देखिए भारत में एक सुविधा चौपट कैसे होती है...
रेलवे ने अपने यात्रियों को ट्विटर से मदद मांगने की सुविधा दे रखी है, लेकिन इस सुविधा के नाम पर अगर अब बच्चों के डायपर भी रेलवे से ही मांगें जाएं तो ये कितना सही है?
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ये तो सब जानते हैं कि सुरेश प्रभु रेलवे की माली हालत सुधार नहीं पा रहे, लेकिन एक काम को लेकर उनकी प्रशंसा हमेशा होती है, वो है उनकी तुरंत सहायता सेवा जो वो जरूरतमंद यात्रियों को यात्रा के दौरान उपलब्ध कराते हैं. रेलवे ट्विटर पर मांगी गई मदद पर तुरंत प्रतिक्रिया देती है. यात्रा के दौरान चाहे छोटे बच्चों के लिए दूध या बिस्किट उपलब्ध कराना हो या फिर यात्रियों की कोई और मदद, रेलवे ने अपने काम में हमेशा मुस्तैदी दिखाई है.
लेकिन किसी भी सेवा का अगर गलत इस्तेमाल किया जाने लगे तो ये सेवाएं जल्दी ही फ्लॉप भी साबित हो जाती हैं. रेलवे की इस सेवा की गंभीरता न समझते हुए एक व्यक्ति ने रेलवे को अपनी सेवा करने वाला नौकर ही समझ लिया. प्रभाकर झा नाम के इस शख्स ने रेलवे को ट्वीट करते हुए लिखा कि 'मैं अपनी छोटी बच्ची के साथ सफर कर रहा हूं, मुझे डायपर चाहिए. मदद करें'.
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रेलवे से डायपर की गुहार लगा रहे इस शख्स के ट्वीट पर रेलवे ने तुरंत जवाब दिया और कहा कि- 'अपना पीएनआर, यात्रा की जानकारी और फोन नंबर बताइए जिससे कि हम आपसे संपर्क कर सकें.'
रेलवे को इस व्यक्ति पर दया आ गई, लेकिन देखा जाए तो डायपर मांगने वाला ये ट्वीट केवल इस व्यक्ति की लापरवाही दिखा रहा है, मजबूरी नहीं. एक व्यक्ति जो छोटे बच्चे के साथ सफर पर निकलता है वो बच्चे की जरूरत का सारा सामान भी साथ लेकर चलता है. जिनमें उसका खाना, कपड़े और डायपर वगैरह खास होते हैं, क्योंकि ये सामान स्टेशन पर नहीं मिलता. लेकिन हद है लापरवाही की, कि अपने बच्चे की जरूरत के लिए डायपर भी रेलवे से ही मांगे जा रहे हैं. जैसे रेलवे कोई डायपर उपलब्ध कराने वाली कंपनी हो.
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ट्विटर पर मौजूद लोगों को इस तरह की मांग इस सेवा का दुरुपयोग लगी. लोगों ने इस व्यक्ति की जमकर खबर ली, हालात ये हो गए कि इन्हें अपनी ट्वीट डिलीट करना पड़ा.
@jhaprabhakar no offence but you are making a joke of this service. U shud have carried diapers before boarding. Don't make a fool of urself
— SN (@ShalzNair) October 12, 2016
@jhaprabhakar @RailMinIndia @GM_ECRly @sureshpprabhu do u think railway is diaper service company?
— Saggy Chordesh (@pappu_pedia) October 12, 2016
@MsWeera @jhaprabhakar @RailMinIndia misuse .. ma bap hai etana dhayan nahi ki bache ke sath kya kya le kar chalana hai
— Shashi K Goswami (@goswami07) October 12, 2016
It is idiots like this who destroy people friendly govt initiatives https://t.co/aay9pk4NEX
— Divya (@divya_16_) October 12, 2016
.@jhaprabhakar you should be ashamed as a father to travel like this and seek help from @railminindia @sureshpprabhu https://t.co/0rbJGjMGXI
— common man (@me_indian) October 12, 2016
इतना ही नहीं लोगों ने रेलवे पर भी प्रश्न उठाए कि क्या इस तरह की कस्टमर सर्विस जायज है? रेलवे को इस तरह की रीक्वेस्ट पर ध्यान देने के बजाए खुद को कुशल, सुविधाजनक और सुरक्षित परिवहन बनने पर ध्यान देना चाहिए.
Is this model of customer service scaleable? Should Railways focus on being an efficient, convenient & safe transport or on being nanny? pic.twitter.com/q026CENI0k
— Prakash Sharma (@India_Policy) October 12, 2016
@RailMinIndia Try to separate genuine requests from freeloader requests. This ???? @jhaprabhakar is a freeloader. Did he forget his smartphone?
— Bharatheeyam (@SupariShambhu) October 12, 2016
@RailMinIndia Sir, don't give attention to such idiots. Railway min is not 4 such non sense. One should carry diaper at least. @jhaprabhakar
— Shubham (@DuttaSubhasish5) October 12, 2016
@jhaprabhakar @RailMinIndia @GM_ECRly @sureshpprabhu Ridiculous to waste resources on irresponsible travellers. Pls stop entertaining them.
— Bharatheeyam (@SupariShambhu) October 12, 2016
@jhaprabhakar @RailMinIndia @GM_ECRly @sureshpprabhu Should not entertain such people. They are demeaning this....
— Nation First (@rahulgupta1976) October 12, 2016
लोगों का गुस्सा अपनी जगह जायज था. क्योंकि अगर इस तरह की चीजों की मांग रेलवे से की जाएगी तो कहीं ऐसा न हो कि इन्हें पूरी करने के चक्कर में असल परेशानियां या जरूरतें अनदेखी रह जाएं. रेलवे के पास पहले से ही बहुत सी परेशानियां है, ऐसे में वो यात्रियों की सुविधा का ध्यान रख रही है ये काफी है, लेकिन अब अगर बच्चों के डायपर जैसी चीजों की सरदर्दी भी रेलवे को दे दी तो ये सेवा सिर्फ खानापूर्ती ही रह जाएगी और नुकसान जरूरतमंद यात्रियों का ही होगा. इसलिए रेलवे से सिर्फ मदद मांगो, मदद के नाम पर मसखरी नहीं.
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