IAS साहब, सरकार को जनता की सेवा के लिए 'जोमैटो सर्विस' भी चलानी पड़ती है
आमतौर पर IAS अधिकारी ऐसी बातें कहते नजर आ ही जाते हैं. क्योंकि, आम जनता के सवाल उनकी हनक को कमजोर करने वाले होते हैं. और, गुस्सा भड़क ही जाता है. अंबेडकरनगर के डीएम (DM) सैमुअल पॉल के जोमैटो सर्विस वाले कमेंट से पहले बिहार की एक आईएएस अधिकारी हरजोत कौर भामरा भी एक छात्रा के सवाल पर भड़क गई थीं.
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सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर के डीएम सैमुअल पॉल का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो में आईएएस अफसर सैमुअल पॉल बाढ़ पीड़ितों को राहत शिविर की जानकारी दे रहे थे. आंखों पर एविएटर चश्मा डाले डीएम सैमुअल पॉल बाढ़ पीड़ितों से कहते हैं- 'यहां आपके रहने की व्यवस्था है. आपको क्लोरीन की गोलियां देंगे, कोई समस्या नहीं आएगी. अगर कोई बीमार है, तो डॉक्टर आकर देख लेगा. बाढ़ चौकी इसीलिए स्थापित होती है. बाढ़ चौकी का मतलब ये नहीं है कि आप अपने घर में रहेंगे. तो, हम आपको घर में खाना उपलब्ध कराएंगे. सरकार कोई जोमैटो सर्विस नहीं चला रही है.'
वैसे, इस तरह की असंवेदनशीलता कोई नई बात नहीं है. आमतौर पर IAS अधिकारी ऐसी बातें कहते नजर आ ही जाते हैं. क्योंकि, आम सी जनता के सवाल उनकी हनक को कमजोर करने वाले होते हैं. और, गुस्सा भड़क ही जाता है.
"The government is not running the Zomato service, which should do home delivery of relief supplies." DM Ambedkarnagar, Mr. Samuel Pal N tells flood victims. God only knows how many of these impoverished villagers are aware of the food delivery service the IAS officer mentioned. pic.twitter.com/YOTmYxH4zA
— अनुराग ?? (@VnsAnuTi) October 13, 2022
वैसे, हाल ही में बिहार की एक आईएएस अधिकारी हरजोत कौर भामरा भी एक छात्रा के सवाल पर भड़क गई थीं. उनसे भी छात्रा ने सवाल पूछ लिया था कि क्या सरकार हमें 20-30 रुपये के सैनिटरी पैड नहीं दे सकते? जिस पर आईएएस अफसर हरजोत कौर ने कहा था कि 'मांगों का कोई अंत नहीं है. आप कल कहेंगे कि सरकार जींस और अच्छे जूते उपलब्ध कराए. परसों जूते और अंत में परिवार नियोजन की बात आएगी तो निरोध (कंडोम) भी फ्री में देना पड़ेगा.' इस तरह की असंवेदनशीलता को देखकर कहना गलत नहीं होगा कि IAS साहब, सरकार को जनता की सेवा के लिए 'जोमैटो सर्विस' भी चलानी पड़ती है. क्योंकि, बाढ़ में फंसा कोई शख्स आपकी बाढ़ राहत चौकी तक हवा में उड़कर नहीं पहुंच जाएगा. उसे निकालने के लिए आपको उसके घर तक पहुंचकर ही सर्विस देनी होगी. क्योंकि, बाढ़ आने से पहले अपने आने की जानकारी जनता को नहीं देती है.
आम जनता के सवाल IAS अधिकारियों की हनक में खलल डाल देते हैं.
अगर कोई बाढ़ के डूब क्षेत्र में है, तो उसे वहां से निकालने की व्यवस्था की जगह उसे 'जोमैटो सर्विस' वाला ज्ञान दिया जाएगा. तो सरकार छोड़िए, इस देश के हर व्यवस्था से उसका भरोसा उठ जाएगा. वैसे, गांवों में बुनियादी सुविधाओं का क्या हाल है, ये एविएटर चश्मा लगाने से नहीं दिखाई देगा. उसके लिए हनक का चश्मा उतारना होगा. और व्यवहार में संवेदनशीलता लानी पड़ेगी. क्योंकि, भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहां राजशाही जैसी बातों पर जनता सिंहासन उखाड़ फेंकने में समय नहीं लगाती है. वैसे, संभव है कि कहीं आपका हाल भी दिल्ली के स्टेडियम में कुत्ता टहलाने वाले आईएएस दंपति जैसा न हो जाए.
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