क्या है इस्लाम में फातिहा? जिसकी फूंक, सोशल मीडिया पर शाहरुख की थू-थू करा रही है?
लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे शाहरुख लता के शव पर फातिहा, फिर अपनी फूंक के कारण सुर्खियों में हैं. सोशल मीडिया पर तमाम लोग ऐसे हैं जिन्होंने शाहरुख़ की तस्वीरों को शेयर किया है और कहा है कि शाहरुख़ ने लता के शव पर थूका.
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वक़्त किसी का सगा नहीं होता. आज जिसके लिए अच्छा है, कल खराब हो जाए गारंटी नहीं. इस बात को समझने के लिए कहीं दूर क्या ही जाना. शाहरुख खान का ही रुख कर लेते हैं. मुंबई ड्रग्स केस के बाद बेटे आर्यन के चलते जैसे हालात हुए एसआरके लगातार सवालों के घेरे में हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि हाथी पर बैठे शाहरुख खान को लगातार नोचा जा रहा है और ये क्रम तब तक जारी रहेगा जबतक वो गिरकर एकदम पस्त नहीं हो जाते. SRK Haters On Internet के बीच शाहरुख के लिए पैदा हुई नफ़रत कहां आ गई है? इसका अंदाजा सोशल मीडिया पर वायरल उस तस्वीर से लगाया जा सकता है जिसमें शाहरुख खान सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर की अंतिम यात्रा में शामिल हुए और लता जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्होंने फातिहा पढ़ा और उसे लता जी पर फूंका.वो तमाम लोग जो शाहरुख से नफरत करते थे ये मंजर उनके लिए ईद के चांद सरीखा था.
लता मंगेशकर के शव पर फातिहा पढ़कर शाहरुख एक अनचाही मुसीबत में फंस गए हैं
चूंकि ये पल मीडिया के कैमरों में कैद होकर सोशल मीडिया पर आ चुका था इसलिए वो तमाम लोग जिन्हें शाहरुख से नफरत है उन्होंने हद कर दी. तस्वीर साझा करते हुए फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बड़े बड़े पोस्ट लिखे गए. ट्विटर पर ट्वीट्स की बाढ़ आई और शाहरुख को अनाप शनाप कहते हुए हमेशा ही तरह इस्लाम और मुसलमान को टारगेट किया गया और वही कहा गया जो हमेशा कहा जाता है- ऐसे लोग हिंदुस्तान में क्या कर रहे हैं? इन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए.
Shahrukh Khan I Spit on your GraveShahrukh Khan Spat on funeral of Lata Mangeshkar, he should have offered a Namaz as well pic.twitter.com/KAWCf9IRMq
— Mahesh Vasu??️ (@maheshmvasu) February 7, 2022
ध्यान रहे बीते कुछ दिनों से ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ती भारत रत्न और सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर दुनिया छोड़ कर जा चुकी हैं. लता जी के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर है. माना जा रहा है जहां एक तरफ ये मौत संगीत जगत को बड़ा झटका है तो वहीं इसके बाद एक पूरे युग का अंत हो गया है.
लता मंगेशकर की मौत से पीएम मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की तरह शाहरुख खान को भी गहरा आघात लगा. शाहरुख लता जी की अंतिम यात्रा में शामिल हुए और उनकी आत्मा की शांति के लिए उन्होंने दोनों हाथ उठा के दुआ मांगी और फातिहा पढ़ा. शाहरुख ने फातिहा पढ़ा ये बड़ी बात नहीं थी. मुद्दा बना उनका दुआ को लता मंगेशकर के शव पर फूंकना.
कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि शव पर दुआ फूंकना तो बहाना था दरअसल शाहरुख ने लता जी के शव पर थूका और ये सब अंजाने में नहीं बल्कि जान बूझकर हुआ.
Shahrukh Khan have spit on Lata Didi's dead body while paying his tribute. We are in pain for his sick behaviour. We demand for an enquiry from govt of Maharashtra and seek his explanation over this. This is unbearable. @ramkadam @OfficeofUT he must be punished. pic.twitter.com/f8g1ypWRAJ
— Prof. Dr. Omprakash Nautiyal (@professororg) February 7, 2022
चूंकि मामले के मद्देनजर विवाद की आग को भरपूर कोयला मिल चुका है तो हमारे लिए भी कुछ बातों को जान लेना बहुत जरूरी हो जाता है. साथ ही नजर इस सवाल पर भी डालें कि आखिर इस्लाम मे फातिहा का क्या महत्व है और 'फूंक' जिसे कुछ लोगों द्वारा थूक की संज्ञा दी गई है क्यों जरूरी है.
फूंक मारकर हवा उड़ाने की इस्लामी परंपरा
इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार, जब भी कोई व्यक्ति दुआ करता है, तो वह अपने हाथों को छाती तक उठाता है और अल्लाह से जो कुछ भी आवश्यक होता है, मांगता है. यह दुआ कुछ भी हो सकती है: किसी की भलाई के लिए, नौकरी के लिए या आत्मा को शांति के लिए. ध्यान में ऐसी तस्वीरें हमने उन फिल्मों में भी खूब देखी हैं जिनका कोई महत्वपूर्ण कैरेक्टर कोई मुसलमान व्यक्ति होता था.
बात चूंकि लता मंगेशकर की चल रही है तो शाहरुख ने भी लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर पर इसी परंपरा का पालन किया. लता जी के लाखों प्रशंसकों की तरह, शाहरुख ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.
गौरतलब है कि जब शाहरुख हाथ उठाकर प्रार्थना कर रहे थे तो उनके चेहरे पर मास्क. उन्होंने लगभग 12 सेकंड तक प्रार्थना की, फिर अपना मास्क उतारा. थोड़ा झुके और लता दीदी के नश्वर अवशेषों पर दुआ की फूंक मार दी.
धार्मिक दृष्टिकोण से, दुआ करने का यह तरीका काफी आम है। मस्जिदों और दरगाहों में, हमने देखा है कि माता-पिता मौलाना या मुफ्ती से अपने बच्चों के लिए दुआ करने के लिए कहते हैं और वहां भी प्रायः तरीका कुछ ऐसा ही रहता है. कुल मिलाकर मुस्लिम धर्म के अंतर्गत ये प्रथा एक आम बात है.
फातिहा या फूंक को लेकर लेकर इस्लाम में है मतभेद!
हर वो शख्स जो इस्लाम को जानता होगा या इस्लाम को थोड़ा बहुत भी समझता होगा इस बात से अवगत होगा कि इस्लाम के अंतर्गत मुसलमान खुद 72 अलग अलग सेक्टस जैसे शिया, सुन्नी, बरेलवी, वहाबी, खोजा, बोहरा, अहमदिया, देवबंदी मलंगी में विभाजित हैं. कोई वर्ग किसी परंपरा का पालन करता है. कोई नहीं करता है.
इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि बरेलवी मसलक में मजारों पर जाना और दुआ करना एक आम प्रैक्टिस है. वहीं बात अगर वहाबी/ देवबंदियों की हो तो उन्हें बरेलवियों की इस अदा पर सख्त ऐतराज है. देवबंदियों का मानना है कि यदि इंसान को दुआ करनी है तो वो सीधे अल्लाह से करे उसे बीच में किसी माध्यम को रखने की जरूरत नहीं है.
इसी तरह शिया समुदाय के लिए मोहर्रम का विशेष महत्व है जिसे वो 2 महीना 8 दिन मनाते हैं वहीं सुन्नी समुदाय के लिए मोहर्रम किसी साधारण महीने की तरह है.
चूंकि बात शाहरुख खान की हुई है तो मुसलमानों में भी कुछ लोग उनके समर्थन में है जबकि फ़ातिहे के मद्देनजर कुछ लोग उनके विरोध में उतर आए हैं.
बहरहाल एक ऐसे वक्त में जब हिजाब से लेकर भगवा अंगोछे तक हिंदू मुस्लिम की डिबेट अपने शिखर पर हो शाहरुख का लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर पर फातिहा पढ़ना और फूंकना मुद्दा बनना ही था. बाकी विचारधारा के नाम पर जैसी नफरत दो समुदायों में हो गयी है शाहरुख मामले पर मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी का वो शेर फिलकुल फिट है जिसमें शायर ने कहा था कि
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता.
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