योगी की अयोध्या यात्रा बीजेपी के चुनावी वादे का हिस्सा नहीं तो क्या है?
जब बीजेपी नेताओं की पेशी का दिन तय हो और अगली ही तारीख योगी के अयोध्या दौरे के लिए मुकर्रर हो तो क्या समझा जाये? जो बीजेपी कह रही है वो या अपने एक्शन के जरिये समझाना चाह रही है वो?
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योगी आदित्यनाथ को अयोध्या तो जाना ही था. लेकिन बाबरी मस्जिद केस में बीजेपी नेताओं के खिलाफ आरोप तय होने के ठीक एक दिन बाद! बस यही बात हैरान करने वाली है. वैसे बीजेपी नेताओं के हिसाब से ये महज इत्तेफाक है - और कुछ नहीं.
जब बीजेपी नेताओं की पेशी का दिन तय हो और अगली ही तारीख योगी के अयोध्या दौरे के लिए मुकर्रर हो तो क्या समझा जाये? जो बीजेपी कह रही है वो या अपने एक्शन के जरिये समझाना चाह रही है वो?
पहले बीजेपी की बात
मीडिया से बातचीत में बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि महंत नृत्य गोपालदास के जन्मोत्सव कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ का कार्यक्रम पहले से ही तय था. बीजेपी नेता इसे महज इत्तेफाक बता रहे हैं कि बाबरी केस की सुनवाई के अगले ही दिन महंत नृत्य गोपालदास का जन्मदिन आ गया.
बहुत देर कर दी
अयोध्या में योगी आदित्यनाथ पिछली सरकारों पर जम कर बरसे. योगी ने आरोप लगाया कि अयोध्या की हमेशा उपेक्षा होती रही है. जाहिर है इस आरोप के दायरे में मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव की सरकारें होंगी. वैसे भी राजनाथ सिंह के अयोध्या दौरे के 15 साल बाद कोई मुख्यमंत्री वहां पहुंचा था. चुनावों के दौरान कांग्रेस की ओर से भी कुछ ऐसा ही रहा जब राहुल गांधी ने वहां दर्शन पूजन किया.
अयोध्या को योगी का तोहफा...
अयोध्या से पहले योगी प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी गये थे. अयोध्या में योगी ने ऐलान किया कि बनारस की तरह अब वहां भी सरयू के तट पर गंगा की तरह ही आरती हुआ करेगी. इसके लिए घाटों की मरम्मत किये जाने की भी उन्होंने घोषणा की. साथ ही, अयोध्या में सरयू महोत्सव के आयोजन की भी घोषणा हुई. वाराणसी में गंगा महोत्सव अरसे से मनाया जाता रहा है.
ये बात तो सच है कि अयोध्या में 1992 के बाद राजनीति के अलावा कुछ भी नहीं हुआ. धर्म के नाम पर जारी राजनीति के कारण कब शहर पीछे छूट गया किसी का ध्यान ही नहीं गया. बहरहाल, देर से भी दुरूस्त आये तो गिले शिकवे खत्म ही समझिये.
बातों बातों में ही योगी ये भी बोले - मैं जानता हूं आप क्या सुनना चाहते हैं!
एजेंडा नहीं बदला
योगी आदित्यनाथ ने सीधे सीधे कोई बयान भले ही न दिया हो, लेकिन अपने हाव भाव और गतिविधियों से ये तो जता ही दिया कि बीजेपी अपने चुनावी वादे पूरा करने जा रही है. राम मंदिर को लेकर अपने संकल्प पत्र में बीजेपी ने बस इतना ही कहा था - संवैधानिक दायरे में प्रयास किये जाएंगे कि राम मंदिर बने.
बीजेपी भले ही अब पश्चिम बंगाल और मालेगांव नगर निगमों के लिए मुस्लिम उम्मीदवार खड़े कर रही हो, लेकिन यूपी चुनाव में उसने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था. सरकार बनाते वक्त मजबूरन एक मुस्लिम नेता को मंत्री भले बनाना पड़ा हो.
जिस तरह चुनावों में कसाब, कब्रिस्तान और श्मशान के निहितार्थ होते हैं, वैसे ही योगी की यात्रा में भी स्वाभाविक तौर पर नजर आते हैं. सीबीआई की विशेष अदालत में हाजिर होने जब बीजेपी के नेता पहुंचे तो योगी ने उनसे मुलाकात की - और अगले दिन अयोध्या में एक्टिव रहे.
बीजेपी जो भी दावा करे लेकिन अपने समर्थकों के लिए उसका संदेश साफ है. क्या बीजेपी ये दिखाने की कोशिश नहीं कर रही है कि राम मंदिर को लेकर उसके इरादे में कोई फर्क नहीं आया है? अगर किसी को बीजेपी का एजेंडा कुछ और दिखाई दे रहा है तो बात भी और है.
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