जिन्होंने कोविड वैक्सीन को हल्के में लिया, ये खबर उनके लिए है!
मुंबई में कोविड संक्रमितों का आंकड़ा सवा लाख को पार कर गया है. मरीजों की इस संख्या के साथ अस्पताल आने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. मुंबई के विषय में हैरत में डालने वाली बात ये है कि जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है, उनमें से 96 फीसदी मरीजों ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी.
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कोरोना वायरस ने फिर एक बार पूरे देश को सकते में डाल दिया है. जिस तरह हर बीतते घंटे के साथ कोरोना संक्रमितों की संख्या में वृद्धि हो रही है कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि एक देश के रूप में भारत कोरोना की तीसरी लहर के बहुत करीब है. वहीं कोविड 19 के मुद्दे पर अपना ओपिनियन देने वाले हेल्थ एक्सपर्ट्स का रुख करें और उनकी बातों का अवकोलन करें तो डर तब और बढ़ जाता है जब तर्क आते हैं कि छोटी से छोटी असावधानी के घातक परिणाम भारत को भगतने पड़ सकते हैं. ये बात सिर्फ यूं ही नहीं थी. कोरोना के तहत मुंबई से जो जानकारी आई है उसने इस बात की पुष्टि कर दी है कि लोगों के नुकसान की एकमात्र वजह उनकी अपनी लापरवाही है. ध्यान रहे मुंबई में कोविड संक्रमितों का आंकड़ा सवा लाख को पार कर गया है. पिछले 24 घंटे में करीब 20 हजार नए मरीज आए हैं. और उनकी संख्या में रोज इजाफा हो रहा है. मुंबई के विषय में हैरत में डालने वाली बात ये है कि मुंबई में ऑक्सीजन सपोर्ट पर 96 फीसदी मरीज ऐसे हैं जिन्होंने वैक्सीन की डोज नहीं ली थी.
कोविड टीकाकरण को लेकर जो बातें बीएमसी कमिशनर ने कहीं हैं वो गहरी चिंता का विषय हैं
भले ही ये बात हैरत में डालती हो लेकिन ये एक ऐसा सच है जिसके बाद मुंबई के लोगों की अपने स्वास्थ्य के प्रति की गयी लापरवाही तमाम तरह के सवालों को जन्म देती है. मामले के मद्देनजर मुंबई महानगरपालिका ने एक डाटा पेश कर सनसनी फैला दी है. BMC द्वारा पेश किए गए डाटा में ये बात निकल कर सामने आई है की वो तमाम लोग अस्पतालों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं जिन्होंने कोविड वैक्सिनेशन नहीं करवाया था.
Mumbai: 96% of patients on oxygen beds haven’t taken even their 1st jab, says BMC commissioner
— MeghUpdates?™ (@MeghBulletin) January 8, 2022
कहा यही जा रहा है कि कोरोना संक्रमित होने पर ज्यादातर उन्हीं लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट या ज्यादा ख़याल रखने की ज़रूरत पड़ रही है जिन लोगों ने अपना वैक्सीनेशन अभी तक नहीं करवाया है. मामले में जो बात सबसे ज्यादा हैरत में डालती है वो ये कि ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत उन्हीं लोगों को पड़ रही है जिनकी उम्र 50 साल या उससे अधिक है.
बीएमसी के डाटा ने इस बात की तसदीक कर दी है कि मुंबई के वो तमाम लोग जिन्होंने केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहम पहल कोविड टीकाकारण को हल्के में लिया अब उनका जीवन राम भरोसे है. अब क्योंकि मुंबई में संक्रमितों की संख्या हर पल बढ़ रही है इसलिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर बिना वैक्सीन लिए मरीजों की तादाद ने इसका भी साफ संकेत दे दिया है कि उन तमाम लोगों को कोरोना का खतरा कहीं ज्यादा है जिन्होंने सरकार के लाख कहने के बावजूद कोविड की एक भी डोज नहीं ग्रहण की है.
मुंबई में कोरोना मामलों में होती वृद्धि गहरी चिंता का विषय है. चिंता तब और बढ़ जाती है जब हम कोरोना संक्रमण के तहत बीएमसी कमिश्नर इक़बाल सिंह चहल की बातों का अवलोकन करते हैं. चहल के अनुसार,‘ऑक्सीजन बेड पर भर्ती कोरोना मरीजों में से 96 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है. इनमें से सिर्फ 4 फीसदी ही ऐसे मरीज हैं जिन्होंने वैक्सीन की डोज ली थी, इसके बावजूद उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी.’
Those who haven’t taken even their first jab until now in Mumbai is becoz they don’t wish to & not becoz vaccines are not availableVaccine hesitancy becoz of opp propaganda; some feel it affects fertilityFor voting, @ECISVEEP must say,at least 1 jab of vaccine compulsory pic.twitter.com/ZNJRtZZoaP
— Pallavi (@pallavict) January 8, 2022
गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से हर रोज़ 20 हजार से ऊपर कोरोना केसेस के मद्देनजर मुंबई ने मीडिया हेडलाइन में जगह बनानी शुरू कर दी है. ऐसे में सवाल ये भी हो रहा था कि क्या मुंबई फिर लॉकडाउन के मुहाने पर खड़ी है? इस सवाल पर भी चहल ने अपना पक्ष रखा है. इकबाल सिंह चहल के अनुसार, नए 20 हजार कोरोना केस में से सिर्फ 1980 लोग अस्पतालों में भर्ती हुए. इनमें से सिर्फ 110 लोग ऑक्सीजन बेड पर हैं.
अब जबकि बीएमसी की बदौलत मुंबई से जुड़े आंकड़े हमारे सामने हैं. ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अब जरूर उन लोगों की आंखें खुल गई होंगी जिन्होंने कोविड टीकाकरण को हल्के में लिया. ध्यान रहे मुंबई का शुमार देश के उन चुनिंदा शहरों में है जहां आबादी 1 करोड़ से ऊपर है. बात अगर कोविड टीकाकरण की हो तो टीकाकरण के तहत जो आंकड़े आए हैं वो यही बताते नजर आते हैं कि मुंबई में लोगों की ठीक ठाक संख्या ने कोविड का टीका लगवाया है.
बात चूंकि मुंबई को ध्यान में रखकर वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों की हुई है तो हमें इस बात को बखूबी समझना होगा कि यदि लोग संक्रमित होकर ऑक्सीजन सपोर्ट पर आ रहे हैं तो इसमें दोष सरकार का नहीं बल्कि खुद लागों का है.
There are economically challenged citizens who haven't been able to go for vaccines due to No Leaves from work. If indeed 1.5Cr population is already vaccinated, it shouldn't be difficult for Govt to start door-to-door vaccination for remaining ones on Sundays. It should....
— ????????? ?️ (@Aamrapali) January 8, 2022
ज़िक्र चूंकि बीएमसी कमिश्नर इक़बाल सिंह चहल का हुआ है तो भले ही वो दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण देते हुए कह रहे हों कि अगले 10 दिनों में कोविड मामलों में कमी आएगी. लेकिन जिस तरह कोविड और कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन को लेकर ताजा शोध हुए हैं कहा यही जा रहा है कि जिन भी जगहों पर वैक्सीनेशन की रफ्तार कम है, वहां फरवरी-मार्च में कोरोना का असर ज्यादा दिखेगा.’
भले ही बीएमसी कमिशनर इक़बाल सिंह चहल के मुताबिक लोगों ‘कोरोना संक्रमितों की संख्या फिलहाल बहुत ज्यादा अहमियत नहीं रखती हो लेकिन यहां मुद्दा कोविड 19 जैसी घातक और जानलेवा बीमारी से बचने के लिए टीकाकरण है तो लोग चाहे मुंबई के हों या फिर भोपाल, इंदौर लखनऊ, उन्नाव और मैसूर के सभी को मिल जुलकर इस बात को समझना होगा कि कोविड को हराया जा सकता है बिलकुल हराया जा सकता है लेकिन वो तभी हारेगा जब हम अपना रवैया बदलें और उन बातों का पालन करें जो सरकार हमसे कह रही है.
Vaccine hesitancy is the biggest cause for this wave. Ppl should be compulsorily vaccinated, unless they have a genuine health problem.
— Mr.Natwarlal?? (@suleimanikeede) January 8, 2022
अंत में बस इतना ही कि भले ही आलोचक अपनी छाती पीटते रहें लेकिन उन्हें भी इस बात को बखूबी समझना होगा कि कहीं किया हो या न किया हो लेकिन कोविड नियंत्रण की दिशा में सरकार ने जरूर प्रयास किये हैं. केंद्र सरकार और पीएम मोदी के आलोचकों को इस बात को भी समझना होगा कि सरकार जबरिया ढंग से कोई काम नहीं करवा सकती. कोविड नियंत्रण के लिए वो टीका ले आई है लोग जाएं और उसे लगवाएं.
चूंकि जानकारी ही बचाव है. और जानकारी यही है कि कोविड का टीका मुफ्त है तो बेहतर है लोग जाकर लगवा लें और खुद के अलावा दूसरों की जिंदगी भी बचाएं. और हां इससे कोई नपुंसक नहीं होगा. वो तमाम लोग जो इस प्रोपोगेंडा पर चल रहे हैं जान लें ये एक ऐसा झूठ है जिसे समय समय पर बड़ी ही खूबसूरती के साथ फैलाया गया और जनता को दिग्भर्मित करने का प्रयास किया गया.
खैर बेहतर है कि आदमी इन बातों को समझे वरना अगर समझते हुए देर हो गयी तो कुछ संभालने को रहेगा नहीं. कोरोना के घातक परिणाम यूं भी हम दूसरी लहार में देख चुके हैं.
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