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Updated: 26 नवम्बर, 2018 02:33 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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26 नवंबर आते ही हर भारतीय को उस खौफनाक रात की यादें ताजा हो जाती हैं, जब 26 नवंबर 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में 10 आतंकवादियों ने गोलियां बरसाते हुए 164 मासूमों की जान ले ली थी, जबकि 300 से भी ज्यादा लोग इस हमले में घायल हो गए थे. समाचार चैनलों पर उस घटना की तस्वीरों ने हर भारतीय के दिलों को बेचैन कर दिया था. ऐसा नहीं था कि यह भारत पर हुआ कोई पहला आतंकी हमला था, मगर यह हमला पहले के सभी हमलों से ज्यादा जानलेवा और खतरनाक था. आतंकिंयों ने जिस दुःसाहस से मुंबई की सड़कों से लेकर पांच सितारा होटल तक कहर बरपाया था, वो पहली बार हो रहा था. हमले में ना केवल भारत बल्कि 28 विदेशी नागरिकों की भी मौत हुई तो जो 10 अलग-अलग देशों के नागरिक थे. हमले के बाद तो देश की आंतरिक सुरक्षा के ढांचे पर भी सवाल उठ गए थे.

26/11 attack10 आतंकवादी- 164 मौतें- 300 से ज्यादा घायल

हालांकि अब उस घटना को दस साल हो गए हैं, भारत आज 10 साल बाद आंतरिक सुरक्षा को लेकर ज्यादा मुस्तैद है. भारत ने अपनी समुद्री सुरक्षा को भी कई गुना बढ़ा लिया है, क्योंकि यह समुंदरी रास्ता ही था जिसका इस्तेमाल कर आतंकियों ने भारत को दहलाने की साजिश रची थी. आज 2008 जैसे किसी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पुलिस की क्विक एक्शन टीम मौजूद है. वैसे कोई भी देश किसी भी आतंकी हमले को टालने का दावा नहीं कर सकता मगर बावजूद इसके यह जरूर कहा जा सकता है कि आज भारत पहले के मुकाबले ज्यादा तैयार दिखता है.

इस हमले के बाद अगर किसी चीज ने भारतीयों के दिलों को कुछ तसल्ली दी तो वह निश्चित रूप से 10 में एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब की फांसी ही हो सकती है. कसाब ही एकमात्र आतंकी था जिसे जिंदा पकड़ा गया था, और यह कसाब ही था जिसने पाकिस्तान को हमले का दोषी मानने के भारतीय शक को पाकिस्तान के ही दोषी होने के पुख्ता सबूत उपलब्ध कराए थे. हालांकि यह अलग मामला है कि कसाब जैसे जालिम आतंकी को भी भारतीय न्याय व्यवस्था ने अपना पक्ष रखने के भरपूर मौके दिए. कसाब को चार साल तक जेल में रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को तकरीबन तीस करोड़ रुपये भी खर्च करने पड़े, मगर यह भारत के उन मूल्यों को भी दिखाता है जो हर किसी को एक समान अवसर उपलब्ध कराने में यकीन रखता है.

kasabकसाब ही एकमात्र आतंकी था जिसे जिंदा पकड़ा गया था

हालांकि इन दस सालों बाद भी पाकिस्तान की आतंक के आकाओं पर कृपादृष्टि में कोई बदलाव नहीं आया है. भारत ने 2008 के आतंकी घटना के बाद से पाकिस्तान को 15 से भी अधिक डोसियर दिए जिसमें हमले के पीछे पाकिस्तान के आकाओं का हाथ होने की सारी पुख्ता जानकारी थी. भारत ने डोसियर में उन सारे सामानों का उल्लेख किया जो पाकिस्तान में बने थे और आतंकियों के पास से मिले थे, भारत ने आतंकियों और उनके आकाओं की बातचीत की सारी ट्रांसक्रिप्ट भी पाकिस्तान को उपलब्ध कराई थी. भारत ने अजमल कसाब के इक़बालिया बयान को पाकिस्तान को उपलब्ध कराया था. हालांकि भारत के तमाम प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान ने दोषियों को सजा दिलाने के लिए कुछ नहीं किया, इसके उलट पाकिस्तान ने उन आतंक के आकाओं को बचाने के लिए तमाम जतन किये. आज हमले के दस साल बाद इन हमलों का मास्टरमाइंड हाफीज़ सईद खुलेआम पाकिस्तान में घूम-घूम कर भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है, हमलों के ज्यादातर दोषियों को पाकिस्तान की अदालतों ने बरी कर दिया है.

आज भले ही दस सालों बाद 2008 के जख्मों पर कुछ हद तक मरहम लग गया है, मगर इन हमलों के दोषियों को खुलेआम घूमते देखना आज भी हर भारतीयों के दिल में टीस दे जाता है. और सही मायनों में जब तक उन दोषियों को उनके अंजाम तक नहीं पहुंचाया जाएगा तब तक उन जख्मों का भरना नामुमकिन है.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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