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Updated: 14 जून, 2022 05:03 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर कथित टिप्पणी के विवाद ने देशभर में 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' को लेकर एक बहस छेड़ दी है. इसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत कुछ लोग नूपुर शर्मा के लिए 'सिर तन से जुदा' करने से लेकर उनका बलात्कार तक करने की बात कह रहे हैं. खैर, इस मामले में क्या सही है या क्या गलत है, ये तय करना कोर्ट का काम है. लेकिन, जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत हिंदू धर्म को निशाना बनाया जाता है. उसके बारे में बात करना अब बहुत जरूरी हो गया है. क्योंकि, इस्लाम या उससे जुड़ी किसी चीज का मजाक बनाने पर भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में भी जान का खतरा पैदा हो जाता है. लेकिन, हिंदुत्व को लेकर ऐसी कोई समस्या नहीं है. और, बीते कुछ सालों में स्टैंड-अप कॉमेडियनों इसे साबित भी किया है.

Freedom of Expression understand from Kunal Kamra s Deleted Tweetsकुणाल कामरा जानते है कि इस्लाम के बारे मे बोलने से जान का खतरा बना रहता है. हिंदू धर्म के साथ ऐसी समस्या नहीं है.

कुणाल कामरा जैसे कॉमेडियन लंबे समय से लिबरल और कथित बुद्धिजीवी वर्ग के लाडले बने हुए हैं. कुणाल कामरा अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल करते हुए हिंदुओं का मजाक उड़ाने से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर चुटकुले बनाने और भाजपा का मजाक उड़ाने के लिए जाने जाते हैं. लेकिन, अभिव्यक्ति की आजादी को और अच्छे से समझना हो, तो स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के उन ट्वीट्स की चर्चा जरूर होगी. जो उन्होंने डिलीट कर दिए हैं. अंशुल सक्सेना नाम के एक ट्विटर यूजर ने कुणाल कामरा के इन ट्वीट्स को शेयर किया है. जो अन्य धर्मों पर किए गए थे. और, डिलीट कर दिए गए. आइए कुणाल कामरा के 'Deleted Tweets' से समझते हैं कि क्या होती है असली 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता'...

व्यंग पर 'धर्म' भारी

पैगंबर टिप्पणी विवाद में हिंसक प्रदर्शन कर रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ यूपी पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की है. इस कार्रवाई का मजाक उड़ाने की कोशिश में कुणाल कामरा ने एक ट्वीट किया. जिसमें फिल्म 'जिंदगी न मिलेगी दोबारा' के पोस्टर में एक पुलिस वाले को डंडा भांजते हुए दिखाया गया था. लेकिन, इसी ट्वीट पर नाबिया खान नाम की एक यूजर ने सवाल खड़ा कर दिया. होना क्या था. बस, कुछ ही देर में कुणाल कामरा ने ये ट्वीट डिलीट कर दिया. क्योंकि, मजहब के आगे व्यंग की कोई औकात नहीं होती है. बता दें कि नाबिया खान नाम की इस यूजर ने कुणाल कामरा के खिलाफ अपशब्द भी इस्तेमाल किए थे. 

कंडोम से ज्यादा जरूरी है सेकुलर होना

खुद को सेकुलर और प्रोग्रेसिव कॉमेडियन कहने वाले कुणाल कामरा ने एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने लिखा था कि एक मुस्लिम शादी में आप क्या गिफ्ट देंगे? इसके जवाब में कुणाल कामरा ने लिखा था कंडोम. लेकिन, उन्होंने इसे भी डिलीट कर दिया. लिखी सी बात है कि इस ट्वीट से मुस्लिम समुदाय की भावनाएं भड़क सकती थीं. और, खुद को सेकुलर बताने के लिए कुणाल कामरा ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया.  

सिख समुदाय का गुस्सा भी नहीं झेल पाए

कुणाल कामरा ने एक डिलीटेड ट्वीट में लिखा था कि 'सिख दोस्त ने दो लाख रुपये का हेडफोन खरीदा. उसने कहा कि इसका साउंड बहुत शानदार है. मैंने सोचा, पगड़ी उठा, 1500 वाला डाल, सब सुनाई देगा.' लेकिन, इस ट्वीट को भी उन्हें डिलीट करना पड़ गया. क्योंकि, वजह साफ है कि सिख समुदाय की भावनाओं को आहत कर कुणाल कामरा खुद को कॉमेडियन साबित नहीं करना चाहते थे. 

क्रिकेट मैच से हिजाब को जोड़ना मजाक नहीं

कॉमेडियन कुणाल कामरा ने 2017 में टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच हुई सीरीज को लेकर एक ट्वीट किया था. इस डिलीटेड ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि 'श्रीलंका की टीम ने अगले दिन फील्ड पर मास्क पहने नजर आई. मैं सोचता हूं कि टीम इंडिया को अपना चेहरा छिपाने के लिए हिजाब पहन लेना चाहिए.' खैर, कुणाल कामरा को जल्द ही इस ट्वीट के बाद भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में पता चल गया होगा. जिसकी वजह से उन्हें यह ट्वीट डिलीट करना पड़ा. कुणाल कामरा को समझ आ गया होगा कि क्रिकेट मैच से हिजाब को जोड़ना मुस्लिम समुदाय के बीच मजाक नहीं हो सकता है.

ममता 'दीदी' पर किया ट्वीट भी डिलीट

कुणाल कामरा कभी-कभी एक्टिविस्ट की भूमिका भी निभाने की कोशिश करते रहे हैं. 2019 में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बारे में एक मीम शेयर करने वाली प्रियंका शर्मा को गिरफ्तार किया गया था. कुणाल कामरा ने इस मामले ट्वीट कर ममता बनर्जी का मजाक उड़ाने की कोशिश की थी. इस ट्वीट में उन्होंने ममता बनर्जी को तानाशाह कहा था. लेकिन, कुणाल कामरा को ये ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा था. क्योंकि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हद शायद उन्हें किसी ने समझा दी थी.

सुंदर लड़कियों वाला डिलीटेड ट्वीट

कुणाल कामरा खुद को प्रगतिवादी कहते हैं. और, नारी अधिकारों के रक्षक भी कहे जा सकते हैं. उन्होंने अपने एक डिलीटेड ट्वीट में लिखा था कि सुंदर लड़कियों के लिए बहुत मुश्किल होती है. हर दूसरी लड़की उन्हें 'बिच' कहती है. और, हर लड़के ज्यादातर उनके साथ केवल सेक्स करना चाहते हैं. यहां तक कि कजिन भी.' खैर, सोशल मीडिया पर मौजूद नारीवादियों को कुणाल कामरा का ये ट्वीट पसंद नहीं आया था. और, आखिर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के झंडाबरदार को ये ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहां तक सीमित है?

वैसे, कुणाल कामरा ने इस्लाम, मुस्लिम, सिख समुदाय से लेकर ममता बनर्जी के खिलाफ किए गए ट्वीट भी डिलीट कर दिए हैं. लेकिन, एक ट्वीट आज भी उनकी ट्विटर वॉल पर मौजूद है. जिसमें कुणाल कामरा ने लिखा है कि 'मेरे अंकल- क्या बोलने की आजादी गाली देने का लाइसेंस है? पीएम को गाली दो, भगवान को गाली दो, सत्ता में रहने वाले किसी को भी गाली दो, किसी की प्रतिष्ठा को बर्बाद करो और उसे गाली दो, सेक्स और सेक्सुअल प्रिफरेंस को लेकर भड़काऊ बनो, तुम जो कुछ भी चाहते हो, वो कहना चाहते हो? क्या यही बोलने की आजादी है? मैं- हां.'

कुणाल कामरा का ये ट्वीट अभी तक ट्विटर पर मौजूद है. और, इसके मौजूद रहने की वजह भी साफ है कि कुणाल कामरा को देवी-देवताओं और हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने पर 'सिर तन से जुदा' वाली धमकी नहीं मिलती है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो कुणाल कामरा को मिलने वाली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूरी तरह से हिंदू धर्म और उसके देवी-देवताओं पर केंद्रित है. इनके बारे में वह कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र माने जा सकते हैं. लेकिन, इस्लाम या किसी अन्य धर्म को लेकर उन्होंने मजाक में भी ऐसी बातें कहीं, तो मुस्लिम समुदाय की ओर से नूपुर शर्मा की तरह ही कामरा को भी उनकी टिप्पणी के लिए गिरफ्तार करने से लेकर फांसी दिए जाने तक की मांग होने लगेगी,

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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