सावरकर के माफीनामे पर दूध का दूध, पानी का पानी हो जाना चाहिए...
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने वीर सावरकर (Veer Savarkar) की दया याचिका को लेकर दावा किया है कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने उन्हें इस बाबत सलाह दी थी. जिसके बाद सोशल मीडिया पर इतिहासकारों के बीच एक अलग ही बहस छिड़ गई.
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आजाद भारत में अगर वीर सावरकर (Veer Savarkar) को सबसे विवादित चरित्र कहा जाए, तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगा. सावरकर (Savarkar) को लेकर राजनीतिक दलों से लेकर विचारधारा विशेष के इतिहासकारों (Historians) ने इतना कुछ और ऐसे तर्क और तथ्य गढ़ दिये हैं, जिनके सहारे उन्हें अंग्रेजों से माफी मांगने वाला और कट्टर हिंदूवादी (Hindutva) चेहरा साबित करने की कोशिश की जाती रही है. 'क्या सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी?' दशकों से इस सवाल को विवादास्पद बनाए रखा गया है.
ये सवाल एक बार फिर से चर्चा में हैं. और, उससे भी ज्यादा सुर्खियों में हैं वामपंथी इतिहासकार इरफान हबीब (Irfan Habib) का वो जवाब, जो उन्होंने इस मामले पर दिया है. दरअसल, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) पर लिखी गई किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा कि वीर सावरकर के बारे में एक झूठ फैलाया जाता है कि उन्होंने बार-बार ब्रिटिश हुकूमत के सामने आजीवन कारावास की सजा को खत्म करने के लिए माफीनामा भेजा था. लेकिन, सच ये है कि उन्होंने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के कहने पर दया याचिका डाली थी. सावरकर ने ये दया याचिका कैदी के अधिकार के तहत पेश की थी.
वीर सावरकर की ब्रिटिश हुकूमत को दी गई दया याचिका को महात्मा गांधी से जोड़कर एक नई बहस को जन्म दे दिया गया है.
विनायक दामोदर सावरकर को लेकर किये गए इस दावे से नेताओं से लेकर इतिहासकारों के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. आइए इस बहस पर एक नजर डाल लेेते हैं.
सबके अपने-अपने दावे
राजनाथ सिंह के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए जाने-माने वामपंथी पत्रकार इरफान हबीब ने ट्वीट करते हुए लिखा कि महात्मा गांधी के जिस पत्र की बात की जा रही है, वह उनकी उदारता को दर्शाता है. उन्होंने सावरकर बंधुओं को लेकर कहा था कि ये साफ है कि वे दोनों ब्रिटिश सरकार से आजादी नहीं चाहते हैं. इसके ठीक उलट, उन्हें लगता है कि अंग्रेजों के साथ मिलकर भारत की नियति को अच्छा बनाया जा सकता है.
The letter Gandhi wrote speaks about his generosity, he says about Savarkars "They both state unequivocally that they do not desire independence from the British connection. On the contrary, they feel that India's destiny can be best worked out in association with the British." https://t.co/j8MAPDfEAX
— S lrfan Habib (@irfhabib) October 13, 2021
इरफान हबीब ने एक अन्य ट्वीट करते हुए कहा कि हां, मोनोक्रोमैटिक इतिहास लेखन सच में बदल रहा है. इसका नेतृत्व वो मंत्री कर रहे हैं, जो दावा करते हैं कि गांधी ने सावरकर को दया याचिका लिखने के लिए कहा था. कम से कम अब तो यह मान लिया गया है कि उन्होंने पत्र लिखा था. जब मंत्री दावा करते हैं, तो किसी दस्तावेजी साक्ष्य की आवश्यकता नहीं होती है. नए भारत के लिए नया इतिहास.
Yes, monochromatic history writing is really changing, led by the minister who claims Gandhi asked Savarkar to write mercy petitions. At least it is accepted now that he did write. No documentary evidence needed when minister makes a claim. New history for New India.
— S lrfan Habib (@irfhabib) October 13, 2021
इरफान हबीब की इस टिप्पणी पर दक्षिणपंथी इतिहासकार और वीर सावरकर की बायोग्राफी लिखने वाले डॉ. विक्रम संपत ने ट्वीट कर तंज कसते हुए लिखा कि विख्यात इतिहासकार और दस्तावेजी साक्ष्य. वे हर दिन सार्वजनिक रूप से खुद को शर्मिंदा क्यों करते हैं? और, फिर भी अपने लिए सम्मान की मांग करते हैं? आपको कुछ गुणवत्ता से भरा काम करके सम्मान पाना चाहिए, है ना? डॉ. विक्रम संपत ने अपने एक अन्य ट्वीट में इरफान हबीब को बौद्धिक रूप से बेईमान आदमी बता दिया. संपत के अनुसार, इरफान हबीब ने स्वीकार किया कि ऐसा कोई पत्र है. लेकिन, वह इसे गांधी की उदारता बता रहे हैं.
Look at this intellectually dishonest man now accepting the letter exists, it's Gandhi's generosity but picking holes in it by selective quoting, not adding Gandhi endorsed their not wanting British rule to go away & their "published expression of views to be taken at face value" https://t.co/Tas8Q5IdD1 pic.twitter.com/GEXdDcZCBr
— Dr. Vikram Sampath, FRHistS (@vikramsampath) October 13, 2021
विक्रम संपत ने सिलसिलेवार ट्वीट में इरफान हबीब पर हमलावर होते हुए कहा कि जो भी गिरगिट की तरह रंग बदलने के लिए क्रैश कोर्स या गोल पोस्ट्स बदलना सीखना चाहते हैं. तो, केवल किसी वामपंथी इतिहासकार के साथ भिड़ जाओ. आपको जिंदगी भर के लिए सीख मिल जाएगी. बेशर्म.
For anyone needing a crash course on how to keep changing colors like a chameleon or shift goal posts u just have to engage with a Leftist historian even for a brief while. You will be trained for life to do convenient somersaults & couch it in sophistry! Shameless. https://t.co/WpukFYQE06
— Dr. Vikram Sampath, FRHistS (@vikramsampath) October 13, 2021
विक्रम संपत के इस जवाब से तिलमिलाये इरफान हबीब ने ट्वीट कर लिखा कि जब आप गलत इतिहास बताते हुए पकड़े जाते हैं, तो ऐसा ही व्यवहार करते हैं. ऐसे किसी भी मामले में बचाव का ये सबसे आसान तरीका है कि वामपंथ ने झूठ फैलाया है.
This is how you react when you are caught misinterpreting history. Merely abusing the left won’t work. In any case this is the only safe refuge left to peddle lies. https://t.co/qOIsKmS4es
— S lrfan Habib (@irfhabib) October 13, 2021
इस पर विक्रम संपत ने कटाक्ष करते इरफान हबीब पर इतिहास की गलत व्याख्या करने का आरोप लगा दिया.
The chronology of your own tweets, shifting of goal posts, selective quoting & peddling lies in public amply proves to any sane person abt who is misinterpreting history here. Other than ad hominem attacks against me there's no justification you can give. I feel sorry for you! https://t.co/t8LOXVRIhI
— Dr. Vikram Sampath, FRHistS (@vikramsampath) October 13, 2021
इरफान हबीब ने इस पर जवाब देते हुए लिखा कि आप फिर से झूठ बोल रहे हैं. इस विवाद को आपने शुरू किया और मैंने जवाब दिया.
The chronology of your own tweets, shifting of goal posts, selective quoting & peddling lies in public amply proves to any sane person abt who is misinterpreting history here. Other than ad hominem attacks against me there's no justification you can give. I feel sorry for you! https://t.co/t8LOXVRIhI
— Dr. Vikram Sampath, FRHistS (@vikramsampath) October 13, 2021
खैर, इन दोनों इतिहासकारों के बीच छिड़ी इस जंग के बीच एक यूजर ने गांधी आश्रम सेवा ग्राम की वेबसाइट पर छपा महात्मा गांधी का वो पत्र शेयर किया. जिसमें महात्मा गांधी ने 1920 में सावरकर बंधुओं का नाम लेते हुए यंग इंडिया में लिखा था. जिसके आधार पर दावा किया गया कि गांधी ने वीर सावरकर को ब्रिटिश हुकूमत के आगे दया याचिका लगाने के लिए कहा था. यंग इंडिया में महात्मा गांधी का वो पत्र आप यहां देख सकते हैं...
यंग इंडिया में गांधी ने सावरकर बंधुओं के नाम से यह पत्र लिखा था.
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