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Updated: 26 नवम्बर, 2016 11:54 AM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
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26/11/2008 वो तारीख थी जब लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने बड़े ही निर्मम तरीके से मुंबई को खून में रंग दिया था. 166 लोग मारे गए और ढेर सारे लोग घायल भी हुए थे. मुंबई हमलों में जो लोग मारे गए थे उनमें से 22 पुलिसवाले भी थे. 60 घंटे तक चले इस ऑपरेशन ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था.

पिछले 8 साल में देश में बहुत कुछ हुआ है. सरकार बदल गई. नियम बदल गए, लेकिन अगर आपसे पूछा जाए कि 26/11 के बाद क्या-क्या बदला गया है भारत में तो आपका जवाब क्या होगा? चलिए देखते हैं कि मुंबई और पूरे देश में क्या-क्या बदला इन हमलों के बाद.

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 फाइल फोटो

जो कहा गया-

मुंबई पुलिस के साथ महाराष्ट्र सरकार ने फोर्स वन को बनाया. ये 2009 में बनी थी जिसके कमांडो महाराष्ट्र इंटेलिजेंस एकेडमी में ट्रेनिंग लेते हैं और इन्हें खास तौर पर हथियारों का इस्तेमाल सिखाया जाता है. अटैक के तुरंत बाद कोस्ट गार्ड वेसेल का बजट 20 प्रतिशत बढ़ा दिया गया था. हथियारों की खरीद भी बढ़ा दी गई थी.

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बड़े कदम-

1. NATGRID की स्थापना-

एक ऐसी सुरक्षा एजेंसी जो 2008 अटैक के बाद बनी थी. इसका काम खास तौर पर आतंकी गतिविधियों का पता लगाना होता है, जिसमें बैंकिंग, फाइनेंस और ट्रांसपोर्टेशन आदि की जांच की जाती है. 2016 जुलाई में ही इसके सीईओ अशोक पटनायक बने हैं. ये प्रोजेक्ट सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन इसने अभी तक कितनी आतंकी घटनाओं के बारे में बताया है और सरकार की कितनी मदद की है इसके बारे में कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है.

2. CST रेलवे स्टेशन-

CST रेलवे स्टेशन पर मेटल डिटेक्टर लगाए गए - और इस बात का ध्यान रखा जाने लगा कि सीएसटी स्टेशन पूरी तरह सुरक्षित रहे.

3. NSG (नैशनल सिक्योरिटी गार्ड)-

सरकार ने 4 NSG हब (नैशनल सिक्योरिटी गार्ड) मुंबई, कोलकता, हैदराबाद और चेन्नई में खोले थे. इसमें 224 लोगों की भर्ती हुई थी. ये एंटी-टेरेरिस्ट स्क्वॉएड उन सभी शहरों में तैनात किये गये हैं.

4. 8 साल बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक-

आतंकी गतिविधियों से तंग आकर सरकार ने आखिरकार पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर ही दी. हालांकि, ये मुंबई अटैक से जुड़ी हुई नहीं है फिर भी ये एक साहसिक कदम था.

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 फाइल फोटो

क्या है असलियत-

मैं मुंबई में 3 महीने रही हूं और जितना देखा गया उस हिसाब से असलियत कुछ इस तरह है-

  • सीएसटी रेलवे स्टेशन पर जो मेटल डिटेक्टर लगे हैं उनका कोई फायदा नहीं क्योंकि इतने शोर में पुलिसवालों को बीप भी सुनाई नहीं देती है.
  • एक कोरा (Quora) यूजर के हिसाब से कुछ लोगों ने अपने लाइसेंसी हथियार भी मेटल डिटेक्टर से ले जाकर देखे हैं. ऐसे में क्या इसे वाकई सुरक्षा कहा जा सकता है?
  • हाल ही में एक खबर आई है कि मुंबई के अंधेरी स्टेशन में प्लेटफॉर्म पर कार चली गई. अब ड्राइवर के खिलाफ भले ही केस दर्ज हो गया हो, लेकिन क्या ये अभेद्य सुरक्षा है?
  • पूरे शहर में लोकल ट्रेनों में कोई सुरक्षा की गारंटी नहीं है. कोई भी हथियार लेकर पूरे शहर में यात्रा कर सकता है. इस हिसाब से देखें तो दिल्ली मेट्रो ज्यादा सुरक्षित है. 
  • कार और पेड पार्किंग जहां ज्यादातर लोग होते हैं कोई सुरक्षा या सीसीटीवी कैमरा नहीं होते. कुछेक जगहों को छोड़कर मुंबई की सुरक्षा में कोई खास अंतर समझ नहीं आया.
  • मॉल, सिनेमा हॉल आदि में भी कोई खास चेकिंग नहीं होती है.

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अमेरिका में 9/11 के बाद क्या आए बदलाव-

1. इमिग्रेशन-

इमिग्रेशन के नियम अमेरिका में बदल दिए गए. वीजा लेना स्टूडेंट्स, टूरिस्ट और फॉरेन नेशनल के लिए बाकी सभी के लिए अमेरिका में दाखिल होना मुश्किल हो गया. सभी वीजा धारकों का बायोमेट्रिक डेटा लिया जाने लगा.

2. एयरपोर्ट-

अटैक के कुछ दिनों बाद ही ट्रांसपोर्टेशन सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन का गठन हुआ जिसे कांग्रेस ने एविएशन एंड ट्रांसपोर्टेशन सिक्योरिटी एक्ट के तहत पास किया था. इसमें ये नियम बनाया गया कि बिना जूतों के सभी को सिक्योरिटी चेक से गुजरना होगा. एयरपोर्ट पर इतना समय लेकर पहुंचना होगा. इसके अलावा, किसी भी तरह का तरल पदार्थ आप प्लेन में नहीं ले जा सकते हैं.

3. जासूसी-

अमेरिका में 9/11 के दो महीने के अंदर ही प्रेसिडेंट जॉर्ज बुश ने एक पेट्रियट एक्ट बनाया था जिसे 2011 में प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने एक्सटेंड किया. इसके तहत NSA (नैशनल सिक्योरिटी एजेंसी) अमेरिकी नागरिकों और विदेशियों का पर्सनल डेटा भी इकट्ठा करेगी. ये मामला 2013 में एडवर्ड स्नोडन ने काफी उछाला था.

अब अगर इसे देखा जाए तो अमेरिका में एक आतंकी हमले के बाद बहुत ही ठोस कदम उठाए गए हैं और भारत में अब भी इसे लेकर लापरवाही ही लगती है.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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