सिगरेट वाली काली के पोस्टर का बचकाना बचाव है बीड़ी पीते 'शिव-पार्वती'!
एक एजेंडे के चलते अपनी दलीलों से लीना मनिमेकलाई देश को, देश की जनता को और हर उस आदमी को बेवकूफ बना रही है जो ईश्वर में यकीन रखता है. जिसके लिए आस्था दिल के करीब है.
-
Total Shares
मूर्खता फिर अक्खड़पन और अपने द्वारा दिए गए अधकचरे तर्क को जायज ठहराने के लिए दूसरा तर्क देकर फिल्ममेकर लीना मनिमेकलाई एक बार फिर सुर्खियां बटोर रही हैं. असल में काली विवाद में तीखी आलोचनाओं का सामना कर रही लीना ने फिर एक तस्वीर पोस्ट की है. तस्वीर में भगवान शिव और पार्वती बने दो कलाकार हैं जो पूरी तसल्ली के साथ बीड़ी के कश लगाते नजर आ रहे हैं. तस्वीर के जरिये लीना ने हिंदूवादी संगठनों और संघ परिवार को निशाने पर लिया है. लीना ने ट्वीट किया है कि बीजेपी के पेरोल पर काम करने वाली ट्रोल आर्मी को पता नहीं है कि फोक थिएटर आर्टिस्ट अपनी परफॉरमेंस के बाद कैसे रिलैक्स होते हैं. यह मेरी फिल्म से नहीं है. यह रोजमर्रा के ग्रामीण भारत से है जिसे ये संघ परिवार अपनी अथक नफरत और धार्मिक कट्टरता से नष्ट करना चाहते हैं. वहीं अपने ट्वीट में लीना ने इस बात को भी बल दिया कि हिंदुत्व कभी भारत नहीं बन सकता.
अपनी गलत बात को सही साबित करने के लिए अब लीना अक्खड़पन पर उतर आई हैं
लीना ने जो तर्क दिया है, वो उस आलोचना के बाद है. जिसका सामना उन्हें काली पोस्टर विवाद के बाद भारत भर में करना पड़ रहा है. बतौर फिल्मकार लीना की कारस्तानियों का जिक्र होगा. लेकिन उससे पहले हमें इस बात को समझना होगा कि चाहे वो लीना का वो पुराना ट्वीट हो जो उन्होंने पोस्टर लांच करते हुए किया या फिर उनका ये नया ट्वीट जिसमें उन्होंने पूर्व में कही अपनी बातों को वजन देने के लिए शिव पार्वती बने दो कलाकारों को बीड़ी का कश लगाते दिखाया. दोनों ही तस्वीरों और एक फिल्मकार के तौर पर लीना के विचारों में गहरा विरोधाभास है.
BJP payrolled troll army have no idea about how folk theatre artists chill post their performances.This is not from my film.This is from everyday rural India that these sangh parivars want to destroy with their relentless hate & religious bigotry. Hindutva can never become India. https://t.co/ZsYkDbfJhK
— Leena Manimekalai (@LeenaManimekali) July 7, 2022
सवाल ये है कि फिल्मकार से पहले एक नागरिक के तौर पर आखिर लीना धोखा किसे दे रही हैं? मां काली के समर्थन में सड़कों पर आए हिन्दुओं को? या फिर खुद अपने आप को? क्योंकि सारे विवाद की जड़ धर्म या ये कहें कि हिंदुत्व का उपहास करती दो तस्वीरें हैं तो इन दो तस्वीरों पर ही चर्चा कर ली जाए.
पहली तस्वीर - सिगरेट पीती मां काली
पहली तस्वीर वो तस्वीर है जो विवादों के घेरे में है और जिसके चलते न केवल देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं बल्कि कई स्थानों पर भावना आहत करने के उद्देश्य से लीना के खिलाफ एफआईआर भी हुई है. सबसे पहले तो हमें इस बात को समझना होगा कि इंटरनेट पर वायरल ये तस्वीर सिर्फ तस्वीर नहीं है क्योंकि ये फिल्म का पोस्टर भी है तो इसमें कुछ भी रैंडम नहीं है.
कैसे? आइये समझते हैं. जब भी कोई निर्माता या निर्देशक किसी फिल्म का निर्माण करता है और उसका पोस्टर लांच करता है. तो जाहिर है उसके लिए एक पूरा सेट अप तैयार किया जाता है. चाहे वो प्रोड्यूसर और डायरेक्टर हों या फिर एक्टर. कैमरामैन से लेकर मेकअप आर्टिस्ट, एडिटर, स्क्रिप्ट राइटर तक हर किसी को मालूम होता है कि क्या होने वाला है.
जिस वक़्त पोस्टर के लिए फोटो क्लिक करवाई जा रही थी जाहिर है सभी को पता था कि जिस थॉट पर काम हो रहा है वो नैतिक रूप से सही नहीं है. कहा ये भी जा सकता है कि ये पोस्टर उस एजेंडे का हिस्सा है जो लीना के दिमाग में चल रहा था और जिसका उद्देश्य साफ़ और सीधे रूप में हिंदू धर्म का अपमान करना था.
दूसरी तस्वीर - बीड़ी पीते हुए शिव और पार्वती
अब बात उस तस्वीर यानी बीड़ी पीते हुए शिव और पार्टी की जिसे लीना ने सिर्फ इसलिए पोस्ट किया ताकि उनकी बात माकूल लगे. जब हम इस तस्वीर को देखते हैं और इसका अवलोकन करते हैं तो कई बातें खुद न खुद साफ़ हो जाती हैं. साफ़ है कि दृश्य किसी गांव या छोटे कज्बे का है. इस तस्वीर में ज़रूर शिव और पार्वती अपनी परफॉरमेंस के बाद आराम के पलों में बीड़ी का कश लगा रहे हैं लेकिन ये प्री प्लांड नहीं है.
ऐसा बिलकुल नहीं था कि सिर्फ उस पल के लिए कोई सेट अप तैयार किया गया. कह सकते हैं कि वो पल शिव पार्वती बन बीड़ी पीने वाले कलाकारों के लिए सच में फुर्सत के पल थे. जिनकी तस्वीर को किसी ने लिया और आज वो लीना के जरिये एक गलत बात के समर्थन में जन जन तक पहुंच गयी है.
शिव पार्वती की बीड़ी पीती तस्वीर को केंद्र में रखकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर लीना कितने ही तर्क क्यों न दे दें लेकिन हकीकत यही है कि सिगरेट वाली काली के पोस्टर का बचकाना बचाव है बीड़ी पीते 'शिव-पार्वती.' और ये भी स्पष्ट है कि एक एजेंडे के चलते अपनी दलीलों से लीना देश को, देश की जनता को और हर उस आदमी को बेवकूफ बना रही है जो ईश्वर में यकीन रखता है. जिसके लिए आस्था दिल के करीब है.
कुल मिलाकर लीना को इस बात को समझना होगा कि उन्होंने जो किया है वो निंदनीय है. और बावजूद इसके अब जो वो कर रही है या ये कहें कि जिस तरह के तर्क उनकी तरफ से आ रहे हैं वो घृणित तो हैं ही साथ ही अक्खड़पन की पराकाष्ठा भी हैं.
ये भी पढ़ें -
Kaali Poster Controversy: अभिव्यक्ति की आज़ादी पर केवल हिन्दू धर्म की बलि क्यों?
जब माहौल खराब हो तो अखबार की बेकद्री में भी ईशनिंदा-बेअदबी नजर आ जाएगी!
अफसोस ये है कि मां Kaali को सिगरेट पीते एक औरत ने ही दिखाया है!
आपकी राय