बीजेपी को भले नुकसान हो, यूपी लौट आना योगी के लिए तो फायदेमंद ही है
विरोधियों की आलोचना के बाद ही सही योगी आदित्यनाथ का यूपी लौट आना खुद उनके और सूबे की सेहत दोनों के लिए अच्छा है. कर्नाटक चुनाव प्रचार बीच में ही छोड़ देने का नुकसान बीजेपी समझे, योगी ने अपना राजधर्म ही निभाया है.
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योगी आदित्यनाथ का कर्नाटक चुनाव प्रचार बीच में छोड़ कर यूपी लौटना बीजेपी के लिए नुकसानदेह है. बीजेपी योगी के जरिये जो फायदा उठाना चाहती थी, निश्चित तौर पर उसमें आधी अधूरी ही कामयाबी मिलेगी. नाथ संप्रदाय के लोगों के बीच जाकर योगी अगर वोट मांगते तो उसका अलग असर होता. त्रिपुरा में बीजेपी को इसका लाभ मिल ही चुका है. लेकिन योगी के यूपी लौटने को किस हिसाब से देखा जाएगा?
कुदरती तूफान
योगी आदित्यनाथ का कर्नाटक में चुनाव प्रचार का कार्यक्रम पहले से तय था. तूफान से तबाही के बावजूद खुद उन्होंने लौटने का कोई इरादा नहीं जताया था. यही वजह रही कि योगी आदित्यनाथ विरोधियों की निगाह में चढ़ गये. कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया ने तो हमला बोला ही, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो योगी कर्नाटक में ही मठ बना लेने की सलाह दे डाली.
At least 64 people have lost their lives due to a storm in Uttar Pradesh. My heartfelt condolences to the families who have lost their loved ones.
I am sorry your CM is needed here in Karnataka. I am sure he will return soon & attend to his work there. https://t.co/RwgDrhdn82
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) May 3, 2018
CM को कर्नाटक का चुनाव प्रचार छोड़कर तुरंत यूपी वापस आना चाहिए था. जनता ने उन्हें अपने प्रदेश की समस्याओं के समाधान के लिए चुना है, नाकि कर्नाटक की राजनीति के लिए. इन हालातों में भी अगर वो वापस नहीं आते हैं, तो फिर वो हमेशा के लिए अपना मठ वहीं बना लें. @CMOfficeUP
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 3, 2018
सिद्धारमैया को झूठा बताते हुए योगी ने कहा था कि वो खुद स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, 'सिद्धारमैया झूठ बोलने में बहुत सिद्धहस्त हैं. धूल भरी आंधी और भारी बारिश से प्रभावित इलाकों में चल रहे राहत कार्यों की मैं व्यक्तिगत रूप से मॉनिटरिंग कर रहा हूं...'
CM Yogi Adityanath distributes cheques to people affected by dust storm in Agra's Fatehabad. CM says, "Relief has been provided to the affected. Kin of those who died have been given Rs 4 lakhs as ex-gratia and the injured are given free treatment in hospitals." pic.twitter.com/D04flBIyjT
— ANI UP (@ANINewsUP) May 5, 2018
योगी आदित्यनाथ ने आगरा पहुंचकर तूफान से घायल लोगों से मुलाकात कर हाल चाल पूछ लिया - और बाढ़ की तरह प्रभावित इलाकों का एरियल सर्वे भी कर लिया. बाकी बातों की तो निगरानी आज के दौर में कहीं से भी की जा सकती है, लेकिन बगैर मौके पर पहुंचे इस तरीके से हालात का जायजा तो नहीं ही लिया जा सकता था.
Chief Minister Yogi Adityanath takes an aerial survey of the areas that were affected by the dust storms. pic.twitter.com/hf28Kw2Bya
— ANI UP (@ANINewsUP) May 5, 2018
गोरखपुर अस्पताल में बच्चों की मौत को लेकर भी योगी आदित्यनाथ इसी तरह विरोधियों के निशाने पर थे. गोरखपुर में मचे बवाल को तो योगी ने जैसे तैसे दबा दिया, लेकिन उपचुनाव में उसकी कीमत चुकानी पड़ी. वैसे ये कहना अब भी मुश्किल है कि गोरखपुर की हार से ज्यादा नुकसान योगी आदित्यनाथ को हुआ या बीजेपी को. बहरहाल, नया बवाल भी ऐसे दौर में हुआ है जब कैराना की लोक सभा सीट पर इसी महीने की 28 तारीख को उपचुनाव होना है.
सियासी तूफान
योगी आदित्यनाथ के कर्नाटक में चुनाव प्रचार के लिए निकलने से पहले ही यूपी में जिन्ना विवाद की शुरुआत हो चुकी थी. जिन्ना विवाद पर इंडिया टुडे के साथ विशेष इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ ने कहा, "जिन्ना ने हमारे देश का बंटवारा किया और हम किस तरह उनकी उपलब्धियों का बखान कर सकते हैं. भारत में जिन्ना का महिमामंडन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता."
राजधर्म तो निभाया, मगर...
साथ ही, योगी ने बताया कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी की घटना को लेकर जांच के आदेश दे दिये गये हैं और रिपोर्ट मिलते ही वो एक्शन लेंगे. बवाल की शुरुआत तब हुई जब अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने वाइस चांसलर को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के कार्यालय की दीवारों पर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगाये जाने पर आपत्ति जताई. इसी क्रम में छात्रों का एक जत्था विरोध करते हुए परिसर में घुस गया. पुलिस के हरकत में आने से स्थिति काबू में कर ली गयी. यूनिवर्सिटी छात्र संघ के नेताओं ने भी अपने तरीके से विरोध किया. पुलिस एक्शन में कुछ छात्र घायल भी हो गये.
ये सब तब की बात है जब यूनिवर्सिटी में पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी का एक लेक्चर होना था. इस मौके पर उन्हें छात्र संघ की मानद सदस्यता भी दी जानी थी. अंसारी का लेक्चर भी उसी हॉल में होना था जहां जिन्ना की तस्वीर लगी है - और उस दौरान पूर्व उप राष्ट्रपति यूनिवर्सिटी के गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट से दूसरी ही कहानी सामने आ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी छात्र संघ की ओर से पुलिस में शिकायत दर्ज करायी गयी है कि परिसर में धावा बोलने वाले छात्रों के निशाने पर कोई और नहीं बल्कि पूर्व उप राष्ट्रपति अंसारी ही थी. छात्र संघ की ओर से दर्ज शिकायत में आरोप है कि 20-25 दक्षिणपंथी विचारधारा वाले छात्रों का एक ग्रुप कैंपस में घुस आया था - जो उस वक्त अंसारी के विरोध में नारे लगा रहे थे. इस घटना के बाद अंसारी का कार्यकर्म स्थगित हो गया.
मौजूदा कुदरती और सियासी तूफान के चलते योगी आदित्यनाथ ने कर्नाटक का चुनाव प्रचार भले ही बीच में छोड़ दिया हो, यूपी के दो उपचुनाव उनका इंतजार कर रहे हैं - कैराना लोक सभा और नूरपुर विधानसभा की सीट पर.
गोरखपुर और फूलपुर लोक सभा सीटें गंवाने के बाद बीजेपी ने राज्य सभा और विधान परिषद चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन कैराना और नूरपुर उपचुनाव योगी के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं. गोरखपुर और फूलपुर को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ का बचाव जरूर किया था, लेकिन कैराना के नतीजे को लेकर जवाबदेही तो योगी आदित्यनाथ की पहले से कहीं ज्यादा होगी. जीत गये तो बल्ले बल्ले वरना, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान वाली लिस्ट में योगी का नाम भी लिख लिया जाएगा - और उसके बाद तो योगी के साथ भी वैसा ही सलूक होगा जैसा बाकियों के साथ होगा.
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