9 पैसे का दान! कहीं पीएम मोदी को आहत न कर दे
तेल की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर तेलेंगाना के व्यक्ति का प्रधानमंत्री राहत कोष में 9 पैसे दान करना बताता है कि आज देश का आम आदमी मोदी सरकार की नीतियों से खासा नाराज है.
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पेट्रोल और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों ने सभी की नाक में दम कर रखा है. एक तरफ जहां आए रोज़ पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों से देश का आम आदमी परेशान है. तो वहीं विपक्ष भी इस मुद्दे पर लगातार सरकार की आलोचना करता नजर आ रहा है. विपक्ष का तर्क है कि सरकार को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी. भविष्य में जनता अपने वोट को हथियार बनाकर सरकार से बदला लेगी और उसे उसकी सही जगह दिखा देगी.
बात जब पेट्रोल डीजल के दामों को लेकर जनता के विरोध की चल रही है तो हमें तेलेंगाना से आ रही एक खबर को बिल्कुल भी नकारना नहीं चाहिए. रोज-रोज तेल की बढ़ी हुई कीमतों से खिन्न एक शख्स ने अपना विरोध दर्शाने के लिए प्रधानमंत्री राहत फंड में 9 पैसे का दान किया है. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप.
इस चेक को देखकर कहा जा सकता है कि देश का आम आदमी मोदी सरकार की नीतियों से बहुत खफा है
तेलेंगाना स्थित सिरसिला जिले के वी. चंद्रैय्या ने उस वक़्त जिला कलेक्टर के अलावा मौजूद अन्य लोगों को हैरत में डाल दिया जब उसने प्रजा वाणी कार्यक्रम के दौरान जिला कलेक्टर को 9 पैसे का चेक सौंपा. जिला कलेक्टर को चेक देने वाले वी. चंद्रैय्या ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा है कि कई दिनों से तेल के दाम बढ़ाए जा रहे थे और अब इसके दामों में कटौती रुपयों के बजाय पैसों में की जा रही है. पीएम मोदी को संबोधित करते हुए चंद्रैय्या ने कहा कि आपने तेल की कीमत में 9 पैसे की कटौती की. कीमत घटने से मैंने यह पैसे बचाए हैं और अब मैं इसे पीएम रिलीफ फंड में दान देता हूं. उम्मीद है कि भविष्य में यह राशि अच्छे काम में इस्तेमाल की जाएगी.
गौरतलब है कि कर्नाटक चुनाव के फौरन बाद सरकार द्वारा पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए गए थे और फिर लोगों को हैरत तब हुई थी जब सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 13 और 9 पैसे की कटौती की थी. बहरहाल हमारे लिए ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि एक ऐसे वक़्त में जब अपनी नीतियों के कारण सरकार चौतरफा आलोचना का सामना कर रही हो. तो लोगों की ऐसी प्रतिक्रियाएं निश्चित तौर पर उसकी मुश्किल बढ़ाएगी.
पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों से देश का आम नागरिक बहुत परेशान है
ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि आम आदमी के लिए आज भी अपनी मूलभूत जरूरतें महत्त्व रखती हैं. और बात जब अपनी सुविधा की आती है तब देश का आम आदमी कुछ नहीं देखता. अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात को विराम देंगे कि सरकार को चाहिए कि वो देश के एक आम आदमी, या ये कहें कि एक वोटर की परेशानियों को समझे और उसके सुधार की दिशा में काम करे.
कुल मिलकर बात का निचोड़ ये है कि सरकार को ये समझना होगा कि विकास के नाम पर जिस जनता ने उसे अपने वोट के माध्यम से चुना है. वो उसे चुनावों में बाहर का रास्ता दिखा के किसी और को मौका दे सकती है. बेहतर है सरकार जनता के रोष और इन छोटी छोटी मगर महत्वपूर्ण चीजों का संज्ञान ले वरना हालात वहीं होंगे कि कुल्हाड़ी पर पैर मारने के बाद उसके पास अफ़सोस करने के लिए कुछ खास बचेगा नहीं.
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एक पैसे की कीमत आप क्या जानो राहुल बाबू !
आप सोते रहे और भारत में ये सब हो गया..
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