सावरकर पर आरोप लगाने वाले राहुल को 'गांधी के वजीफे' पर भी जवाब देना होगा
राहुल गांधी (Rahul gandhi) ने फिर से आरएसएस (RSS) को अंग्रेजों की मदद करने वाला और सावरकर (Savarkar) को अंग्रेजों से वजीफा लेने वाला बताया है. इस बीच सोशल मीडिया पर सावरकर की बायोग्राफी लिखने वाले इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत का एक ट्वीट वायरल हो रहा है. जिसमें महात्मा गांधी को अंग्रेजों की ओर से 100 रुपये महीने का अलाउंस मिलने की बात सामने आई है.
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'भारत जोड़ो यात्रा' के तहत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों कर्नाटक में चहलकदमी कर रहे हैं. इस दौरान राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरएसएस और भाजपा पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि 'मेरी समझ के मुताबिक आरएसएस अंग्रेजों की मदद करता था. और, सावरकर को अंग्रेजों से वजीफा मिल रहा था. ये ऐतिहासिक तथ्य है. स्वतंत्रता संग्राम में कहीं भी भाजपा नहीं दिखेगी. अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ने वाले कांग्रेस के नेता थे.' वैसे, राहुल गांधी के इस बयान पर भी विवाद होना तय है. इस पर बाद में आएंगे. लेकिन, इन सबके बीच सोशल मीडिया पर वीर सावरकर पर किताब लिखने वाले इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत का एक ट्वीट वायरल हो रहा है.
दरअसल, इस ट्वीट में नेशनल अर्काइव्स ऑफ इंडिया के कुछ दस्तावेजों को शेयर किया गया है. जिसके अनुसार, सविनय अवज्ञा आंदोलन के चरम पर जब महात्मा गांधी को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया था. तो, यरवदा जेल में महात्मा गांधी को निजी रखरखाव के लिए 100 रुपये महीना का अलाउंस दिए जाने की बात सामने आई है. इतना ही नहीं, विक्रम संपत ने बाकायदा इन नेशनल अर्काइव्स ऑफ इंडिया के इन दस्तावेजों का लिंक भी शेयर किया है. जहां पर इसे आसानी से देखा जा सकता है. वैसे, इसे देखकर कहना गलत नहीं होगा कि आरएसएस पर आरोप लगाने वाले राहुल को 'गांधी' पर भी जवाब देना होगा. क्योंकि, न चाहते हुए भी राहुल गांधी इस ऐतिहासिक तथ्य को झुठला नहीं सकते हैं. जैसा उन्होंने सावरकर के बारे में कहा था.
An important find on the payment of Rs 100 per month as allowance for personal maintenance to M.K. Gandhi in 1930. This was the peak of the Civil Disobedience movement incidentally. Source: National Archives of India , https://t.co/zCsWj63H4F https://t.co/p836kF8fbC
— Dr. Vikram Sampath, FRHistS (@vikramsampath) October 3, 2022
RSS को गांधी का हत्यारा कहने के बाद बयान से पलटे थे राहुल
2014 में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी ने आरएसएस पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया था. मुंबई में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि 'आरएएस के लोगों ने महात्मा गांधी की हत्या की है.' जिसके बाद राहुल गांधी के खिलाफ आरएसएस से जुड़े लोगों ने कई जगहों पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा किया था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में जब इन मामलों की सुनवाई हुई थी. तो, राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए अपने बयान पर सफाई देते हुए बताया था कि 'महात्मा गांधी की हत्या के लिए उन्होंने आरएसएस पर दोष नहीं लगाया था. बल्कि, वह हत्यारे को संघ से जुड़ा बता रहे थे.' आसान शब्दों में कहें, तो राहुल गांधी अपने बयान से पलट गए थे.
राहुल गांधी ऐसे आरोपों पर पहले भी यू-टर्न ले चुके हैं.
क्या इस बार भी राहुल गांधी माफी मांगेंगे?
आरएसएस को गांधी का हत्यारा बताने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से कहा था कि या तो माफी मांगिए या फिर ट्रायल के लिए तैयार रहिए. बता दें कि करीब 2 साल बाद राहुल गांधी ने इस मामले में तकरीबन माफी मांगते हुए केस को खत्म किया था. वहीं, इस बार राहुल गांधी आरएसएस के खिलाफ बयान देकर दोतरफा फंस गए हैं. दरअसल, उन्होंने वीर सावरकर को आरएसएस से जुड़ा बताया है. जबकि, इस बात के ऐतिहासिक प्रमाण भी सामने हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सावरकर के बीच कई मतभेद थे. वीर सावरकर पर किताब लिखने वाले विक्रम संपत ने भी कई कार्यक्रमों इसका जिक्र किया है.
वैसे, जिस तरह से वीर सावरकर के माफीनामों को लेकर जिस तरह के तर्क और दावे तमाम इतिहासकारों से लेकर नेताओं द्वारा गढ़ दिए गए हैं. उसी तरह महात्मा गांधी को 100 रुपये के अलाउंस के इस अंग्रेजी सरकार के ऐतिहासिक दस्तावेज के सहारे भी बहुत सी बातें कही जा सकती हैं. खैर, यहां देखना दिलचस्प होगा कि महात्मा गांधी पर 'वजीफा' लेने के लगने वाले आरोपों पर राहुल गांधी क्या प्रतिक्रिया देते हैं? क्योंकि, वीर सावरकर को उनकी अपनी ही कांग्रेस पार्टी ने 'माफीवीर' समेत तमाम उपमाओं से विभूषित कर रखा है.
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