहीं है कि रॉयल फैमिले जैसे भाजपाई इदारे और उलमा पिछले चुनावों की तरस भाजपा के समर्थन की अपील करते हैं या इस बार अली-बजरंगबली जैसे बयान पर नाराजगी जाहिर करके दूसरे दल के उम्मीदवार के समर्थन का एलान करते हैं.
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