चटकारे लेने से पहले जरा समझ तो लें 'कैरी का अचार'
मुंबई की लेखिका ने कैरी का अचार बनाते-बनाते एक औरत के जीवन का सच सबके सामने बयां कर दिया है. जिसे सुनने के बाद शायद आपके पास शब्द नहीं होंगे... एक महिला की नजर से देखिए और जानिए कैसे बनता है अचार कैरी का..
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कैरी का अचार तो सभी ने खाया होगा. ये कैसे बनता है, इस बात से भला किसी को कोई मतलब नहीं होता, मतलब होता है तो बस चटकारों से. खैर जिस कैरी के अचार के बारे में ये महिला बात कर रही है, अगर उसे समझ लेंगे तो जब भी कैरी का अचार खाएंगे, एक बार महिला के जीवन के बारे में जरूर सोचेंगे.
ये हैं मुंबई की लेखिका और स्टोरी टेलर महक मिर्जा प्रभु जिन्होंने कैरी का अचार बनाते-बनाते एक औरत के जीवन का सच सबके सामने बयां कर दिया है. जिसे सुनने के बाद शायद आपके पास शब्द नहीं होंगे. इस वीडियो को Your Quote ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है, जिसे नहीं सुनेंगे तो काफी कुछ मिस कर देंगे आप
'गिरी हुई हो तो न लेना, दाग लगा हो तो न लेना, और पकी हुई तो काम न आए'...ये बात अचार डालने के लिए कैरी चुनने की हो रही है, लेकिन ठीक इसी तरह ही तो समाज में लड़के के लिए लड़की चुनी जाती है. और जब वो मायके से ससुराल आती है तो कैसे धीरे-धीरे उसके अस्तित्व को ससुराल के रंग में रंग दिया जाता है. आचार को जिस तरह ढक्कन लगाकर मर्तबान में रखा जाता है, उसी तरह ही एक लड़की के खावाबों को हवा और उजालों को राह नहीं मिलती. हर साल आम का मौसम आता है और हर साल इसी तरह अचार डाला जाता है लड़की का...मतलब कैरी का !
आज भले ही जमाना बदल गया हो, महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हों, लेकिन कुछ अपवादों को छोड़ दें तो समाज का महिलाओं के प्रति रवैया आज भी नहीं बदला है. बहरहाल ये कहानी हर महिला के दिल को छूती है, भले ही वो उसके जीवन से मेल खाती हो या नहीं.
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