Shraddha murder case: प्यारी लड़कियों, परिवार से बगावत करो लेकिन उन्हें पराया मत समझो
प्यार करना कोई गुनाह नहीं है लेकिन किसी ग़लत आदमी के साथ रहना ये जान लेने के बाद भी कि वो ग़लत इंसान है, ग़लत है.बाक़ी परिवार की भी ज़िम्मेदारी है कि बेटियों को वो समझें. उन्हें इतना प्यार दें कि किसी और में उन्हें प्यार ढूंढने की दरकार ही न हो.
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प्यारी लड़कियों
सुनो, जो लड़का तुम पर एक बार हाथ उठाता है, वो तुम पर बार-बार हाथ उठाएगा. जो तुम्हें एक बार धोखा देता है वो तुम्हें बार-बार धोखा देगा. जो तुम पर एक बार शक करेगा वो बार-बार शक करेगा.और तुम अगर उन्हें छोड़ कर जाने की बात करोगी या ब्रेक-अप का सोचोगी तो कभी प्यार से बहला कर, तो कभी इमोशनली ब्लैकमेल करके, तो कभी सुसाइड करने को धमकी दे कर तुम्हें अपने साथ रखेंगे. अच्छा, तुम्हें इसलिए नहीं रखेंगे अपने साथ कि उन्हें तुमसे प्यार है. वो ऐसा इसलिए करेंगे क्योंकि उनको डर लगता है कि अगर तुम उन्हें छोड़ कर गयी और दुनिया में ये बात फैल गयी तो उनकी इमेज का क्या होगा. फिर उनको ये भी लगता है कि उनकी कुंठा, मेल ईगो जो तुम्हें मार-पीट कर, गाली दे कर शांत होता था वो कैसे होगा.
जानती हो, ऐसी किसी भी सूरत में तुम्हें सिर्फ़ और सिर्फ़ उससे बच कर अलग हो जाने की ज़रूरत है. तुम चाहे अपने परिवार से बग़ावत ही कर के क्यों नहीं रहने गयी हो. तुम अपने परिवार को बताओ कि आख़िर हो क्या रहा है तुम्हारे साथ. शायद पहली बार में वो नहीं समझेंगे और तुम्हें सुना दें कि अपना किया है अब भुगतो लेकिन दो-तीन बार बात करोगी तो वो पसीज जाएंगे.
आख़िर वो मां-बाप होते हैं, उन्होंने तुमको जन्म दिया है, पाल कर यहां तक पहुंचाया है वो तुम्हें मरने के लिए नहीं छोड़ देंगे. अपवादों का ज़िक्र नहीं कर रही जो अपनी झूठी इज़्ज़त के लिए बेटियों को मार डालते हैं या मरने के छोड़ देते हैं.फिर अपने दोस्तों से कहो. उन्हें सब बताओ. कोई जज करेगा कि तुम्हारा खुद का लिया फ़ैसला ग़लत हुआ इसलिए किसी के हाथों क़ुर्बान होने की ज़रूरत नहीं है. समझीं.
गर्लफ्रेंड श्रद्धा वॉकर की हत्या करने वाला आफ़ताब अमीन पूनावाला
और इन सब प्यार-मुहब्बत में पड़ने से पहले आत्मनिर्भर बनो. पैसे खुद कमाओं ताकि प्रेमी या पति पर निर्भर न रहना पड़े. आधी ग़ुलामी, हिंसा, प्रताड़ना तुम इसीलिए झेलती हो क्योंकि तुम किसी पर डिपेंडेंट रहती हो. सोच रही होगी कि सुबह-सुबह क्यों लिख रही हूं ये तो शायद तुमने भी अभी तक आफ़ताब और श्रद्धा वाली खबर पढ़ ली होगी.
लव-जिहाद और हत्या से पहले उन दोनों की कहानी एक हिंसात्मक प्रेम कहानी थी. आफ़ताब श्रद्धा को मरता-पीटता था लेकिन जब श्रद्धा पुलिस कम्प्लेन करने की बात करती तो उसे अपनी आत्महत्या की धमकी दे कर चुप करवा देता. जब वो किसी और औरत के साथ होता और श्रद्धा इस पर सवाल करती तो प्यार से बहला-फुसला कर यक़ीन दिलवा देता कि वो उसे ही प्यार करता है.
पता नहीं, प्यार में लड़कियां इतनी अंधी कैसे हो जाती हैं कि रेड-फ़्लैग नहीं दिखते. यार, प्यार ठीक है अपनी जगह लेकिन किसी ऐसे इंसान पर इमोशनली इतना निर्भर कोई कैसे हो जाता है कि बार-बार धोखा खाने पर भी उसी के पास लौटता है. मैं इसे प्यार नहीं मूर्खतापूर्ण व्यवहार कहूंगी.
अब कोई कह सकता है कि लड़की को अपने परिवार में कोई प्यार नहीं करता, या उसे कोई समझता नहीं होगा इसलिए वो किसी ग़ैर में किसी अपने को ढूंढने लगती है. तो जब लड़की को इतनी समझ है कि ग़ैर में कोई अपना ढूंढ ले तो फिर खुद में खुद के लिए कोई स्ट्रांग सहारा ढूंढे. पहले वो इमोशनली इतनी मज़बूत बनें कि कोई उसके वॉलरेनेब्ल होने का फ़ायदा नहीं उठा सके.
प्यार करना कोई गुनाह नहीं है लेकिन किसी ग़लत आदमी के साथ रहना ये जान लेने के बाद भी कि वो ग़लत इंसान है, ग़लत है.बाक़ी परिवार की भी ज़िम्मेदारी है कि बेटियों को वो समझें. उन्हें इतना प्यार दें कि किसी और में उन्हें प्यार ढूंढने की दरकार ही न हो. उन पर इतना भरोसा दिलाएं कि अगर वो कुछ ग़लत भी कर ले तो लौट कर उनके पास आ सकें.आख़िर में एक और चीज़ किसी भी आफ़ताब पर यक़ीन नहीं करना. और कितने उदाहरण चाहिए मुहब्बत और मौत का अंतर जानने के लिए. हां!
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