ऐसी कहानी सिर्फ 'mothers day' की मोहताज नहीं होती...
कई कहानियां मर्दस डे को लेकर कही गईं, लेकिन कई ऐसी होती हैं जो किसी खास दिन की मोहताज नहीं होतीं. ऐसी ही एक कहानी है ताशा ट्रैफोर्ड की. जिसने अपने अजन्मे बच्चे के लिए मौत को चुना.
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Mother's Day आ गया है और इस साल भी सोशल मीडिया पर कई किस्से कहानियां बताने का सिलसिला शुरू हो गया है. लोक अपनी मां के साथ फोटो डालने में उनके लिए बधाइयां लिखने में व्यस्त हैं. दिन खत्म होते-होते कई कहानियां बताई जाएंगी और शायद आगे कुछ दिनों में भुला भी दी जाएं, लेकिन कई कहानियां मर्दस डे को लेकर कही गईं, लेकिन कई ऐसी होती हैं जो किसी खास दिन की मोहताज नहीं होतीं.
ऐसी ही एक कहानी है ताशा ट्रैफोर्ड की. ताशा जो पेशे से नर्स थीं अपनी जिंदगी हस्ते-हस्ते अपने बच्चे के लिए कुर्बान कर गईं. शायद मां के अलावा किसी और में ऐसी शक्ति भी नहीं होती कि ये काम कर सके.
ताशा एक कैंसर सर्वाइवर भी थीं. उन्हें एक दुर्लभ कैंसर Ewing's sarcoma था. ये कैंसर दुर्लभ है और अक्सर कम उम्र में ही होता है. ये पैर, हाथ या कूल्हे की हड्डी के आस-पास होता है. इसमें हड्डियों का दर्द, सूजन और हड्डियों का सॉफ्ट हो जाना आम लक्ष्ण हैं. इसके लिए कीमोथेरेपी, रेडिएशन और ऑपरेशन ही इलाज होता है.
ताशा ने अपने अंडाणु फ्रीज़ करवा कर रख दिए थे ताकि जब कैंसर से जंग खत्म हो तब वो अपनी जिंदगी फिर से जी सकें और मां बन सकें. दो साल तक कैंसर से जी तोड़ लड़ाई की और फिर डॉक्टरों ने कहा कि वो इससे मुक्त हो गई हैं.
ताशा ने जब मां बनने की सोची और प्रेग्नेंट हुईं तब जिंदगी ने एक बार फिर उन्हें बहुत बुरी खबर दी. ताशा 16 हफ्ते प्रेग्नेंट थीं जब डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनका कैंसर फिर से वापस आ गया है.
अपने बच्चे कूपर के साथ ताशा.
मां जिसने धीमी मौत चुनी..
ताशा के पास अब दो रास्ते थे. या तो वो अपने अजन्मे बच्चे को नुकसान पहुंचाए और इलाज करवाए जिसमें कीमोथेरिपी और रेडिएशन दोनों ही शामिल थे, या फिर वो दर्द सहें, बेतहाशा दर्द और धीमी मौत का इंतज़ार करते हुए अपने बच्चे को जन्म दें.
ताशा ने अपना बच्चा चुना. वो ऐसा कुछ नहीं कर सकती थीं जिससे उनके बच्चे को किसी भी तरह की तकलीफ हो. शायद यही कारण है कि ताशा ने अपने बच्चे के लिए कुर्बानी दी. बिना किसी खतरनाक ड्रग के ताशा ने अपने कैंसर को झेला.
ये किसी चमत्कार से कम नहीं था कि ताशा ने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया. 3 दिसंबर 2015 वो दिन था जब ताशा और उसके पति जॉन के घर एक बेटा आया. इसे किसी क्रिसमस गिफ्ट की तरह ही माना जाएगा. ताशा ने बेटे का नाम कूपर रखा. ताशा ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं था कि कैंसर जैसी विभत्स्य बीमारी के साथ-साथ उनके शरीर में कूपर जैसा सुंदर बच्चा भी है. इसे अगर अपने इलाज के लिए मार दिया जाता तो उनसे गुनाह हो जाता.
शुरुआत से ही रहीं फाइटर..
ताशा और जॉन की शादी 2012 में होने वाली थी और तभी से ताशा को दर्द की शिकायत होना शुरू हुई. उन्हें कमर में दर्द रहता था. पहले उन्होंने सोचा कि ये सिर्फ स्लिप डिस्क की शिकायत है, लेकिन शादी के बाद उनके कंधे में भी दर्द होने लगा. MRI के बाद पता चला कि उन्हें कमर और कंधे पर ट्यूमर हो गया है. ये वो कैंसर था जो हड्डी के पास सॉफ्ट टिशू में होता है. ताशा को लगा कि उनकी दुनिया ही घूम गई. पर बहादुर ताशा ने हिम्मत नहीं हारी. सबसे पहले अपने अंडाणु सुरक्षित करवाए और फिर इलाज में लग गईं. दो साल तक कड़ी मेहनत करने के बाद ताशा को पता चला कि उनका कैंसर ठीक हो गया है.
सिर्फ 11 महीने की मां..
ताशा ने कूपर को जन्म दिया और 11 महीने तक उसकी देखभाल की. ताशा अपने बच्चे को 1 साल का पूरा होते देखना चाहती थीं, लेकिन किस्मत ने यहां उनका साथ नहीं दिया. ताशा ने कीमोथेरेपी शुरू करवाने से पहले कूपर को अपना दूध भी पिलाया ताकि कूपर उस प्यार से वंछित न रह जाए. ताशा अपने बच्चे को 1 साल का पूरा होते नहीं देख पाईं, लेकिन उन्होंने अपने बच्चे के लिए एक सुनहरा भविष्य जरूर देख लिया.
खुद ही सोचिए कि भला किसी मां के अलावा, कोई और ये काम कर सकता है? नहीं न? एक मां ही है जो इतना दर्द सहकर भी उस बच्चे से प्यार कर सकती है जिसे उसने अभी तक देखा भी नहीं है.
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