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Updated: 26 अक्टूबर, 2017 08:45 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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यौन उत्पीड़न अब एक ऐसा मुद्दा बनता जा रहा है जो समाज के एक घिनौने पहलू को दिखा रहा है. इन दिनों सोशल मीडिया पर लगभग हर रोज एक नई जंग छिड़ जाती है. जब से हार्वी विंस्टन का केस सामने आया है तब से फिल्म जगत के बड़े-बड़े नाम अपनी अपनी जिंदगी के वो किस्से सामने लेकर आए जब उन्हें भी यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था.

इसी के साथ एक #Metoo कैंपेन भी सामने आई जिसमें न जाने कितनी महिलाओं ने अपनी कहानी सुनाई. इसी के बाद ये किस्सा शुरू हुआ कि आखिर वो कौन लोग हैं जो ऐसे हैरेसमेंट करते हैं.

सोशल मीडिया, हिम टू, सेक्शुअल हैरेसमेंट

अब इसी कड़ी में अब #Himtoo कैंपेन भी आ गई है. इसकी शुरुआत हुई एक अमेरिकी एकैडमिक सी क्रिस्टीन फेयर से जिसने अपनी अग्निपरीक्षा के बारे में बताया जब वो स्टूडेंट थी. 19 अक्टूबर को एक वेबसाइट के लिए एक आर्टिकल लिखा था और उसमें शिक्षा जगत से जुड़े कई बड़े नाम लिखे थे इसमें एक भारतीय भी था. इसे वेबसाइट से हटा लिया गया, लेकिन सोशल मीडिया पर अब #Himtoo कैंपेन तो आ ही गया है.

अब फेसबुक पर एक वकील राया सरकार ने एक नई पहल की है. अपनी एक पब्लिक पोस्ट में राया ने एकैडमिक्स से जुड़े लोगों के नाम लिखे हैं और कहा है कि ये सेक्शुअल हैरेसमेंट कर चुके हैं. पोस्ट में राया ने लोगों से ये अपील भी की है कि वो उन्हें मैसेज कर ऐसे लोगों के नाम बताएं और राया इस लिस्ट में उन सभी नामों को जोड़ देंगी.

राया की ये लिस्ट जो 2 नामों से 24 अक्टूबर को शुरू हुई थी अब तक 61 नामों तक पहुंच चुकी है और ये और आगे बढ़ सकती है.

इस लिस्ट में सभी ऐसे नाम हैं जो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. इस लिस्ट को बढ़ते देख ऐसा लग रहा है कि चाहें चकाचौंध भरी फिल्म इंडस्ट्री हो या फिर शांत से दिखने वाले शिक्षा से जुड़े लोग. हर जगह शिकारी छुपे हुई हैं. इस कैंपेन से एक और बात सामने आई है. राया की लिस्ट ने भारतीय फेमिनिस्ट्स को अलग-अलग बांट दिया है. कुछ का मानना है कि ये सही है और कुछ इसके तरीके को एकदम गलत ठहराते हैं. अब खुद ही सोचिए एक लिस्ट है जिसमें कुछ मर्दों के नाम हैं. और वो कहां पढ़ाते हैं ये दिया गया है. इसमें कहीं कोई बात सामने नहीं आती कि ये किसने भेजे, कब उनके साथ घटना घटी, और क्या वाकई ये सच्चे हैं? क्रिस्टीन ने जो पोस्ट लिखी थी उसमें सारी बातें कही गई थीं.

ये नहीं कहा जा रहा कि हर नाम गलत लिखा गया है. कई सही भी हो सकते हैं, लेकिन अगर देखा जाए तो ये सीधे तौर पर किसी को बदनाम करने की साजिश भी हो सकती है. कोई पोस्ट जो लाखों लोगों तक पहुंच चुकी है उसमें अगर किसी गलत आदमी का नाम लिख दिया तो यकीनन ऐसा हो सकता है कि उसका करियर खतरे में पड़ जाए या उसके सामने कोई बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाए. कोई बदला निकालने के लिए भी इस तरह की लिस्ट में किसी का नाम जोड़ सकता है.

जो तर्क दिए जा रहे हैं वो सही हैं. सोशल मीडिया पर किसी भी इंसान को बिना जांच पड़ताल के बदनाम करना थोड़ा गलत साबित हो सकता है. सोशल मीडिया पर किसी का नाम लेने से भले ही उस इंसान को न्याय मिले या न मिले, लेकिन एक बात तो हो सकती है कि इससे चीजें ज्यादा ग्लैमराइज हो सकती हैं. किसी भी पोस्ट, स्टेटस या नाम का वायरल होना बहुत आसान है. खास तौर पर भारत जैसे देश में जहां लोगों की भावनाएं आसानी से आहत हो जाती हैं और एक फेसबुक पोस्ट किसी का खून करने या दंगे भड़काने के लिए भी जिम्मेदार हो सकती है. वो देश जहां वॉट्सएप पर आए मैसेज से लोगों को भड़काना आसान है और जहां लोग सोशल मीडिया पर मौजूद अधिकतर चीजों को आसानी से सच मान लेते हैं ऐसे देश में आखिर कैसे कोई बिना किसी जांच पड़ताल के इस तरह की लिस्ट बना सकता है.

राया की जो नीयत है उसपर मुझे कोई शक नहीं है. यकीनन राया ने यही सोचा होगा कि इस तरह की लिस्ट से समाज में घिनौने चेहरे सामने आएंगे, लेकिन इसका ये मतलब भी नहीं कि किसी की गरिमा को ठेस पहुंचा दी जाए. #Himtoo कैंपेन यकीनन बहुत मजबूत है, लेकिन ये तब ही तक सही है जब इसे बताने वाले लोग सही हों और उनके साथ हुई घटनाएं भी सच्ची हों.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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