Coronavirus Lockdown में एक 'बिल्ली प्रेमी' के आगे झुका हाईकोर्ट!
कोरोना वायरस लॉकडाउन (coronavirus lockdown) के इस दौर में इंसानों के बाद परेशानियों का सबसे ज्यादा सामना जानवरों को करना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला केरल (Kerala ) में आया है जहां केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court ) ने जानवरों का खाना लेने जा रहे एक व्यक्ति की बड़ी मदद की है.
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कोरोना वायरस लॉकडाउन (coronavirus lockdown) के इस दौर में बहुत सी चीजें ऐसी हो रही हैं जो किसी को भी हैरत में डाल सकती हैं. लोग घरों में बंद हैं. लोगों को जो चीज सबसे ज्यादा परेशान कर रही है वो है बंद दुकानें. आज छोटी से छोटी चीज को खरीदना भी आम आदमी के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नही है. ऐसे में कोई अगर बिल्लियों (Cats) के 'हक़' के लिए हाई कोर्ट (Highcourt) चला जाए और बात दलीलों और फासले पर आ जाए तो हैरत का होना स्वाभाविक है. मामला केरल (Kerala) का है केरल में लोकल पुलिस ने एक व्यक्ति को बिल्लियों का खाना लाने के लिए पास नहीं दिया. पुलिस के रुख ने व्यक्ति को गहरा आघात पहुंचाया और वो नाराजगी के चलते हाई कोर्ट पहुंच गया. दिलचस्प बात ये है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई में केरल हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को लॉकडाउन के बीच बिल्लियों के लिए भोजन खरीदने की अनुमति दे दी है. मामला ट्विटर पर लोगों के बीच चर्चा का विषय बना है और इसे हाथों हाथ लिया जा रहा है.
केरल हाई कोर्ट की बदौलत एक पशु प्रेमी अपनी बिल्लियों के लिए खाना लाने में कामयाब हुआ है
मामले को लेकर कोर्ट की क्षरण में आए याचिकाकर्ता का नाम एन प्रकाश है. प्रकाश तीन बिल्लियों के मालिक हैं. प्रकाश के अनुसार बिल्लियां 'मेओ-फ़ारसी' नाम का बिस्किट ही खाती हैं.स्टॉक खत्म होने के बाद बिस्किट लाने के लिए पुलिस से अनुमति मांगी लेकिन नहीं मिली तो मजबूर होकर उन्होंने कोर्ट में याचिका लगाई.
बताते चलें कि शुद्ध शाकाहारी होने के कारण प्रकाश के घर पर नॉन वेज नहीं बनता इसलिए वो अपनी बिल्लियों को मेओ-फ़ारसी' नाम का बिस्किट खिलते हैं. अपनी पीआईएल में प्रकाश ने केरल हाई कोर्ट से गुहार लगाते हुए लिखा था कि शाकाहारी हैं. उनके घर में नॉनवेज नहीं बनता है. अगर पास नहीं मिला, तो आगे के दिनों में वह बिल्लियों को खाना नहीं खिला पाएंगे. प्रकाश का कहना था की यदि उन्हें पास मिल गया टी उनकी चिंता का निवारण हो जाएगा.
ट्विटर पर ये मुद्दा @TheLeaflet_in नाम के यूजर ने उठाया है. पोस्ट पर आए रिप्लाई पर अगर नज़र डाली जाए तो अपनी तरह के अनूठे इस मामले में एक से बढ़कर रिप्लाई आ रहे हैं.
On the plea of a cat owner, the Kerala High Court asked state government to allow the petitioner to travel to purchase "Meo-Persian biscuits for his 3 cats." The petitioner had alleged that he was denied a vehicle pass to travel for the same.#lockdown pic.twitter.com/wL3iq9YtOW
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) April 6, 2020
याचिका का आधार मजबूत हो इसलिए याचिकाकर्ता ने भी बारीक से बारीक बात का ख्याल रखा.
Petitioner had submitted that as a pure vegetarian he doesn't cook non vegetarian food in his house over the years, his cats have been fed with the above biscuits and they cannot do without them.
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) April 6, 2020
ध्यान रहे कि केरल के मुख्यमंत्री पहले ही इस बात को बल दे चुके थे कि इस दौरान जानवरों को नजरअंदाज न किया जाए और उन्हें खिलाने के लिए लोग बाहर आएं.
Before parting with the case, the High Court said "we might observe, in a lighter vein, that while we are happy to have come to the aid of the felines in this case, we are also certain that our directions will help avert a “CATastrophe” in the petitioner’s home".
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) April 6, 2020
चूंकि ट्विटर पर ये मामला लगातार सुर्खियां बटोर रहा है इसलिए जो कोई भी इस मामले को सुन रहा है वो अदालत की तारीफ कर रहा है.
Kudos to HC for this judgment showing care for other living things . Can anybody enlighten why order flows into 5 pages and 8 paras..Why can't judgements be crisp . Say .. "Petition allowed . Govt directed to give petitioner curfew pass ".
— piscean (@Rajaseshan) April 7, 2020
ट्विटर पर सब तरह के लोग हैं इसलिए ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जिन्होंने इस मामले की आलोचना शुरू कर दी है. लोगों का तर्क है कि आखिर जानवरों को ब्रांडेड खाना खिलाने की ज़रुरत क्या है?
There will be thousands of such cases where people struggle to arrange branded food items for pets. When millions are coping up with this unprecedented catastrophe, when so many are away from their family/parents and unable to attend to serious medical cases, this is absurd.
— P ???????? (@ind_psc) April 7, 2020
मामले में अदालत के फैसले की छोटी से छोटी बात पर जनता अपनी नजर बनाए हुए है और इस मुद्दे को उठा रही है.
There will be thousands of such cases where people struggle to arrange branded food items for pets. When millions are coping up with this unprecedented catastrophe, when so many are away from their family/parents and unable to attend to serious medical cases, this is absurd.
— P ???????? (@ind_psc) April 7, 2020
अपनी तरह के अनोखे इस मामले में कोर्ट के बाद सबसे ज्यादा तारीफ खुद एन प्रकाश की हो रही है. लोग कह रहे हैं जिन्हें जानवरों से प्रेम है वही उनका दर्द समझ सकते हैं.
I love that this man... As an animal lover I can feel the pain of animal. Thanks to the judge & for his judgement
— saroj nanda (@SarojNa84506857) April 7, 2020
खैर, अब जबकि ये मामला और इस मामले पर अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है तो इससे उन लोगों को ज़रूर बल मिलेगा जो एनिमल लवर थे और जो इस बात को लेकर परेशान थे कि यदि लॉक डाउन इसी तरह चलता रहा तो उनके जानवरों का क्या होगा? वहीँ बात अगर याचिकाकर्ता एन प्रकाश की हो तो उन्होंने भी उन तमाम लोगों को बल दिया है जो छोटी छोटी बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं और हिम्मत जिनका साथ छोड़ देती है.
कह सकते हैं कि ये मामला हर उस व्यक्ति के लिए किसी नजीर से कम नहीं है जो अपनों से ज्यादा दूसरों की फ़िक्र करते हैं और उनके लिए कुछ कर गुजरना स चाहते हैं. अंत में इस मामले में कोर्ट भी बधाई की पात्र है जिसने इस लॉक डाउन के दौरान जानवरों को हो रही परेशानियों के बारे में न सिर्फ समझा बल्कि उनका संज्ञान लेकर इंसान और जानवर दोनों के साथ पूरा न्याय किया.
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