Kaali poster: हिंदुओं को अपनी भावनाओं को स्थायी रूप से छुट्टी पर भेज देना चाहिए
वामपंथी विचारधारा के लोगों ने हिंदू धर्म के खिलाफ ऐसे हेट प्रोपेगेंडा फैलाने का ठेका ले रखा है. लीना मनिमेकलाई (Leena Manimekalai) भी इनसे अलग नही हैं. उन्हें मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी से दिक्कत होती है. लेकिन, मां काली को सिगरेट पीते (Kaali Movie Poster shows Goddess Smoking) हुए दिखाना उनके लिए रचनात्मक स्वतंत्रता का हिस्सा है.
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पहले खबर जान लीजिए कि सोशल मीडिया पर #ArrestLeenaManimekalai का ट्रेंड हो रहा है. मीना मनिमेकलाई को गिरफ्तार करने के लिए यूजर्स गृह मंत्रालय से लेकर पीएमओ तक को टैग कर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. वैसे, इस सोशल मीडिया ट्रेंड के पीछे वजह नई नहीं है. दरअसल, भारतीय फिल्मेकर लीना मनिमेकलाई ने एक डॉक्यूमेट्री फिल्म का पोस्टर शेयर किया है. जिसमें हिंदू धर्म की देवी मां काली को सिगरेट पीते दिखाया गया है. इस पोस्टर में मां काली के हाथ में एलजीबीटीक्यू समुदाय का झंडा भी दिख रहा है. डायरेक्टर, पोएट और ऐक्टर लीना मनिमेकलाई की इस डॉक्यूमेट्री फिल्म का नाम काली है. जिसके पोस्टर पर सोशल मीडिया पर लोग भड़क गए हैं. इन यूजर्स का मानना है कि लीना मनिमेकलाई ने हिंदू धर्म की देवी का अपमान किया है.
Super thrilled to share the launch of my recent film - today at @AgaKhanMuseum as part of its “Rhythms of Canada”Link: https://t.co/RAQimMt7LnI made this performance doc as a cohort of https://t.co/D5ywx1Y7Wu@YorkuAMPD @TorontoMet @YorkUFGS Feeling pumped with my CREW❤️ pic.twitter.com/L8LDDnctC9
— Leena Manimekalai (@LeenaManimekali) July 2, 2022
उदार होने के कुछ इनबिल्ट नुकसान हैं
उदयपुर और अमरावती में पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान पर लोगों के गले काटे जा रहे हों. और, नुपुर शर्मा का समर्थन करने वाले कई लोगों को 'सिर तन से जुदा' किये जाने की धमकी दी जा रही हो. तो, लीना मनिमेकलाई की ओर से हिंदुओं की भावनाओं के आहत होने की परीक्षा लेना बनता है. क्योंकि, जब सुप्रीम कोर्ट ही देश में हो रही हर घटना के लिए नुपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहरा चुका हो. तो, हिंदू समुदाय की भावनाओं के आहत होने से क्या ही फर्क पड़ता है. वैसे भी भारत में हिंदुओं की भावनाएं ऐसी हो चुकी हैं कि कोई भी ऐरा-गैरा आकर इन्हें आसानी से आहत कर देता है. लिखी सी बात है कि भारतीय फिल्मकार होने के नाते लीना मनिमेकलाई को ये अधिकार है कि वह अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल कर सकती हैं.
मनिमेकलाई की फिल्म काली का पोस्टर निश्चित रूप से हिंदू धर्म के लोगों की भावनाओं को आहत करने वाला है. लेकिन, ये एक ऐसी चीज है, जो हिंदू धर्म के लोगों को आजीवन झेलनी पड़ेगी. और, इसका कारण ये है कि उदार होने के कुछ इनबिल्ट नुकसान भी होते हैं. सोशल मीडिया पर विरोध के स्वर उठेंगे. संभव है कि धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए लीना मनिमेकलाई की गिरफ्तारी भी हो जाए. लेकिन, ये चीजें आगे भी अनवरत जारी रहेंगी. क्योंकि, भारत में वामपंथी विचारधारा के साथ सेकुलर और लिबरल वर्ग के लोग हिंदू धर्म के अपमान पर लीना मनिमेकलाई को समर्थन देने में कभी कमी नही करेंगे.
लीना मनिमेकलाई अच्छे से जानती हैं कि हिंदू धर्म के खिलाफ ऐसी चीजें करने से जान का खतरा तो नही ही है.
नारीवादियों का समर्थन मिलना तय!
भले ही लीना मनिमेकलाई की फिल्म काली का पोस्टर हिंदू धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है. लेकिन, इसे भारत में ही बहुत सी नारीवादियों का समर्थन मिलना तय है. लिखी सी बात है कि महिलाओं के अधिकारों की बात करने वाली ये नारीवादी महिलाएं हिंदू धर्म की देवी मां काली के अधिकारों की सुरक्षा के लिए किसी से भी भिड़ने को तैयार हो जाएंगी. संभव है कि इस पोस्टर पर नारीवादियों की ओर से तर्क दे दिया जाए कि जब भगवान शिव धूम्रपान करते हैं, तो मां काली से ये अधिकार क्यों छीना जाना चाहिए? ये अलग बात है कि फिल्म में हिंदू धर्म की देवी मां काली का किरदार ही हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए चुना गया है. लेकिन, इससे क्या ही फर्क पड़ता है? जरूरी तो ये है कि मां काली को धूम्रपान का अधिकार मिले.
सिनेमाई आजादी के समर्थक होंगे साथ
भारत में एक बड़ा वर्ग है, जो सिनेमाई आजादी और रचनात्मकता का समर्थक है. और, मां काली को सिगरेट पीते देखना सिनेमाई आजादी का ही प्रतीक कहा जाएगा. क्योंकि, कला को मिलने वाली इसी रचनात्मक स्वतंत्रता से भगवान शिव को टॉयलेट तक दौड़ाया जा सकता है, तो मां काली को सिगरेट पीते दिखाना कौन सी बड़ी बात है? मॉर्डन आर्ट और फ्री स्पीच की के नाम पर हिंदू देवी-देवताओं के साथ इस तरह की चीजें लंबे समय से की जा रही हैं. और, सिनेमाई आजादी के समर्थक लीना मनिमेकलाई के इस कदम को सेलिब्रेट जरूर करेंगे.
मेरी राय
वैसे, इस पोस्टर को देखने के बाद यही कहा जा सकता है कि हिंदुओं को अपनी भावनाओं को स्थायी रूप से छुट्टी पर भेज देना चाहिए. क्योंकि, इस मामले में अगर किसी की भावनाएं भड़क गईं. और, उसने उदयपुर और अमरावती जैसा रास्ता अख्तियार कर लिया. तो, ही सुप्रीम कोर्ट की इसका स्वत: संज्ञान ले सकता है. वरना, ऐसी चीजें तो न जाने कितने सालों से चली आ रही हैं. वैसे, लीना मनिमेकलाई खुद को नास्तिक बताते हुए इस मामले से खुद को बचा ले जाएंगी. और, उनके लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाने वालों की कोई कमी नहीं होगी.
अब हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने पर 'सिर तन से जुदा' जैसी धमकी मिलती नहीं है. तो, ज्यादा से ज्यादा क्या ही होगा. गिरफ्तार होने के बाद तुरंत ही जमानत भी हो जाएगी. क्योंकि, वामपंथी एजेंडा चलाने वाली लॉबी लीना मनिमेकलाई के लिए अपने संसाधनों के इस्तेमाल में पीछे नही रहेगी. महिला के उत्पीड़न की बात कहकर लीना के पक्ष में देश-विदेश की मीडिया में बड़े-बड़े लेख लिखे जाएंगे. और, हिंदू धर्म के साथ भारत को भी कोसा जाएगा. क्योंकि, वामपंथी विचारधारा का एजेंडा ही यही है कि खुद को प्रगतिवादी दिखाते हुए केवल हिंदू धर्म को निशाने पर रखो.
खैर, लीना मनिमेकलाई की फिल्म काली के इस पोस्टर के लिए भी नुपुर शर्मा को ही जिम्मेदार मानकर मामले को भुलाना ही बेहतर है. क्योंकि, भारत में फिलहाल ईशनिंदा कानून नहीं है. हां, हिंदू चाहें तो इस बात पर विरोध कर सकते हैं कि सिगरेट पीना गलत है और इससे कैंसर होता है. इससे इतर देवी-देवताओं के अपमान पर के लिए इसका विरोध नहीं किया जा सकता है. वैसे, अहम सवाल यही है कि आखिर लीना जैसों को अपनी बात कहने के लिए किसी हिंदू देवी-देवताओं की जरूरत ही क्यों पड़ती है?
...और चलते-चलते शिव अरूर की ये टिप्पणी भी सुन लीजिये-
“I’m not offended by the Kaali poster. But @LeenaManimekali knows that her free choice of Kaali, as opposed to a figure from any other religion, is precisely why she has nothing to fear. I wish her the very best for her film.”My take on the Kaali film poster: pic.twitter.com/MI0AhJYI9G
— Shiv Aroor (@ShivAroor) July 4, 2022
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