मोदी सरकार के विरोध में उतरे आर्कबिशप का बात कहने का तरीका और माध्यम सरासर गलत है!
दिल्ली के आर्कबिशप ने लोकसभा चुनाव को लेकर जिस तरह पत्र लिखा उससे साफ है कि कहीं न कहीं धर्म की आड़ लेकर वो अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं. बहरहाल आम लोगों द्वारा इस मुद्दे पर उनकी आलोचना शुरू हो गयी है और उन्हें आड़े हाथों लिया जा रहा है.
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2014 के लोकसभा चुनाव से पहले की बात है. देश में ऐसे कम ही लोग थे जो पीएम मोदी से परिचित थे. कह सकते हैं कि तब देश में पीएम मोदी को जानने वाले लोगों की संख्या उतनी ही थी जितना दाल में नमक होता है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आए और पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में बोलना शुरू किया लोगों को उनमें उम्मीद की एक किरण दिखाई दी. देश के एक बड़े वर्ग को लगा कि निश्चित तौर पर ये आदमी देश बदलने की सामर्थ्य रखता है और इसके पास विजन है. चुनाव हुए और नतीजे आए. मालूम चला कि देश के लोगों ने पीएम मोदी और उनकी नीतियों को हाथों हाथ लिया है.
2014 से 2018 तक के इन चार सालों का यदि अवलोकन करें तो मिलेगा कि प्रधानमंत्री के सत्ता संभालने के बाद देश साफ तौर पर दो वर्गों में विभाजित हो गया है. एक वर्ग उनका समर्थक है. ये वो वर्ग है जो अपने पीएम पर आंख मूंद के भरोसा करता है. उनकी नीतियों की सराहना करता है. दूसरा इस देश का वो वर्ग है जो, मौका चाहे जो भी है इसी फिराक में रहता है कि उसे ऐसा क्या मिल जाए जिसके दम पर वो पीएम और उनकी नीतियों की आलोचना कर सके.
आर्कबिशप ने सभी पादरियों को देश की स्थिति के बारे में कहते हुए एक पत्र लिखा
बात जब मोदी विरोध की आ रही है तो दिल्ली के आर्कबिशप को देखकर लगता है कि वो एक ऐसे व्यक्ति है जो उस दूसरे वर्ग से हैं. जिसका एकमात्र उद्देश अपने प्रधानमंत्री को नीचा दिखाना और उसका विरोध करना है. दिल्ली के आर्कबिशप ने प्रधामंत्री और भाजपा को लेकर एक चिट्ठी लिखी है, जिसके बाद वो विवादों के घेरे में आ गए हैं. देश के तमाम पादरियों से मुखातिब अपनी चिट्ठी में आर्कबिशप अनिल काउटो ने "नरेंद्र मोदी की सरकार दोबारा न बन पाए" इसके लिए दुआ करने का आग्रह किया है. इसी के साथ उन्होंने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को अशांत बताया है.
देश भर के पादरियों को संबोधित अपनी चिट्ठी में आर्कबिशप ने लिखा है कि, हम अशांत राजनीतिक माहौल में जी रहे हैं. लोकतांत्रिक सिद्धांत और धर्मनिरपेक्ष ताना बाना खतरे में है. देश और राजनेताओं के लिए प्रार्थना करना हमारी परंपरा है. आम चुनाव आने वाले हैं ऐसे में ये हमारे लिए और भी जरूरी हो जाता है. बिशप ने कहा कि ईसाई समुदाय विशेष कर शुक्रवार को देश के लिए प्रार्थना करें. इसके अलावा बिशप ने पादरियों से अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए प्रार्थना के अलावा उपवास रखने के लिए भी कहा है.
आर्कबिशप की इस चिट्ठी को अगर ध्यान से देखें तो मिलता है कि इसके पीछे उनकी एक गहरी राजनीति है. एक ऐसी राजनीति, जिसके दम पर देश जोड़ने के नाम पर वो न सिर्फ देश तोड़ने का काम कर रहे हैं बल्कि अपने समुदाय को बरगला रहे हैं और उनके बीच एक बेवजह का डर पैदा कर रहे हैं. आम चुनाव आने से पहले धर्म की आड़ लेकर जिस तरह से आर्कबिशप ने ये चिट्ठी लिखी है उससे इतना तो तय है कि आने वाले वक़्त में इस चिट्ठी के परिणाम बेहद घातक होंगे.
आर्कबिशप की चिट्ठी गहरी राजनीति की तरफ इशारा कर रही है
गौरतलब है कि मोदी विरोध के चलते आए रोज जिस तरह से आलोचकों द्वारा नए-नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, वो बता रहे हैं कि इन चंद धर्म के ठेकेदारों के चलते देश की अस्मिता खतरे में है. एक ऐसे दौर में जब देश के लोगों में अलग-अलग मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है आर्कबिशप का ये पत्र कई मायनों में विचलित करने वाला है. कहा जा सकता है कि अपने इस पत्र से पहले आर्कबिशप को कम से कम एक बार इस बात को गहनता से सोचना था कि यदि उनके खत से प्रभावित होकर हिन्दू कट्टरपंथी भी पत्र लिखने लगे तो उसका अंजाम क्या होगा?
बहरहाल, सोशल मीडिया पर लोग आर्कबिशप के इस पत्र पर खुल कर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. यदि उन प्रतिक्रियाओं पर नजर डालें तो मिल रहा है कि देश के लोग बिल्कुल भी आर्कबिशप की बात से इत्तेफाक नहीं रखते. लोग भी इस बात से सहमत हैं कि ये आर्कबिशप की एक खतरनाक चाल है जिसके दम पर वो केवल अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं.
ट्विटर सेलेब्रिटियों में शुमार शेफाली वैद्य ने आर्क बिशप को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि जब कांची के शंकराचार्य धर्मान्तरण के खिलाफ बोलते हैं तो वह सांप्रदायिक होता है. लेकिन दिल्ली के आर्कबिशप कह रहे हैं कि एक "सेक्युलर सरकार" चुनने के लिए ईसाई हर शुक्रवार प्रार्थना करें वो अल्पसंख्यक अधिकार हैं. अच्छा लगा.
So when the Kanchi Shankaracharya speaks against conversions, he is being communal. But Delhi Archbishop Anil Coutinho asking ‘Christians to pray every Friday’ to elect a ‘secular govt’ and for ‘spreading the gospel in India’ is standing up for ‘minority rights’! Nice.
— Shefali Vaidya (@ShefVaidya) May 21, 2018
वहीं ट्विटर पर जिग्ग्स नाम के यूजरनेम ने बड़े ही मजाहिया अंदाज में आर्कबिशप को जवाब दिया है और कहा है कि अगर ऐसा ही रहा तो बीजेपी 50 सालों तक सत्ता में रहेगी.
The Archbishop of Delhi has infact appealed to all Indics (Hindus, Sikhs, Jains, Buddhist, Tribals) to ensure that BJP wins big in 2019.
So fellow Indics says "Amen" and let's honor the Archbishop and establish a base for 50 year BJP Govt all over India.
— Jiggs ???? (@Sootradhar) May 21, 2018
संघ विचारक राकेश सिन्हा ने भी आर्क बिशप की इस बात को गंभीरता से लिया है और अपने खास अंदाज में इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
ऐसा प्रतीत होता है archbishop और @RahulGandhi दोनो के बयान का श्रोत एक ही है दोनो का मक़सद भी एक ही है दोनो लोगों को भ्रमित करना चाहते हैं
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) May 22, 2018
महेश नाम के यूजर नेम ने ट्विटर पर इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देकर बता दिया है कि आखिर आर्कबिशप प्रधान मंत्री और उनकी नीतियों से इतना परेशान क्यों हैं.
Delhi archbishop is not alone , thousands of churches across the country are praying for the downfall of Modi sarkaar. You know over 16000 fake NGOs sourcing funds for conversion have been banned. Now you know where the shoe pinches ?
— Madhav (@mahesh10816) May 21, 2018
@royally_fiery का भी ट्वीट इस मुद्दे पर गौर करने वाला है.
Modi government rescued Church priest Tom Uzhunnalil in Yemen and 46 nurses in IRAQ from ISIS captivity.
Today, archbishop of Delhi calls for prayer to stop Modi in 2019. Return gift, perhaps.
By the way, has Tom spoken up?
— MaharaniOnWheels (@royally_fiery) May 21, 2018
ट्विटर पर लोग लगातार इस मुद्दे पर आर्कबिशप की आलोचना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने ये किया निश्चित तौर पर गलत किया.
Delhi Archbishop Anil JT Couto calls to perform Eucharistic adoration nationwide on every Friday until the 2019 elections to defeat Hindu Forces & to save Secular fabric of Nation.
— Prashant P. Umrao (@ippatel) May 20, 2018
ट्विटर पर सुनंदा वसिष्ठ का भी ट्वीट एक समझदारी भरा ट्वीट कहा जाएगा जिसमें बड़े ही साफ सुथरे लहजे में आर्कबिशप की आलोचना की गयी है.
I welcome Delhi Archbishop’s call to his followers.. Such clarity of purpose should always be appreciated and replicated. Polarization should always be replied with massive counter polarization.
— Sunanda Vashisht (@sunandavashisht) May 22, 2018
सोनम महाजन के ट्वीट से भी साफ है कि वो भी आर्क बिशप की बात से सहमत नहीं हैं और उन्होंने बड़े ही तीखे शब्दों में उनकी आलोचना की है.
I hope, the archbishop of Delhi also writes a letter about this to all his brothers and sisters. Please observe a day of fast every Friday of the week and offer penance for the spiritual renewal of this beautiful world, polluted by pedophiles. pic.twitter.com/1wIUBhau7b
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) May 22, 2018
खैर सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लोगों के ट्वीट देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि जहां एक तरफ वो आर्कबिशप की बात से खफा हैं. तो वहीं उन्हें हैरानी भी है कि कैसे प्रधानमंत्री और उनकी नीतियों का विरोध करने के लिए एक धर्मगुरु ने अपने धर्म को अपना हथियार बनाया है जिससे वो सारे समुदाय को बरगलाने का काम कर रहा है.
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