कच्ची मिट्टी के पक्के दीये तुम साथ ले जाना भूल गए...
मिट्टी के ये दीये आपके लिए कितने जरूरी हैं, ये आप ही समझें लेकिन ये दीए उन कुम्हारों के लिए कितने कीमते हैं वो आप इस वीडियो को देखकर समझ सकते हैं. बेहद भावुक कर देने वाला ये वीडियो इस दीवाली शायद आपकी सोच बदल दे.
-
Total Shares
दीवाली के लिए आपने नए कपड़े, गिफ्टस और झालरें तो खरीद ही ली होंगी, पर उसे अभी तक नहीं लिया होगा जो इस त्योहार के लिए सबसे जरूरी है. वो आप सबसे बाद में खरीदेंगे क्योंकि बिना दीयों के दीवाली मनाई नहीं जाती. अब घर को रौशन करने का काम चाइना की लाइटें करने लगी हैं.
ये कच्ची मिट्टी के पक्के दीये तुम साथ ले जाना भूल गए...
मिट्टी के ये दीये आपके लिए कितने जरूरी हैं, ये आप ही समझें लेकिन ये दीए उन कुम्हारों के लिए कितने कीमते हैं वो आप इस वीडियो को देखकर समझ सकते हैं. HP ने दीवाली के मौके पर वीडियो के माध्यम से एक खूबसूरत संदेश देने की कोशिश की है. और ये वीडियो जिस तरह से वायरल हो रहा है वो ये बताने के लिए काफी है कि HP अपना संदेश लोगों तक पहुंचाने में सफल हुआ.
एक बच्चा दीये बेचने वाली एक बूढ़ी औरत की मदद करता है जिससे उसकी दीवाली रौशन हो सके. बेहद भावुक कर देने वाला ये वीडियो इस दीवाली शायद आपकी सोच बदल दे.
हमारी दीवाली को रौशन करने के लिए हमारी सैलरी और बोनस काफी होते हैं. लेकिन इन लोगों की दीवाली रौशन हो वो सिर्फ इस बात पर निर्भर करती है कि उनके दीए कितने बिके. और पिछली बीती हर दीवाली के साथ-साथ घरों में दीयों की संख्या भी कम ही होती जा रही है. एक वो दौर था जब घर का कोना कोना रौशन करने के लिए 50 से 100 दीये लगाए जाते थे, लेकिन अब पूजा में रखने के लिए 10-12 दीये ही काफी लगते हैं. सोचकर देखिए, जिनकी रोजी रोटी ही इन दीयों पर निर्भर हो, हम उनके साथ कितना अन्याय कर रहे हैं. प्रगतिशील होना अच्छा है लेकिन अपनी परंपराओं की कीमत पर नहीं.
इस दीवाली आप भी उम्मीदों का एक दीया जलाएं, किसी और की दीवाली को भी रौशन बनाएं.
ये भी पढ़ें-
क्या ले गए ये 20 साल हमारी दीवाली से?
दीपावली में 'लक्ष्मी जी' आती हैं या जाती हैं?
जो दीपावाली हम जी चुके हैं, आज के बच्चे क्या ख़ाक जिएंगे
आपकी राय