‘बेनाड्रिल चैलेंज’ इंस्टेंट फेम का नया पैंतरा है जिसने ज़िंदगी लीलने की शुरुआत कर दी है!
सोशल मीडिया पर इंस्टेंट फेम पाने के इस दौर में टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 'बेनाड्रिल चैलेंज' शुरू हुआ है. चैलेंज युवाओं को ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) ड्रग डिफेनहाइड्रामाइन (डीएचपी) की खतरनाक मात्रा लेने के लिए प्रोत्साहित करता है, और इस चक्कर में कई मासूम अपनी जान से हाथ धो रहे हैं.
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गज़ब है सोशल मीडिया. यहां हर किसी को हीरो बनना फिर फेमस होना है. इंसान को परवाह ही नहीं है कि जोखिम क्या है? कीमत कैसी भी हो, जान की बाजी लगाकर चुका ही दी जाएगी. अब क्योंकि फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर सभी को चौधरी बनना है इसलिए शायद ही कोई दिन ऐसा बीतता हो जब यहां कोई चैलेन्ज न शुरू होता हो. ये चैलेंज कैसे इंसानी ज़िन्दगी के लिए लगातार खतरा बन रहे हैं? सोशल मीडिया के नए शुतुंगे बेनाड्रिल चैलेंज को देखकर समझिये जिसने एक 13साल के मासूम की ज़िन्दगी को लील लिया है. दरअसल अमेरिका स्थित ओहायो के रहने वाले 13 साल के जैकब स्टीवन्स की टिक-टॉक पर ‘बेनाड्रिल चैलेंज’ पूरा करने के चलते मौत हुई है.
ब्लू ब्लू व्हेल के बाद बेनाड्रिल चैलेंज अमेरिका समेत पूरे विश्व के लिए नयी चुनौती बनता नजर आ रहा है
जैकब की इस चैलेंज के लिए दीवानगी क्या थी? इसका अंदाजा उसके घरवालों की बातें सुनकर आसानी से लगाया जा सकता है. जैकब के परिजनों की मानें तो जैकब ने चैलेंज पूरा करने के नाम पर बेनाड्रिल की 12 से 14 गोलियां एक साथ खा लीं. जैकब के पिता जस्टिन स्टीवन्स ने ये भी कहा कि जिस वक्त जैकब ये चैलेंज पूरा कर रहा था उसके दोस्त पास में ही खड़े होकर उसका वीडियो बना रहे थे.
13-year-old dead after trying deadly TikTok “Benadryl challenge”The challenge is where participants take 12 to 14 of the antihistamines — six times the recommended dose — in order to induce hallucinations. pic.twitter.com/Jhvcfy45D7
— Daily Loud (@DailyLoud) April 17, 2023
कोई किसी दवा की 12 से 14 गोलियां निगल लें और शरीर में कोई हरकत न हो ऐसा सम्भव नहीं है, जैकब के शरीर में जाने के बाद दवा ने भी अपना असर दिखाया और उसकी तबियत बिगड़ने लगी और उसका शरीर ऐंठने लगा. जैकब को घरवालों ने फ़ौरन ही अस्पताल में भर्ती कराया. जहां 6 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद उसकी मौत हो गई.
जैकब को खोनेके बाद माता पिता की भी अक्ल ठिकाने लगी और अब वो दूसरे पेरेंट्स को इस चैलेंज और इसके दुष्परिणामों से अवगत करा रहे हैं. साथ ही वो लोग ये भी कहते हुए पाए जा रहे हैं कि दूसरे पेरेंट्स अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी करें. बेटे की मौत ने जैकब के पिता जस्टिन को किस हद तक बदल दिया ही इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जो बाआप कल तक अपने बच्चे को 12 गोलियां गटकते देख बिलकुल नार्मल था आज चाह रहा है कि बेनाड्रिल जैसी दवा की खरीद पर आयु सीमा तय की जाए.
तो आखिर है क्या बेनाड्रिल चैलेंज
टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शुरू हुआ 'बेनाड्रिल चैलेंज' युवाओं को ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) ड्रग डिफेनहाइड्रामाइन (डीएचपी) की खतरनाक मात्रा लेने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो आमतौर पर बेनाड्रिल और अन्य ओटीसी दवाओं जैसे उत्पादों में पाया जाता है. क्योंकि अत्यधिक मात्रा में बेनाड्रिल लेने से लोगों को हैलुसिनेशन की अनुभूति होती है ये चैलेंज इसी क्रिया को प्रोत्साहित करता है.
जिक्र दवा का हुआ है तो बता देना जरूरी है कि शुरुआती लोगों के लिए, 24 घंटे की अवधि में डिफेनहाइड्रामाइन की अधिकतम अनुमत खुराक 6 से 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए छह गोलियां और 12 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों और बच्चों के लिए 12 गोलियां हैं. कहा ये भी जाता है कि अगर लोग बताई गयी मात्रा से ज्यादा गोलियां लेते हैं तो इससे उनकी मृत्यु भी हो सकती है.
चूंकि बेनाड्रिल की निर्माता जॉनसन & जॉनसन है. साथ ही इस चैलेन्ज के चलते बेनाड्रिल और कंपनी दोनों की बहुत बदनामी हो रही है, कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर एक वार्निंग पोस्ट की है और लोगों से इस चैलेंज के भ्रम में न फंसने का अनुरोध किया है. कम्पनी की ये वार्निंग लोगों को कितना परिवारितीत करती है इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन जिस तरह से विदेश में लोग टिक टॉक स्टार बनने के लिए अपनी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं, पुष्टि हो जाती है कि अब तकनीक की आड़ में लोकप्रियता ने अपना असली असर दिखाना शुरू कर दिया है.
बहरहाल ये कोई पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया पर शुरू हुआ कोई चैलेंज लोगों की जान का दुश्मन बना है. अभी दिन ही कितने हुए हैं तमाम मासूमों से लेकर युवा तक ब्लू व्हेल जैसे एक और खतरनाक चैलेंज की भेंट चढ़े थे. देश दुनिया में तमाम लोग ऐसे थे जिन्होंने इस चैलेंज को पूरा करने के नाम पर अपनी जान गंवाई थी. ब्लू व्हेल चैलेंज को लेकर कहा तो यहां तक गया था कि इस गेम की शर्तें ऐसी थीं कि चैलेंज पूरा नहीं करने के बदले खेलने वालों को आत्महत्या करनी पड़ती थी.
हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि दौर सोशल मीडिया का है और यहां हर किसी को फेमस होना है और इसके लिए लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं. ऐसे लोगों को इस बात को समझना होगा कि किसी चैलेंज में जीत की कीमत अगर जान है तो इसे मूर्खता का सौदा कहा जाएगा.
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