'प्रयागराज' के बाद जस्टिस काटजू ने की 18 शहरों के नाम बदलने की मांग!
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने इलाहबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखने को लेकर योगी सरकार की चुटकी ली है. उन्होंने यूपी के 18 शहरों के नामों के सुझाव दिए हैं जो देखने में बहुत अनोखे लग रहे हैं.
-
Total Shares
योगी सरकार ने अब इलाहबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है. ये उसी तरह से हुआ है जैसे मुगल सराय स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया गया था. इलाहबाद का नाम बदलने के बारे में खबरें तो पहले ही आने लगी थीं, लेकिन अब आधिकारिक तौर पर योगी सरकार ने नाम बदलने की घोषणा कर दी है. ये बहुत लंबे समय से मांग चल रही थी कि इलाहबाद का नाम बदल दिया जाए. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कुंभ 2019 के लिए जो बैनर बनाए जा रहे हैं उसमें आयोजन स्थल का नाम इलाहाबाद की जगह प्रयागराज लिखा जा रहा है. कुंभ मेला 15 जनवरी से शुरू होने जा रहा है और 2019 में लोकसभा चुनाव भी होने वाले हैं और इसे चुनाव से जोड़कर ज्यादा देखा जा रहा है.
मार्कंडेय काटजू ने यूपी के 18 शहरों के नामों का सुझाव दिया है
अगर बात सोशल मीडिया की हो तो वहां प्रयागराज नाम को सराहने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं है और ये कहा जा रहा है कि नाम बदला नहीं गया बल्कि पुराना नाम रख दिया गया है. वजह चाहें जो भी हो, लेकिन इतना तो तय है कि इसपर चुनावी रोटियां सेंकने का काम जरूर होगा. प्रयागराज नाम पर सोशल मीडिया पर अपनी-अपनी राय दे रहे हैं. इस कदम की तारीफ कर रहे लोग एक बार फिर ये साबित कर रहे हैं कि भारत में धर्म और धार्मिक जगहों की राजनीति होती रहेगी और इसका विरोध करने की जगह लोग इसके साथ ही रहेंगे.
Allahabad was known as Prayag in ancient days but Akbar named it as Illahabas later it was Allahabad.Finally after 443 years UP Govt has decided to rename as #PrayagrajThanks @myogiadityanath Ji for rename Allahabad is one of our biggest religious Centres in India.
— Akshay Singh (@Akshaysinghel) October 16, 2018
किसी भी शहर का नाम बदलने में भले ही कितनी भी लोगों की भावनाएं जुड़ी हों, लेकिन ऐसा करने में बहुत सारा पैसा खर्च होता है जिसके बारे में लोग सोचते नहीं हैं. खैर, अब ये तो बात तय हो गई है कि इलाहबाद प्रयागराज कहलाएगा. बार-बार शहरों, गलियों, रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने को लेकर पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज मार्कंडेय काटजू ने सोशल मीडिया पर भाजपा की चुटकी ली है.
काटजू ने यूपी सरकार को ताना मारते हुए 18 ऐसे यूपी के शहरों के नाम लिए हैं जिनके नाम मुगल सल्तनत के दौर में रखे गए थे और नाम मुस्लिम हैं. इस पोस्ट में काटजू ने कहा कि फैजाबाद का नाम नरेंद्रमोदीपुर, फतेहपुर का नाम अमितशाह नगर और मोरादाबाद का नाम बदलकर मनकीबात नगर कर देना चाहिए.
Dear @myogiadityanath,Congratulations for renaming Allahabad as Prayag. But surely that is not enough. I recommend the following further name changes of UP cities be made to eliminate names of these Babur ki Aulads altogether pic.twitter.com/msMYZdGlYL
— Markandey Katju (@mkatju) October 15, 2018
काटजू ने जो लिस्ट दी है उसपर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया भी आने लगी है और कुछ लोग काटजू के साथ दिख रहे हैं तो कुछ ने कहा कि काटजू को खुद अपना नाम बदल देना चाहिए.
One more Suggestion - Rename Markanday Katju to Mohammed Kaleem (Puncture wale) ????????????
— Sudarsh Dixit (@sudarsh_dixit) October 15, 2018
ट्विटर की इस जंग में लोग उन ट्विटर यूजर्स को भी खरी-खोटी सुना रहे हैं जो काटजू के साथ दिख रहे हैं.
You seem to be a descendant of invaders like Babur and akbar. Then you should change your name to kasab
— Vikram Singh (@VikramS79994248) October 16, 2018
ये ट्विटर वॉर असल में सिर्फ नाम बदलने को लेकर नहीं बल्कि कट्टर हिंदू और अन्य लोगों के बीच है जो ये सोचते हैं कि नाम बदलना सिर्फ टैक्स के पैसों की बर्बादी है और असल में इससे अन्य लोगों को कोई फायदा नहीं होता हां धार्मिक भावनाएं बस कुछ बेहतर हो जाती हैं. मैं दूसरे लोगों में से हूं जिन्हें लगता है कि यकीनन नाम बदलने से बेहतर है कि वो पैसा लोगों की भलाई में लगाया जाए, अस्पताल, रोड, पानी का टैंकर, स्कूल आदि बहुत बुनियादी सुविधाएं ही हैं जो यूपी के कई दूर दराज गावों में बेहद खराब हालत में हैं. एक शहर का नाम बदलने के लिए वहां मौजूद हर सरकारी दफ्तर, उसमें मौजूद हर कागज, ऑर्डर, सील के साथ-साथ स्टेशनों पर हो रहे अनाउंस्मेंट तक सब कुछ बदलना होता है. शहरों में लगे बैनर बदलते हैं, सड़कों के नाम, हाईवे पर मील के पत्थर आदि सब कुछ बदलता है. क्या आप सोच सकते हैं कि इसमें कितना पैसा लगता है? ये सारा पैसा यकीनन कई मामलों में सिर्फ राजनीति के काम आ रहा है और शायद आम लोग इसे समझने में भूल कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें-
मायावती-अखिलेश की चुनावी भाग दौड़ का फायदा उठाने में जुटे शिवपाल यादव
या तो हम पुलिस वालों का मज़ाक़ उड़ाते हैं या फिर उन्हें गालियां देते हैं!
आपकी राय