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Updated: 23 जनवरी, 2018 12:27 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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एक तरफ व्यक्ति के जीवन में एडवेंचर जरूरी है. दूसरी तरफ इस भागा दौड़ी भरी ज़िन्दगी में इंसान के पास सब कुछ तो है मगर उस "सब कुछ" का लुत्फ़ लेने के लिए टाइम नहीं है. अब आप ही बताइए जो आदमी हरी धनिया और कच्ची घानी सरसों का तेल भी ऑनलाइन लेना पसंद करता है वो एडवेंचर के लिए टाइम क्या खाक निकाल पाएगा? आज का बिजी आदमी तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित है. जिसे जब डॉक्टर देखते हैं तो कहते हैं अगर फिट रहना है तो खेल खेलो. अब ऐसे में, खेल खेलने के लिए भी इंसान को ग्राउंड पर जाना पड़ेगा और वो वहां नहीं जा पाता क्योंकि बात फिर वही आ जाती है उसके पास "सब कुछ" तो है मगर टाइम नहीं है.

इंसान भले ही मां बाप की बात को सिरे से खारिज कर दे मगर डॉक्टर की बात वो नजरअंदाज नहीं कर पाता. वो व्यस्त रहते हुए भी खेल खेलना चाहता है. अब खेल, ग्राउंड पर खेला जाए या मोबाइल पर मुद्दा खेल खेलना है. खेल के चक्कर में कब इंसान के साथ खेल हो जाता है और वो "ब्लू व्हेल" जैसे खेल के चक्कर में पड़ जाता है उसे पता ही नहीं चलता.

पद्मावत,पद्मावती,संजय लीला भंसाली, करणी सेना सोशल मीडिया पर चर्चा है कि पद्मावत देखना अब ब्लू व्हेल गेम का आखिरी चैलेंज है

खैर ब्लू व्हेल गेम इन दिनों फिर एक बार चर्चा में है. इस गेम के मद्देनजर व्यक्ति को अलग- अलग टास्क करने होते हैं. और गेम की लास्ट स्टेज में उसे जान देकर मुकाबला जीतना और बेवकूफी के अध्याय में बिल्कुल नीट एंड क्लीन सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराना होता है. बीते कई दिनों से, सन्नाटे की सनसनी को चीरते हुए ये गेम फिर बाहर आया है और इस बार दुनिया भर के प्रतिभागियों को खेल का आखिरी पड़ाव भारत में रहकर पार करना है. गेम के लास्ट चैलेन्ज के रूप में उन्हें अपनी नजदीकी थियेटर में डायरेक्टर संजय लीला भंसाली निर्देशित पद्मावत का मॉर्निंग और मैटिनै शो देखना होगा.

पद्मावत,पद्मावती,संजय लीला भंसाली, करणी सेना फिल्म पद्मावत को लेकर बवाल किसी भी सूरत में रुकने का नाम नहीं ले रहा

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. सोशल मीडिया जगत में इन दिनों चर्चा है कि गेम के निर्माता फ़िलिप बूडेकी ने फिल्म पर चल रहे विरोध को बड़ी ही गंभीरता से अपने संज्ञान में लिया है. उन्होंने जेल में ही प्रेस कांफ्रेंस की है और आने वाले पत्रकारों को स्नैक्स टाइम" में डिप वाली चाय, ड्राई फ्रूट का समोसा, प्लेन सॉल्टेड चिप्स, डार्क चॉकलेट पेस्ट्री और वनिला आइस क्रीम खिलाने पिलाने के बाद बताया है कि उनका अगला प्लान ये है कि गेम की लास्ट स्टेज के रूप में खिलाड़ी हिंदुस्तान में फिल्म देखें और शहीदों में अपना नाम दर्ज करें.

ये वाकई बड़ा दिलचस्प है कि जिस देश में लोगों को अपनी नौकरी के लिए, अपने अधिकारों के लिए, अपनी शिक्षा के लिए विरोध करना था वो एक मामूली सी फिल्म के कारण सड़कों पर है. नहीं ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि ट्विटर यूजर संजय झा कह रहे हैं. हम तो बस उनकी कही बातों को आप तक पहुंचाने का माध्यम हैं.

वहीं ट्विटर यूजर @HumourChirps घूमर गाने में पहनी दीपिका की ड्रेस के पैटर्न को चेंज करने से खासे परेशान दिखे और कहा कि आखिर सेंसर बोर्ड और निर्देशक ऐसा कैसे कर सकते हैं.

वहीं पत्रकार राजदीप सरदेसाई का मानना है कि क्या सरकार फिल्म के मद्देनजर लॉ एंड आर्डर को दुरुस्त नहीं कर सकती ?

कार्टूनिस्ट मंजुल ने भी इस मुद्दे पर अपना कार्टून बना दिया है. कार्टून थोड़ा सा मुश्किल है, अगर आपको कार्टून देखना आता हो तो आप खुद देखें और हमको भी समझाने की कोशिश करें.

ये मामला कितना "सीरियस" और ये फिल्म "समाज के लिए कितना बड़ा खतरा है यदि इस बात को आप समझना चाहते हैं तो आपको श्री राजपूत करणी सेना का ये ट्वीट अवश्य पढ़ना चाहिए ताकि आपको एहसास हो कि अगर अब तक हम इस मुद्दे को हल्के में ले रहे थे तो ये हमारी भारी भूल थी.

हम फिर कह रहे हैं इस फिल्म को देखना किसी खतरे और ब्लू व्हेल गेम की आखिरी स्टेज को पार करने से कम नहीं है. यदि आपको हमारी बात पर यकीन न हो तो आप दीपक सिंह आजाद का ये ट्वीट देख लीजिये. दीपक दर्शकों को खुली चुनौती देते नजर आ रहे हैं.

वहीं यूजर नेम पंकज के फिल्म को लेकर अलग तर्क है वो इसे हिन्दू मुसलमान से जोड़ने हुए नजर आ रहे हैं.

अपनी गलत इंग्लिश में यूजरनेम राजपूत वर्ल्ड न्यूज़ ने फिल्म को लेकर आहत राजपूतों को घायल शेर बताया है जो फिल्म देखने आने वाले दर्शकों को चीर फाड़ डालेंगे.

इतने ट्वीट, इतने फेसबुक पोस्ट ये बताने के लिए काफी हैं कि अगर आप फिल्म देखने जा रहे है न तो अपने रिस्क और इसे ब्लू व्हेल गेम की आखिरी स्टेज मानते हुए जाइए. अच्छा अब जब आप फिल्म देखने का मन बना ही चुके हैं तो जाने से पहले इंश्योरेंस वाले से अपना इंश्योरेंस कराना मत भूलियेगा. और हां इंश्योरेंस वाले को ये बिल्कुल भी मत बताइयेगा कि आपका मूवी देखने का प्लान है. क्या पता वो इंश्योरेंस करने से ही मना कर दें और लेने के देने पड़ जाएं. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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