ममता बनर्जी ने momo बनाया है फिर Twitter पर चटनी बनी, तीखी और खट्टी!
ममता दार्जिलिंग में हैं और जिस तरह उन्होंने मॉर्निंग वाक के दौरान एक स्टॉल पर खड़े होकर मोमो बनाए हैं चर्चा इसलिए भी होनी थी क्योंकि बीरभूम मामला ममता के गले की हड्डी बन गया है और वो भाजपा से तीखी आलोचनों का सामना कर रही हैं.
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हम आप भले ही शान में कसीदे रच लें लेकिन बुद्धिजीवियों के बीच 'चाय' क्लीशे है. इतिहास गवाह रहा है कि कई अहम चर्चाएं कॉफी पर हुई हैं. ब्लैक कॉफी. फिर हमने 2014 का वो दौर देखा जब राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की बदौलत कॉफी साइडलाइन हुई. चाय ट्रेंड में आई. और ये चाय पर चर्चा ही थी जिसके बाद नरेंद्र मोदी को हमने भारत का प्रधानमंत्री बनते देखा. इस स्क्रिप्ट को लिखे हुए 8 साल हो चुके हैं. क्योंकि पीएम मोदी की देखा देखी पक्ष-विपक्ष के हर दूसरे नेता ने चाय पिलाकर चर्चा की है इन आठ सालों में ये आईडिया फिट गया है. यूं भी परिवर्तन दुनिया का दस्तूर है. अच्छा क्योंकि देश की आबादी में एक बड़ी संख्या युवाओं की है तो अगर कोई मोमो के जरिये यूथ का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है या उन्हें रिझा रहा है तो फिर बात होनी ही चाहिए. देश की राजनीति में मोमो चर्चा में है. मोमो कैसे चर्चा में आया वजह अपने दार्जलिंग दौरे पर गयीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी हैं. पीएम नरेंद्र मोदी की ‘चाय पर चर्चा’ की तर्ज पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ‘मोमो विद ममता’ के माध्यम से चर्चा बटोर रही हैं.
जैसा कि हम बता चुके हैं ममता दार्जिलिंग में हैं और जिस तरह उन्होंने मॉर्निंग वाक के दौरान एक स्टॉल पर खड़े होकर मोमो बनाए हैं चर्चा इसलिए भी होनी थी क्योंकि बीरभूम मामला ममता के गले की हड्डी बन गया है और वो भाजपा से तीखी आलोचनों का सामना कर रही हैं. ममता मोमो बना चुकी हैं और मामले को लेकर जैसा लोगों का रुख सोशल मीडिया पर है वहां चटनी बनाने की कवायद तेज हो गयी है. जो तीखी और खट्टी से लेकर मीठी तक सब हैं.
मोमो विद ममता जीटीए चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सियासी हथकंडा है
इंटरनेट पर जो वीडियो वायरल हुआ है यदि उसपर नजर डालें तो मिलता है कि दार्जिलिंग गयीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता मॉर्निंग वॉक पर निकली जो बाद में सड़क किनारे लगे एक मोमो स्टाल पर रुक गयीं. आसपास के लोग तब सच में हैरत में पड़ गए जब उन्होंने ममता को न केवल स्टॉल पर खड़े लोगों से बातें करते बल्कि मोमो बनाते देखा.
#WATCH पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग में मॉर्निंग वॉक पर जाते समय एक सड़क किनारे लगी स्टॉल पर मोमो बनाया. pic.twitter.com/Ovg6DESGUw
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 31, 2022
वादियों को निहार रहीं ममता बनर्जी का जो रूप या ये कहें कि अंदाज दार्जिलिंग में दिख रहा है उसने लोगों को हैरत में डाल दिया है. ममता बाजार में लोगों के बीच हैं. कहीं वो छोटे बच्चों का दुलार कर रही हैं तो वहीं उनकी वो फुटेज भी सामने आई है जिसमें वो लोकल्स की न केवल समस्याएं सुन रही हैं बल्कि उनका निपटारा करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित भी कर रही हैं.
ध्यान रहे बंगाल में दार्जिलिंग में GTA (गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन) के चुनाव हैं और माना यही जा रहा है कि वहां ममता की उपस्थिति उसी कयावद का हिस्सा है. अभी बीते दिनों ही ममता बनर्जी ने जीटीए चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ बैठक की है और हमेशा ही तरह भाजपा पर बड़ा और तीखा हमला किया है.
दार्जिलिंग में भाजपा पर निशाना साधते हुए ममता ने कहा है कि चुनाव आते ही एक पार्टी (बीजेपी) दार्जिलिंग आती है और इधर-उधर बताकर वोट लेकर चली जाती है. लेकिन, इसके बाद उस पार्टी का कुछ अता-पता नहीं लगता है. वहीं सीएम ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि, 'आपको दिल्ली का लड्डू नहीं दार्जिलिंग, कुर्सियांग, मिरिक का लड्डू चाहिए.'
वहीं, अभी हाल ही में हुई बीरभूम हिंसा पर अपना पक्ष रखते हुए ममता बनर्जी ने इसके लिए भी भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि भाजपा वाले खुद ही आग जलाते हैं और खुद ही हंगामा करते हैं. सीएम ममता ने कहा कि भाजपा का पश्चिम बंगाल और राज्य की जनता से कोई रिश्ता नहीं है. केवल एक ही काम है कि ‘हिंसा-हिंसा’ बोलकर पश्चिम बंगाल को बदनाम करो.
खुद को बेगुनाह साबित करते हुए भाजपा पर कीचड़ उछालने वाली ममता बनर्जी बंगाल में किस तरह के 'सुशासन' को कायम कर रही हैं इसका साक्षी देश है. लेकिन क्योंकि बात ममता के सुबह सुबह स्टाल पर खड़े होकर मोमो बनाने से शुरू हुई है. तो जैसा अंदाज है और जिस तरह ठीक ठाक दिनों के लिए ममता ने दार्जिलिंग में डेरा डाला हुआ है. इसे उस पॉलिटिकल टूरिज्म का दर्जा दिया जा सकता है जिसमें किसी राजनेता का एकमात्र उद्देश्य लोगों के बीच रहना, उन्हें अपना कहना और उनका वोट हासिल करना है.
बात सोशल मीडिया की भी हुई तो वहां भी जैसा लोगों का ममता के मोमो को लेकर अंदाज है वो खासा मजेदार है. जो ममता के समर्थक हैं उनके तर्क अलग हैं. वहीं जो विरोधी हैं वो अपने जायके के हिसाब से ममता के मोमो पर पैनी नजरें बनाए हुए हैं.
#WATCH पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग में मॉर्निंग वॉक पर जाते समय एक सड़क किनारे लगी स्टॉल पर मोमो बनाया. pic.twitter.com/Ovg6DESGUw
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 31, 2022
ट्विटर पर तमाम यूजर ऐसे भी हैं जो ममता के इस मोमो को हिंदू और मुस्लिम के रंग में रंगने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं.
Hinduon Ka Khoon Hoga Dhyan se dekho
— Abhi Dwivedi (@SaveTreeearth) March 31, 2022
यूजर्स ये भी कह रहे हैं कि अगर आज ममता ने मोमो पर हाथ साफ़ किये हैं तो क्या? ये उनके लिए कोई नया थोड़े ही है.
Kon si badi bat hai, bangaliyon ka mamu bhi to bana rakha hai isne
— anshul gupta (@zxyansh) March 31, 2022
सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि हमें वीडियो बहुत ध्यान से देखने की जरूरत हैं. यदि वीडियो देखें तो ममता मोमो नहीं बल्कि मुर्ख बना रही हैं.
'मामा' बना रही होंगी वो वहाँ की जनता को
— कमल केसरी (@KamalKesari1) March 31, 2022
बहरहाल ममता का ये ‘मोमो विद ममता’ वाला अंदाज दार्जिलिंग में होने वाले GTA चुनाव को ध्यान में रखकर है. जब तक चुनाव है मोमो गर्म है चुनाव ख़त्म होते ही मोमो ठन्डे बस्ते में और ममता वापस कोलकाता पहुंच जाएंगे. बाकी जिस तरह मोमो की आड़ में ममता बनर्जी ने वोटों के लिए दार्जिलिंग की जनता को रिझाने की चाल चली है मशहूर शायर राहत इंदौरी का एक शेर यूं ही जेहन में आ गया. शेर कुछ यूं है कि
सियासत में ज़रूरी है रवादारी समझता है
वो रोज़ा तो नहीं रखता पर अफ़तारी समझता है.
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