यूपी में बुलडोजर के बाद CCTV, अपराधी अब अकड़ कर नहीं, सिकुड़ कर रहेंगे!
अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए योगी आदित्यनाथ बाकायदा तकनीक का सहारा लेते हुए नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि अपराध और अपराधियों दोनों पर नियंत्रण के लिए यूपी में जगह जगह 'फेस रिकग्निशन कैमरा' लगाए जाएंगे. यानी जैसे ही अपराधी इनकी जद में आएंगे उनका सलाखों के पीछे जाना तय है.
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2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होते ही योगी आदित्यनाथ ने लॉ एंड आर्डर सुधारने की दिशा में बड़ा काम किया. तमाम बड़े छोटे अपराधी या तो एनकाउंटर में मारे/जेल गए. या फिर प्रदेश छोड़ने को मजबूर हुए. 2017 से लेकर 22 तक हर बीतते दिन के साथ यूपी की कानून व्यवस्था में कई बड़े परिवर्तन हुए हैं. आज जब यूपी में योगी आदित्यनाथ दोबारा सत्ता संभाल रहे हैं कानून व्यवस्था के मद्देनजर स्थिति कुछ ऐसी है कि अपराधी लगभग अपराध भूल चुके हैं. शासन के डंडे और बुलडोजर का खौफ तो कुछ यूं है कि अकड़कर चलने वाले भी सिकुड़कर बैठने को मजबूर हैं.
अपराधी रास्ते पर आ जाएं, इसलिए यूपी के मुखिया सिर्फ बुलडोजर के भरोसे नहीं हैं. योगी आदित्यनाथ अपने मिशन की पूर्ति के लिए बाकायदा तकनीक का सहारा लेते हुए नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि अपराध और अपराधियों दोनों पर नियंत्रण के लिए यूपी में जगह जगह 'फेस रिकग्निशन कैमरा' लगाए जाएंगे. यानी जैसे ही अपराधी इनकी जद में आएंगे उनका सलाखों के पीछे जाना तय है. लॉ एंड आर्डर के मद्देनजर जैसी सूरत उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ ने बदली है, क्रिमिनल एनकाउंटर में मरे न मरें शर्मिंदगी से जरूर मर जाएगा क्यों? वजह बस इतनी है कि जो वर्चस्व अपराधियों ने यूपी में बनाया था योगी आदित्यनाथ ने उसे धुंआ धुआं कर दिया है.
यूपी में जैसा सीएम योगी आदित्यनाथ का रवैया है अब अपराधियों की खैर नहीं है
ख़बरों कि मानें तो अपनी इस नयी पहल की शुरुआत योगी सरकार ने यूपी के वाराणसी में की है. वाराणसी के अलग अलग हिस्सों में एडवांस सर्विलांस सिस्टम के तहत फेस रिकग्निशन कैमरे लगवाए गए हैं. कैमरे की जैसी तकनीक है कहा यही जा रहा है इसके बाद अपराधी अब शायद ही बच पाएं. कैमरों को लेकर सरकार बेफिक्र है और मानती है कि इससे अपराध नियंत्रित होगा और बाद में वाराणसी की ही तर्ज पर ये कैमरे अन्य शहरों में भी लगवाए जाएंगे.
सवाल हो सकता है कि आखिर कैसे कैमरे के जरिये अपराध और अपराधियों पर लगाम लगेगी? इस सवाल का जवाब वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. डी वासुदेवन ने दिया है. वासुदेवन के अनुसार कैमरे करीब 50 से 60 मीटर की दूरी से अपराधियों की पहचान कर लेते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि जैसे ही अपराधी इसकी जद में आएगा तुरंत ही इसकी सूचना काशी इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम को मिल जाएगी जहां बैठे एक्सपर्ट्स अलर्ट मोड में आ जाएंगे.
वहीं इस कैमरे की खूबियों पर बात करते हुए वासुदेवन ने ये भी बताया कि कैमरा हाई एंड टेक्नोलॉजी से लैस है और ख़राब से ख़राब मौसम का सामना कर सकता है. कैमरे में जो सॉफ्टवेयर है वो लाइव फीड के अलावा फोटो टू फोटो और फोटो टू वीडियो में भी अपराधी को सर्च करने में सक्षम है.
चूंकि ये सब तकनीक के भरोसे होगा तो हमारे लिए ये जान लेना भी बहुत जरूरी है कि फेस अलॉगर्थिम डाटा बेस में मौजूद अपराधी की फोटो और कैमरे से कैप्चर हुई फोटो का मिलान करेगा और उसकी विशेष पहचान कोडिंग और नाम से बता देगा. सिस्टम कितना तेज है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चाहे अपराधी की बरसों पुरानी फोटो हो या फिर मास्क हेलमेट वाली फोटो सिस्टम तुरंत ही चेहरों की पहचान कर लेता है.
एक्सपर्ट्स इस बात तक पर बल दे रहे हैं कि भले ही किसी अपराधी ने अपना हुलिया बदला हो लेकिन कैमरे और सिस्टम से उसका बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. गौरतलब है कि वाराणसी की अलग अलग 16 लोकेशन पर 22 के आसपास ये कैमरे इंसटाल किये गए हैं और इन्हें लेकर कहा यही जा रहा है कि यूपी सरकार की इस पहल के बाद अपराधी चाहे पाताल में छिपा हो उसे बड़ी ही आसानी के साथ खोज निकाला जाएगा.
जैसा कि हमने इस लेख की शुरुआत में ही बताया था. 2017 में जब योगी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने सूबे में लॉ एंड आर्डर को प्रमुखता से उठाया था और मामले में अच्छी बात ये रही कि लॉ एंड आर्डर को लेकर योगी आदित्यनाथ की कथनी और करनी एक थी आज जैसे हालात हैं यूपी में अपराधियों के बीच कानून का भय है.
अपने बाहुबल के दम पर जो वर्चस्व अपराधियों ने यूपी में स्थापित किया था. अपनी मुस्तैदी से योगी आदित्यनाथ ने उसे ध्वस्त कर बड़ा सन्देश दिया है. बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने अपराधियों को बड़ा संदेश दिया है और बताया है कि सिर्फ शासन के चाहने भर की देर है. सरकार अगर चाह ले तो सूबे में अराजकता का कोई स्कोप ही नहीं है.
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