सऊदी शेख का फरमान, पत्नी को छड़ी से नहीं रुमाल से मारो!
इस्लाम और अल्लाह के नाम पर आज कोई कुछ भी कर रहा है. उलजुलूल फतवों से लेकर अजीबोगरीब गाइडलाइन तक. अब इन जनाब से मिलिए. ये तीन आसान स्टेप्स में सीखा रहे हैं कि पत्नी को तहजीब और अनुशासन में कैसे रखा जाए!
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कमाल की बात है! इस्लाम और अल्लाह के नाम पर आज कोई कुछ भी कर रहा है. उलजुलूल फतवों से लेकर अजीबोगरीब गाइडलाइन तक. सबकुछ इस्लाम के लिए. कहीं एक मुल्ला किसी बच्चे को ईशनिंदा का गुनहगार ठहराकर इतना अपमानित करता है कि वो बच्चा खुद ही अपना हाथ काट लेता है. तो कभी कोई डिप्लोमेट रेप कर के भी आसानी से बच जाता है. एक आतंकी संगठन ने तो बलात्कार के गाइडलाइन ही जारी कर दिए. ये सबकुछ इस्लाम और उसकी मान्यताओं को बचाए रखने के नाम पर.
अब एक और जनाब से मिलिए. ये तीन आसान स्टेप्स में सीखा रहे हैं कि पत्नी को तहजीब और अनुशासन में कैसे रखा जाए!
दुनियाभर में पत्नियों से परेशान पतियों के ऊपर कई जुमले बने होंगे. लेकिन हम कोई जुमलेबाजी नहीं कर रहे हैं. सच बता रहे हैं. साऊदी अरब के एक फैमिली थेरेपिस्ट हैं. खालिद अल शकाबी. उन्होंने एक वीडियो रिलीज किया है जिसमें समझाया गया है कि पत्नियों को अनुशासन में कैसे रखा जाए. पूरे वीडियो में ये जनाब अल्लाह और इस्लाम की दुहाई देते नजर आ रहे हैं.
ये बता रहे हैं कि पहले पत्नी को उसकी जिम्मदेारी और उसके अधिकार के बारे में बताओ जो अल्लाह ने उसे नवाजे हैं. इस पर भी वो न समझे तो बिस्तर पर उससे दूरी बना कर रखो. मतलब, उसे अकेले छोड़ दो. बात यहां भी न बने तो तीसरा तरीका अपनाओ. पीटने का. लेकिन खालिद साहब यहां भी बड़ी चतुराई से बात करते हैं. जनाब फरमा रहे हैं कि पीटने के भी तरीके हैं. सभी को समझना होगा कि इसका एकमात्र उद्येश्य पत्नी को अनुशासित करना है.
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खालिद के अनुसार पत्नी को कैसे पीटा जाए, इस्लाम में इसका जिक्र है. बतौर खालिद पत्नी को रॉड या छड़ी से नहीं पीटना चाहिए. बल्कि उसे दातून या रूमाल से मारना चाहिए. ऐसा करने का एक मात्र उदयेश्य यही है कि पत्नी को अहसास हो कि उसने गलती की है. इनके अनुसार कुछ ऐसी महिलाएं होती हैं जो जानबूझकर मर्दों को उन्हें पीटने के लिए उकसाती हैं. वे कहती है कि असली मर्द हो तो मुझे मारो. उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए. इसे आप हास्यास्पद नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे.
देखिए खालिद का ये पूरा वीडियो...
लेकिन इस्लाम की रक्षा करने की बात करने वालों को भला इन सबसे कहां फर्क पड़ने वाला. उन्हें मिर्ची तब लगती है जब कोई महिला अधिकारों की बात करने लगे. इस्लाम को कट्टर मान्यताओं से बाहर निकालने की बात करने लगे. सोचने की बात है. आखिर कोई तो कारण होगा, कहीं तो गलती हुई है जिसकी वजह से आज दुनिया में इस्लाम की एक गलत छवि पेश हो रही है.
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