योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने का राज खुला भी, और नहीं भी
आजतक - इंडिया टुडे के पंचायत कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने आखिरकार खुलासा कर ही दिया कि उन्हें मुख्यमंत्री कैसे बनाया गया. यह अब तक राज ही रहा है, लेकिन इसका खुलासा एक नए राज को जन्म देता है.
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आजतक - इंडिया टुडे के पंचायत कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने खुद को मुख्यमंत्री बनाए जाने की कहानी बड़े ही दिलचस्प अंदाज में सुनाई. उनके मुताबिक -
चुनाव के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी अलग-अलग कार्यक्रमों के दौरान, अलग-अलग जिम्मेदारी देते थे. अलग-अलग क्षेत्र में हम कैसे काम कर सकें इसके बारे में उनके द्वारा कहा जाता था. और विधानसभा चुनाव परिणाम के तत्काल बाद मुझे कुछ बाहर के कार्यक्रम करने थे. मैं स्वयं तीन महीने इतना व्यस्त था कि लगा एक सप्ताह के लिए कहीं बाहर जाना चाहिए. संयोग से मुझे अवसर मिला. हमारी विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज जी का फोन मेरे पास 5 मार्च के आस-पास आया. उन्होंने कहा कि पोर्ट ऑफ स्पेन मे एक कार्यक्रम हैं. संसदीय दल को वहां जाना है. अगर आप जाना चाहेंगे तो...
...और वेस्ट इंडीज जाना टल गया
मैंने सोचा कि 6 को इलेक्शन कैम्पेन सम्पन्न हो जाएगा और फिर हम निकल जाएंगे. मैंने कहा अच्छा है, 11 को रिजल्ट आएगा और 14 को बाहर चला जाऊंगा. सप्ताहभर का कार्यक्रम था. मैंने उसके लिए आवेदन भी कर दिया. मेरा पासपोर्ट जमा हो गया था. लेकिन पी.एम.ओ. से वापस हो गया. 10 को जब पी.एम.ओ. से मेरा पासर्पोट वापस आया तो विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने मुझे अवगत कराया कि आपके जगह दूसरे सांसद जाएंगे तो मुझे थोड़ी निराशा हुई. मैंने कहा यार, मुझे पिछले तीन वर्ष में तीन अवसर मिले लेकिन दो बार तो मैने स्वयं मना किया. अच्छा होता इस बार भी मैं स्वयं ही मना कर देता.
आजतक इंडिया टुडे के कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ
निराश थे योगी..
मुझे गोरखपुर आना था, मैं जब एअरपोर्ट पहुंचा तो हमारे विदेश मंत्रीजी का फोन आया, कहा योगी जी पी.एम.ओ. ने स्वयं मना किया है. प्रधानमंत्री जी का स्वयं कहना है कि परिणाम आने वाले हैं और उनकी आवश्यकता यहां रहेगी. इसलिए उनको मत भेजिए, किसी दूसरे को भेजिए. तो मैं गोरखपुर चला आया. होली के दिन गोरखपुर में अनेक कार्यक्रम होते हैं. और उन कार्यक्रमों में मेरी सहभागिता होती है. उन कार्यक्रमों के बाद मैं 15 को फिर दिल्ली पहुंचा. चुनाव परिणाम आने के बाद मैं बीजेपी संसदीय दल के किसी भी नेता से नहीं मिला था. संसदीय दल की बैठक होने वाली थी, सो उसके पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी से मुलाकात हुई. उन्होंने पूछा कि आप दिल्ली में हैं, तो मैंने कहा कि हां. तो उन्होंने पूछा कि आप मिलने कब आ सकते हैं, तो मैंने कहा कि आप जब बताएं. संसदीय दल की बैठक सुबह 9.30 बजे शुरू होकर लगभग 10.15 बजे खत्म हुई. उसके बाद हमारी मुलाकात हुई. सामान्य बात-चीत हुई, परिणामों की समीक्षा हुई. फिर मैं वापस अगले दिन 17 को गोरखपुर चला गया.
दोबारा बुलावा आश्चर्यजनक था
सायंकाल अमित शाह जी का फोन आया, उन्होंने पूछा कि कहां हो. मैंने बताया कि मैं तो गोरखपुर में हूं. वे बोले, अरे आप गोरखपुर चले गए, आपसे बात-चीत करनी थी. अब मैं असमंजस में था कि कल सुबह ही तो मेरी बात हुई है. तो मैंने कहा अध्यक्ष जी कोई जरूरी बात हो तो फोन पर ही बता दीजिए. अध्यक्ष जी ने कहा कि नहीं आप दिल्ली आइए. मैंने कहा कि दिल्ली इस समय. अभी न तो यहां से कोई फ्लाइट है, न कोई ट्रेन. वे बोले, ठीक है आप वहां रहिए, कल सुबह मैं एक चार्टर्ड प्लेन भेज रहा हूं. आप उससे आ जाइए.
कपड़े भी नहीं बदल पाए योगी..
दिल्ली पहुंचकर मेरी अमित शाह जी से मुलाकात हुई तो वे बोले आपको उत्तर प्रदेश में जाना है और आपको वहां कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी है. तो जब मैं गोरखपुर से गया था, तो मैं कुछ भी लेकर नहीं गया था. ना बैग था, न कपड़े थे. एक जोड़े जो मैने कपड़े पहने थे, यही थे. मैं असमंजस में था कि गोरखपुर जाऊं या लखनउ जाऊं. तो उन्होंने कहा कि नहीं आप ऐसे ही लखनऊ चले जाइए. तो मैं वहीं से लखनऊ आ गया. शाम को मैं 4 बजे लखनऊ पहुंचा. 5 बजे यहां विधानमंडल की बैठक थी. वहां उन्होंने मुझे नेता के रूप में चुना. अगले दिन शपथ हो गई. तो एक सिलसिला वहां से प्रारंभ हुआ. लेकिन पहले से ना मैं इस बात के बारे में उम्मीद रखता था, ना मुझे इस बारे में बताया गया था. शपथ ग्रहण के एक दिन पहले ही हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने मुझे अवगत कराया और उसके बाद जो कुछ हुआ, वह आपके सामने है.
लेकिन, असली राज, राज ही रह गया
योगी आदित्यनाथ ने यह तो बता दिया कि उनके मुख्यमंत्री बनाए जाने का घटनाक्रम क्या रहा. लेकिन यह पहेली अब भी नहीं सुलझ पाई कि न तो चुनाव से पहले और न ही चुनाव के दौरान, बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का कोई इशारा किया. बीजेपी संगठन के कार्यक्रमों में कई मौके ऐसे आए, जब उन्हें साइडलाइन कर दिया गया. यह तक कहा जाने लगा था कि उनकी तेजतर्रार छवि से बीजेपी का नेतृत्व खुश नहीं है. और वह उनके बढ़ते कद को कम करना चाहता है. राजनीतिक विश्लेषक योगी आदित्यनाथ और वरुण गांधी को बीजेपी के मौजूदा संगठन के लिए किरकिरी मानते थे. ऐसे में आखिर ऐसा क्या हुआ, जो एनवक्त पर ताबड़तोड़ अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुलाया और अगले दिन ही शपथ लेने को कहा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पूरा इंटरव्यू -
कंटेंट : श्रीधर भारद्वाज (इन्टर्न, आइचौक)
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