मैंगलोर की चर्च पर भाजपा का झंडा फहराए जाने का सच जान लीजिए...
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया जा रहा है जिसके बारे में कहा गया है कि ये मेंगलुरु का वीडियो है जहां भाजपा के कार्यकर्ताओं ने जीत के बाद चर्च पर झंडे फहराने की कोशिश की. ये वीडियो 16 मई से देखा जा रहा है.
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चुनाव के बाद से कर्नाटक में हर घंटे स्थिति तेज़ी से बदल रही है. कभी लगता है कि येदियुरप्पा के हाथ लॉटरी लग गई तो कभी लगता है कि कुमारस्वामी ही अगले सीएम होंगे. भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस ने भी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया है. जहां सत्ता परिवर्तन की बात चल रही है वहीं कर्नाटक इलेक्शन से जुड़ी अफवाहों ने भी इंटरनेट पर अपना रुख करना शुरू कर दिया है.
पुराने वीडियो और फोटो शेयर की जा रही हैं. इसी कड़ी में पुराने वीडियो जिसमें भाजपा के खिलाफ धार्मिक अल्पसंख्यकों को परेशान करने और उनपर अत्याचार करने का आरोप लग रहा है. इसमें कर्नाटक के मेंगलुरु के कुछ चर्च दिखाए गए हैं. ये फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. लिखा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद का नज़ारा कुछ ऐसा है.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया जा रहा है जिसके बारे में कहा गया है कि ये मेंगलुरु का वीडियो है जहां भाजपा के कार्यकर्ताओं ने जीत के बाद झंडे फैराने की कोशिश की.
पूरी तरह से फेक खबर जो वायरल हो रही है
ये है वीडियो की असली डेट हालांकि, boomlive.in/ के फैक्ट चेक में सामने आया है कि ये वीडियो करीब 10 साल पुराना है और मेंगलुरु के ही सेंट सिबैस्टियन चर्च का है. ये वीडियो 16 मई 2018 से देखा जा रहा है और इसे मोहम्मद मोहसिन नाम के एक व्यक्ति ने पोस्ट किया है जो कांग्रेस का सपोर्टर है.
ये वीडियो हिंदू और इसाई समुदाय की झड़प का है. ये अगस्त 2008 से सितंबर 2008 के बीच का है जहां दो दर्जन चर्च और कई इसाई प्रार्थनाघरों पर हमला हुआ था. ये कर्नाटक के कई जिलों का वीडियो है जहां बजरंगदल ने हमला किया था. ये उड़ीसा में हिंदू लीडर की मौत के बदले के रूप में किया गया विरोध प्रदर्शन था (बूमलाइव की रिपोर्ट के अनुसार).
इतना ही नहीं भाजपा सरकार ने एक कमेटी भी बैठाई थी इन हमलों पर और जब कमेटी की रिपोर्ट आई तो इन हमलों के आरोपियों को बजरंग दल से निकालने का फैसला भी किया था, लेकिन 2013 में जब कांग्रेस पावर में आई तो कमेटी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया.
TV9 के लोगो के साथ एक और वीडियो क्लिप ट्विटर पर वायरल हो रही है जो बहुत पुरानी है और इसी तरह के कुछ दृश्य उसमें दिख रहे हैं. देखा जा सकता है कि पुलिस ने लोगों को हताहत कर दिया.
एक अन्य क्लिप इसी तरह की फेसबुक पर वायरल हो रही थी और यहां सेंट सिबैस्टियन चर्च के सामने पुलिस को दिखाया गया है. हालांकि, ये भी 2008 की रिपोर्ट है और Al Jazeera न्यूज चैनल पर दिखाया गया था.
मेंगलुरु के किसी भी चर्च पर कोई अटैक अभी नहीं हुआ है और कर्नाटक इलेक्शन ने अभी तक ऐसे किसी भी राजनीतिक दंगे अभी तक नहीं हुए हैं. ये वीडियो 10 साल पुराने हैं और जो जानकारी दी जा रही है वो भी गलत है.
बूम की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने भी इसकी पुष्टी कर दी है कि कोई भी ऐसा दंगा या किसी भी तरह का अटैक नहीं हुआ है चर्च पर और ये कोरी अफवाह है. एक और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसमें भाजपा के सपोर्टर एक और चर्च के सामने खड़े हैं. इस फोटो को ये कहकर वायरल किया जा रहा है कि हिंदू सपोर्टर इसाई कम्युनिटी को एक मैसेज भेजना चाहते थे.
*????????**St . Lawrence chu????rch**Bondel* , *Mangalore* Karnataka...*BJP* started their *"game"* from today after their *"victory"*...??? See how *"com????munal"* they can get with a *victory....???*Sad *"challenging"* days ahead....???*????????????????????* pic.twitter.com/5b0yLvjent
— samuel (@samuel5565) May 17, 2018
हां, ये फोटो मेंगलुरु के एक चर्च की ही है. और इलेक्शन के बाद की ही है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के सपोर्टरों ने कोई भी ऐसी हरकत नहीं की जिससे शांती भंग हो, उन्होंने खाली पटाखे जलाए थे.
लिंगायतों का चर्च.. न जी न..
अब बात करते हैं एक वायरल फोटो की जिसने ट्विटर पर अपना घर बना लिया है. ये फोटो है लिंगायत समुदाय के चर्च की. चौंकिए मत, लिंगायत हिंदुओं में ही आते हैं अभी तक और चर्च तो बिलकुल नहीं है इनका, लेकिन कर्नाटक इलेक्शन के बाद से ही इस तस्वीर ने भी अपना घर इंटरनेट पर बना लिया है. लिंगायत समुदाय का ये चर्च भी फेक है
इस फोटो में लिंगायतों का जो चर्च दिखाया गया है वो खाली फोटोशॉप की करतूत है और लिंगायत की अंग्रेजी की स्पेलिंग में ‘h’और जोड़ दिया गया है.
ये असल में फोटो एक ब्लॉग ‘Beautiful Indian Churches’ का हिस्सा है और ये कर्नाटक की भी नहीं है. ये चर्च है Our Lady of Dolours जो महाराष्ट्र में है. ये तस्वीर भी 2012 की है और ये पहली बार नहीं है जब लिंगायत और इसाई समुदाय के लोगों को जोड़ा गया है. ये पहले भी होता आया है. इसके पहले एक ईमेल जो बेंगलुरु के आर्चबिशप को भेजा गया था वो वायरल हो रहा था. उसमें लिखा गया था कि लिंगायतों को इसाई बना दिया जाए.
तो कुल मिलाकर कर्नाटक चुनावों में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जिसे दंगों का नाम दिया जाए. सोशल मीडिया पर न जाने कितनी ही तस्वीरें रोज़ वायरल होती हैं और इनपर आंख बंद कर यकीन करना सही नहीं है.
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