योगी आदित्यनाथ को दुश्मनों की जरूरत कहां, उनके लिए तो 'अपने' ही काफी हैं!
हाथरस केस में अफसरों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की जितनी फजीहत करायी थी, उतनी ही बलिया के मामले में भी हुई है - बलिया के मामले में हत्या के मुख्य आरोपी (Ballia Murder Accused Arrested) के बचाव में बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह (BJP MLA Surendra Singh) का पैंतरा नयी मुसीबत साबित हुआ है.
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बलिया गोलीकांड में दो अपडेट आये हैं - पहला, मुख्य आरोपी का सार्वजनिक तौर पर बचाव करने के लिए बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह (BJP MLA Surendra Singh) को लखनऊ तलब किया गया है - और दूसरा, हत्या का आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह (Ballia Murder Accused Arrested) गिरफ्तार कर लिया गया है. हाथरस की ही तरह बलिया गोलीकांड में भी योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अफसरों को तो सस्पेंड कर दिया, लेकिन बैरिया के विधायक सुरेंद्र सिंह ने बीजेपी की जो किरकिरी करायी है वैसा कम ही देखने को मिलता है.
अब इससे भी अजीब बात क्या हो सकती है कि हत्या के एक आरोपी के लिए सत्ताधारी पार्टी का विधायक राजनीति छोड़ने और आमरण अनशन करने की धमकी दे रहा हो - और उसकी हर दलील के पीछे सिर्फ और सिर्फ जातीय आधार हो?
पहले हाथरस गैंगरेप और अब बलिया गोलीकांड - उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लगातार अपनों की वजह से भी फजीहत हो रही है. वरना, गैरों में कहां दम नजर आ रहा था. राजनीतिक विरोधियों में फ्रंट पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा होती जरूर हैं, लेकिन उनसे बड़े राजनीतिक विरोधी अखिलेश यादव और मायावती की सक्रियता तो रस्मअदायगी भर सीमित देखी गयी है. हाल फिलहाल तो यही हाल है.
ऐसे कैसे लागू हो कानून-व्यवस्था
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में कानून व्यवस्था बनाये रखना सबसे बड़ा चैलेंज बना हुआ है. एनकाउंटर और किसी अपराध के आरोपी को ले जा रही गाड़ियों के चलते चलते पलट जाने या हादसे का शिकार होने को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश में छोटे छोटे मामले भी चुनौती बन जा रहे हैं.
जैसे हाथरस के मामले में थाने के लेवल पर ही कानून के हिसाब से एक्शन हो जाता तो इतना तूल नहीं पकड़ता और पीड़ित पक्ष के लिए भी राहत की बात होती. ठीक वैसे ही बलिया गोलीकांड भी टाला जा सकता था. जहां मौके पर पहले से प्रशासनिक अधिकारी और सीनियर पुलिस अफसर फोर्स के साथ मौजूद हो, वहां एक शख्स ताबड़तोड़ फायरिंग भी करे और भाग भी जाये संभव नहीं लगता. कम से कम यूपी की जिस पुलिस की पीठ पर योगी आदित्यनाथ का मजबूत हाथ होने के बाद तो ऐसा बिलकुल नहीं लगता, लेकिन ये सब हो रहा है और यही हकीकत है. मतलब, कहीं न कहीं लोचा है - और ऐसे कई मामले हैं जिनमें राजनीतिक हस्तक्षेप महसूस किया गया है.
हाथरस के मसले पर एक इंटरव्यू में हुए सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना रहा, 'हाथरस के मामले में गलतफहमी थाना के स्तर पर थी, न कि सरकार के स्तर पर.' हाथरस गैंगरेप और बलिया गोलीकांड दोनों ही मामलों में अफसरों ने जो किया वो तो किया ही, बलिया के केस में बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने अपनी ही सरकार की किरकिरी करा डाली है. अगर सुरेंद्र सिंह ने थोड़ी बहुत बयानबाजी की होती तो भी चल जाता - क्योंकि ऐसा वो अक्सर करते रहते हैं. हत्या के मुख्य आरोपी के बचाव में तो बीजेपी विधायक ने सारी हदें ही पार कर डाली है.
हत्या के आरोपी के परिवार से मिल कर रोते हुए बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह
किसी भी राज्य में कानून व्यवस्था कैसे लागू हो सकती है जब सत्ताधारी दल का विधायक ही हत्या के आरोपी के पक्ष बयानबाजी कर रहा हो - और उसके खिलाफ एक्शन न हो इसलिए सड़क पर उतरने की धमकी दे रहा हो!
बलिया गोलीकांड पर सबसे पहले सुरेंद्र सिंह का बयान आया कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है. क्रिया होगी तो प्रतिक्रिया भी होगी. ऐसा बोल कर बीजेपी विधायक ने शुरू में ही संकेत दे दिये थे कि कानून हाथ में लेने को लेकर उनका क्या नजरिया है. जब कोई जनप्रतिनिधि किसी एक पक्ष के बारे में ऐसी बात करे तो इलाके की जनता को इंसाफ की क्या उम्मीद करनी चाहिये. खासकर तब जब लोग विधायक के स्वजातीय न हों.
न्यूटन के नियम के जरिये हत्या को सही ठहराने के बाद सुरेंद्र सिंह की नयी दलील आयी - जिस पर हत्या का आरोप लगा है उसने आत्मरक्षा में गोली चलायी है. वैसे बीजेपी के बलिया जिलाध्यक्ष और योगी सरकार के एक मंत्री इस बात से इंकार करते रहे कि हत्या के आरोपी से बीजेपी का कोई संबंध नहीं है, लेकिन सुरेंद्र सिंह ने डंके की चोट पर कहा कि धीरेंद्र प्रताप सिंह ने 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के आम चुनाव में बीजेपी के लिए काम किया था.
धीरेंद्र प्रताप सिंह के मौके से फरार हो जाने के बाद 17 अक्टूबर को बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह रेवती थाने पहुंच कर जिसकी हत्या हुई है उसके परिवार के लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने पहुंचे थे - और सरेआम धमकी दी कि ऐसा न होने पर वो धरने पर बैठ जाएंगे.
बीजेपी विधायक के बेटे विद्याभूषण सिंह ने भी सीधे सीधे मुख्यमंत्री को चेतावनी दे डाली. विद्याभूषण ने फेसबुक पोस्ट में लिखा - 'योगी जी, अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा है. आपकी शह पर प्रशासन अत्याचार का अंत कर रहा है. मजबूर होकर सड़क पर उतरेंगे.'
बीजेपी विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह के परिवार से मिलने गये तो फूट फूट कर रोये भी और उसका वीडियो भी वायरल हुआ है. किसी परिवार से किसी की भी सहानुभूति हो सकती है. ये आपसी रिश्ते का मामला है. धीरेंद्र प्रताप सिंह का बीजेपी विधायक का करीबी होना भी कोई गलत बात नहीं है, वैसे भी वो कोई पेशेवर अपराधी नहीं है - लेकिन ये तो सच है कि उसके ऊपर हत्या जैसे संगीन जुर्म का आरोप है. आरोपी तो आरोपी होता है - चाहे वो किसी का कितना ही सगा क्यों न हो. वो कानून की नजर में एक आरोपी है और अदालत में उसे अपने बचाव का पूरा अधिकार भी है और मौका भी दिया जाता है - ये भारतीय न्याय व्यवस्था की सबसे बड़ी बात है.
हाथरस और बलिया के अपराध की प्रकृति अलग अलग जरूर है, लेकिन उस पर प्रशासन के एक्शन लेने का तौर तरीका एक जैसा ही है. हाथरस में भी जातीय तनाव पैदा हुआ. बाद में तो इसे बड़ी साजिश भी बतायी गयी - अभी बलिया के मामले में ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आयी है.
हाथरस और बलिया में बड़ा फर्क ये रहा कि बीजेपी के विधायक सुरेंद्र सिंह ही आरोपी के बचाव में खड़े हो गये हैं. हाथरस के मामले में भी बीजेपी के एक पूर्व विधायक ने भी पीड़ित परिवार पर ही लड़की ही हत्या कर डालने का आरोप लगाया था और आरोपियों के पक्ष में घर पर पंचायत भी बुलायी थी. हाथरस सांसद राजवीर दिलेर पर आरोपियों से जेल में जाकर मिलने का आरोप लगा था - लेकिन उनका कहना रहा कि वो जेलर के बुलाने पर किसी अफसर के साथ चाय पीने गये ते. हालांकि, सांसद मंजू दिलेर लगातार पीड़ितों के संपर्क में रहीं और सोशल मीडिया के जरिये बताती रहीं कि कैसे उनकी मदद कर रही हैं और केस में अपडेट क्या है.
अपराध को छुपाना और अपराधी को बचाने की कोशिश - और जांच प्रक्रिया को राजनीतिक तौर पर प्रभावित करने का प्रयास भी एक तरीके सेअपराध ही समझा जाएगा. बैरिया विधानसभा सीट से विधायक सुरेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने तलब किया है - सामने आकर अपना पक्ष रखने और सफाई देने के लिए.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के सामने पेशी के लिए रवाना होते वक्त दैनिक जागरण से बातचीत में सुरेंद्र सिंह ने कहा, 'मैं पुलिस की एक पक्षीय कार्रवाई के विरोध में हूं... धीरेंद्र प्रताप सिंह ने आत्मरक्षार्थ और परिवार की सुरक्षा में गोली चलाई... मैं हमेशा न्याय के पक्ष में हूं... मुझे प्रदेश अध्यक्ष ने क्यों बुलाया है, ये मुझे नहीं पता है - जहां तक जातीय बयान का सवाल है तो समाजवादी पार्टी अगर यादव के साथ है तो मैं क्षत्रिय के साथ खड़ा रहूंगा.'
नेताओं और अफसरों के संपर्क मे था आरोपी
बलिया गोलीकांड में फरार मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को लखनऊ में STF ने गिरफ्तार कर लिया है. धीरेंद्र सिंह की तलाश में पुलिस की 10 टीमें जगह जगह दबिश डाल रही थीं. पुलिस के मुताबिक, आरोपियों के खिलाप NSA और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. धीरेंद्र के दो भाइयों सहित कुछ लोगों पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.
बताते हैं कि धीरेंद्र फरार होने के बाद से ही सरेंडर की कोशिश में था और इसके लिए कुछ करीबी नेताओं और पुलिसवालों से संपर्क भी किया था. वकीलों के जरिये सरेंडर का पूरा प्लान भी तैयार था, लेकिन ऐन मौके पर एसटीएफ ने दबोच लिया.
एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने बताया, 'धीरेंद्र सिंह और उसके साथियों को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है. एक अज्ञात स्थान पर उनसे पूछताछ की जा रही है. धीरेंद्र सिंह के गुर्गों के कब्जे से हथियार बरामद किए गये हैं. घटना के वक्त किस हथियार का इस्तेमाल किया गया एसआईटी इसकी जानकारी जुटा रही है.'
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