मलाला की 'आजाद ख्याली' से पाक सरकार खुश हो सकती है, जनता नहीं
पाकिस्तान में मलाला क्रांति की बड़ी-बड़ी बातें कितनी ही क्यों न कर लें. मगर उनको लेकर जो सोच पाकिस्तान और पाकिस्तानी आवाम की है वो कितनी घातक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कराची, सिंध के बाद अब लोग पाकिस्तान के पंजाब में मांग कर रहे हैं कि मलाला के बारे में स्कूलों में न पढ़ाया जाए.
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तरक्की पसंद बातों के लिए व्यक्ति से ज्यादा जरूरी उसका देश है. जब देश तरक्की पसंद होगा, तो प्रगतिशीलता की बातें करता व्यक्ति ख़ुद ब खुद अच्छा लगेगा और बात भी ऑथेंटिक रहेगी. वहीं इसके विपरीत यदि कोई मुल्क संकीर्ण सोच रखता हो और वहां का कोई व्यक्ति विकास की बड़ी- बड़ी बातें करें तो न केवल इसे दोगलेपन की संज्ञा दी जाएगी. बल्कि ये भी कह दिया जाएगा कि झूठ के सहारा लेकर बड़ी ही साफगोही के साथ असत्य बातों को प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा है. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और मलाला युसुफजई का मामला ठीक ऐसा ही है. मलाला क्रांति की बड़ी-बड़ी बातें कितनी ही क्यों न कर लें मगर उनको लेकर जो सोच पाकिस्तान और पाकिस्तानी आवाम की है वो कितनी घातक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोग मांग कर रहे हैं कि मलाला के बारे में स्कूलों में न पढ़ाया जाए. ध्यान रहे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्कूलों में एक किताब पढ़ाई जा रही है. किताब में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण हस्तियों का जिक्र है. इसी किताब में मलाला युसुफजई पर भी एक चैप्टर है और यही पाकिस्तानी आवाम के ऐतराज की वजह भी है.
पाकिस्तान मलाला को लेकर कितनी भी बड़ी बड़ी बातें क्यों न कर ले लेकिन जो लोगों का रुख है वो मलाला की विचारधारा से बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखते हैं
पाकिस्तान में लोग नहीं चाहते कि उनके बच्चों को वो किताब पढ़ाई जाए जिसमें अलामा इकबाल, चौधरी रहमत अली, लियाकत अली खान, मोहम्मद अली जिन्नाह, बेगम राणा लियाकत अली और अब्दुल सित्तर ईदी जैसे लोगों के समकक्ष मलाला को रखा गया है.
बताते चलें कि पाकिस्तानी आवाम ने अपनी बात कहने के लिए ट्विटर को प्लेटफॉर्म बनाया है. मामले के मद्देनजर ट्विटर पर तरह तरह के ट्वीट्स आ रहे हैं. यदि इन ट्वीट्स का अवलोकन करें तो मिलता है कि देश की महान शख्सियतों के साथ मलाला को खड़ा करना उन्हें अच्छा नहीं लगा है. पाकिस्तान में मलाला की आज़ाद ख्याली लोगों को किस हद तक चुभ रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोगों ने प्रांतीय सरकार से मांग की है कि किताब में से मलाला की तस्वीर हटाई जाए.
On Malala Yousafzai’s 24th birthday, the Punjab Textbook Board confiscated the stock of a Social Studies book that listed her among Pakistan’s national heroes. I hang my head in shame and disgust https://t.co/NI9KdqblNP
— Ailia Zehra (@AiliaZehra) July 12, 2021
किताब में मलाला की तस्वीर है साथ ही चैप्टर भी है इसे लेकर ट्विटर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं ज्यादातर लोग इसे फेक करार दे रहे हैं. मामले में दिलचस्प बात ये है कि भले ही मलाला के चैप्टर से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लोगों में रोष हो लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी है. मामले के मद्देनजर प्रांतीय सरकार ने अभी तक इस विषय में कोई तर्क पेश नहीं किया है.
पाकिस्तान में किताबों में मलाला का जिक्र सरकार के गले की हड्डी बन गया है
ये कोई पहली बार नहीं है कि मलाला से जुड़ा इस तरह का कोई मामला प्रकाश में आया है. अभी बीते दिनों ही हम पाकिस्तान के सिंध में भी कुछ ऐसा ही मिलता जुलता मामला देख चुके हैं.
कहीं इस विरोध की वजह मलाला का लड़की होना और डर तो नहीं?
मलाला एक लड़की हैं जिन्होंने 'शिक्षा' को हथियार बनाया और कट्टरपंथी आतंकी संगठन तालिबान से सीधा पंगा लिया. अब चूंकि पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी कट्टरपंथी पंथ को फॉलो करती है. तो हो सकता है कि आवाम को भी यही लगता हो कि अगर उनके घर की बच्चियां ज्यादा पढ़ लिख गईं तो फिर क्या होगा? साफ है कि यही डर वो सबसे बड़ा कारण है जिसके चलते स्कूली किताब में मलाला की तस्वीर ने आम पाकिस्तानी आवाम को आहत किया है.
जब मलाला के चलते विरोध के नाम पर सुर्खियों में आया था कराची.
बात बीते दिनों की है. ख़ुद को प्रगतिशील दिखाने के लिए पाकिस्तानी हुकूमत ने कराची के मिशन रोड पर स्थित एक सरकारी स्कूल, सेठ कूवरजी खिमजी लोहाना गुजराती स्कूल का नाम बदलकर मलाला यूसुफजई के नाम पर करने का फैसला किया था. इस बात ने भी लोगों को खूब आहत किया था. लोगों ने इस फ़ैसले के मद्देनजर सरकार को आड़े हाथों लिया था और स्कूल की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की थी. लोगों का तर्क था कि ऐसे फैसलों से सरकार कराची के इतिहास को प्रभावित कर रही है.
Let's not change the history. Seth Kooverji Khimji Lohana Gujarati School renamed after @Malala Yousazai. We request Sindh Education Minister @SaeedGhani1 to revisit the decision. Government should rather open new schools to honour our icon Malala.@ZiauddinY https://t.co/qMlPdMBvhj
— Kapil Dev (@KDSindhi) July 8, 2021
बहरहाल कराची के बाद सिंध और अब पंजाब पाकिस्तानी हुकूमत मलाला को लेकर कितनी भी फिजा क्यों न बना ले मगर हकीकत यही है कि उन्हें एक आजाद ख्याल लड़की और उसकी तरक्की पसंद बातें बिल्कुल अच्छी नहीं लगतीं. लोग जानते हैं कि अगर मलाला की बातें पाकिस्तान के बच्चे विशेषकर लड़कियों को प्रभावित कर ले गयीं तो वो सवाल पूछने लगेंगे. अब जाहिर सी बात है सवाल पूछते बच्चे, सो भी पाकिस्तान जैसे मुल्क में शायद ही किसी को पसंद आएं?
और हां अंत में इतना जरूर जान लीजिये पाकिस्तान में मलाला को सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी पूरी शिद्दत के साथ ट्रोल कर रही हैं.
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