4 महिलाओं ने अफगानिस्तान की तस्वीर बदल कर रख दी !
अफगानिस्तान में कुछ महिलाओ ने ऐसा कारनामा किया जिससे अफगानिस्तान की तस्वीर बदल गई. कोई हवा में धमाल मचा रही हैं तो कोई खेल के मैदान में...
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तालिबान के प्रभाव से पहले अफगानिस्तान एक आजाद देश हुआ करता था. यानी कपड़े पहनने से लेकर पढ़ाई तक हर चीज की आजादी थी. लेकिन तालिबान के प्रभाव में आने के बाद यह सब खत्म हो गया. मुस्लिम देश में महिलाओं की बदहाली किसी से छुपी नहीं. अफगानिस्तान भी उन्हीं देशों की फेहरिस्त में शुमार है, जहां महिलाओं के पास नाम मात्र के ही अधिकार हैं.
अफगानिस्तान में महिलाएं : तालिबान से पहले और तालिबान के बाद.
शाइस्ता वेज
दुनिया अफगानिस्तान को महिला विरोधी समझती है. कई फोटो और वीडियो में देखा जाता है कि वहां की महिलाएं बुर्के में घूम रही हैं. लेकिन कुछ महिलाओं ने इससे विपरीत निकलकर ऐसा कारनामें किए जो काबिले तारीफ हैं. अफगानिस्तान की 29 वर्षीय शाइस्ता वेज अकेले फ्लाइट चलाकर दुनियाभर की सैर करने वाली है. अगर ऐसा होता है तो वो यंगेस्ट अफगान पायलट कहलाएंगी.
शाइस्ता ने 90 दिन तक हवाई सफर करने का तय किया है. इन 90 दिनों में वो 18 देश घूमेंगी और 30 जगह रुकेंगी. कुल मिलाकर वो 40 हजार किलोमीटर तक हवाई सफर करेंगी. शाइस्ता का जन्म सोवियत वार के दौरान अफगानिस्तान के रिफ्यूजी कैंप में हुआ था. हालांकि साल 1987 में वो और उनका परिवार अमेरिका पलायन कर गया.
निलोफर रहमानी
निलोफर रहमानी की भी ऐसी ही कहानी है जिसने ऐसी जगह पहचान बनाई जहां महिलाओं को दबाया जाता है. अफगानिस्तान में तालिबान के पतन के बाद अब पहली महिला पायलट एयरफोर्स में सेवाएं दे रही हैं. 25 साल की निलोफर रहमानी फिक्स्ड बिंग एयरफोर्स एविएटर की पायलट हैं. 18 साल की उम्र में उन्हें अफगान एयरफोर्स और पालयट ट्रैनिंग के लिए चुना गया था. निलोफर को 2015 में यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज अवॉर्ड से भी सम्मानित किया था.
हबीबा सराबी
हबीबा सराबी करजई सरकार में बामियान प्रांत की गर्वनर रहीं. शिक्षा, पर्यावरण और महिला अधिकारों के क्षेत्र में उनके योगदान के चलते उन्हें मैगसेसे अवार्ड के लिए चुना गया. उत्तरी अफगानिस्तान के एक प्रतिष्ठित परिवार में वर्ष 1956 में पैदा हुईं हबीबा मूल रूप से एक डॉक्टर हैं. जब उन्होंने अपनी शिक्षा खत्म की तो उस वक्त अफगानिस्तान के हालात बेहद खराब थे. तो वो अपने परिवार के साथ पाकिस्तान के पेशावर शहर चली गईं. हालात सुधरे तो वो वापिस लौटीं और और हामिद करजई सरकार का हिस्सा बनीं. वो अफगानिस्तान की पहली महिला गर्वनर बनीं.
किमिया युसुफी
किमिया युसुफी अफगानिस्तान की पहली महिला ओलंपिक प्लेयर हैं. जिन्होंने रियो ओलंपिक में अफगानिस्तान की तरफ से ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में हिस्सा लिया. 22 वर्षीय किमिया युसुफी वर्ष 1994 में ईरान में जन्मी एक अफगानी शरणार्थी हैं. कड़ी महनत कर उन्होंने सबसे पहले 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में उन्होंने अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व किया.
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