5 सवालों के जवाब जो अमृतसर हादसे का भ्रम दूर कर देंगे
आखिर ये घटना हुई कैसे? कैसे इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई और प्रसाशन को कुछ भनक तक नहीं लगी? आखिर कैसे इतनी बड़ी सुरक्षा खामी हुई? क्या रेलवे बोर्ड की गलती है या फिर उस ड्राइवर की जो ट्रेन चला रहा था? इस घटना से जुड़े 5 अहम सवालों के जवाब जान लेने चाहिए.
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अमृतसर ट्रेन हादसा कई मायनों में ऐसी भयावह दुर्घटना है कि इसका दंश कई सालों तक रहेगा. इस घटना के आरोपियों की न तो गिनती की जा सकती है और न ही साफ तौर पर किसी को दोष दिया जा सकता है. पर ये जरूर कहा जा सकता है कि अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास हुई ये घटना दिल दहला देने वाली है और इसने 60 लोगों के परिवारों को ऐसा दुख दे दिया जिसकी भरपाई न तो कोई मुआवजा कर पाएगा और न ही इस घटना से जुड़ी कोई भी जानकारी उन्हें तसल्ली दे पाएगी. पर आखिर ये घटना हुई कैसे? कैसे इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई और प्रसाशन को कुछ भनक तक नहीं लगी? आखिर कैसे इतनी बड़ी सुरक्षा खामी हुई? क्या रेलवे बोर्ड की गलती है या फिर उस ड्राइवर की जो ट्रेन चला रहा था? इस घटना से जुड़े 5 अहम सवालों के जवाब जान लेने चाहिए.
1. क्या रावण दहन कार्यक्रम के लिए प्रशासन से अनुमति ली गई थी?
अमृतसर डेप्युटी कमिश्नर ऑर पुलिस अमरीक सिंह पवार का कहना है कि पुलिस की तरफ से आयोजकों को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट तो दिया गया था, लेकिन सिर्फ इसी शर्त पर कि आयोजक मुनिसिपल कार्पोरेशन से इजाजत लें और प्रदूषण बोर्ड से भी इजाजत लें. मुनिसिपल कार्पोरेशन के अनुसार आयोजकों ने प्रशासन से किसी भी तरह की कोई इजाजत नहीं ली और सिर्फ पुलिस के एनओसी के आधार पर ही कार्यक्रम का आयोजन कर दिया.
Train Accident Amritsar Original Video.Ohh My GOD..Plz Help ???????????? pic.twitter.com/ViVuGxxteB
— Rajveer Shah???????? (@iRajveerShah) October 19, 2018
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी का कहना है कि रेलवे को तो इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी कि इतने लोग रेलवे ट्रैक पर हो सकते हैं या रेलवे ट्रैक के इतने पास कोई कार्यक्रम हो रहा है.
एक मीडिया रिपोर्ट ये भी कहती है कि सुरक्षा इंतजामों के लिए परमीशन मांगी गई थी, लेकिन चश्मदीदों का कहना है कि सुरक्षा के इंतजाम सही नहीं थे और कार्यक्रम का आनाउंसर खुद माइक पर चिल्ला कर बोल रहा था कि, 'यहां ट्रैक्स पर 5000 लोग खड़े हैं और दिन भर में 500 गाड़ियां भी निकल जाएं तो भी ये लोग नहीं हटेंगे क्योंकि ये आपको (नवजोत कौर सिद्धू को) सुनने आए हैं.' यानी इजाजत तो ली गई, लेकिन आधी-अधूरी.
2. रेलवे ने ट्रेन को धीरे न चलाकर अपराध किया है?
जालंधर-अमृसर डीएमयू ट्रेन (JUC-ASR DMU – 74643) से ये हादसा हुआ. इसका 19 अक्टूबर का रनिंग स्टेटस देखें तो ये जालंधर सिटी स्टेशन से निर्धारित समय शाम 5.10 पर रवाना हुई और अमृतसर स्टेशन पर बिना किसी विलंब तय समय शाम 7.00 बजे पहुंच गई. 79 किलोमीटर का ये सफर 1 घंटा 50 मिनट में तय होता है. ये हादसा मनानवाला स्टेशन और अमृतसर के बीच हुआ.
वो ट्रेन जिससे हादसा हुआ. ये ट्रेन अब अटारी पहुंच चुकी है
मनानवाला स्टेशन और अमृतसर स्टेशन के बीच की दूरी 10 किलोमीटर है. मनानवाला स्टेशन पर ट्रेन शुक्रवार को 9 मिनट लेट पहुंची थी. इस स्टेशन से शेड्यूल्ड टाइम 18.37 (6:37 PM) की जगह 18.45 (6:45 PM) पर ट्रेन अमृतसर के लिए रवाना हुई जो निर्धारित समय से 8 मिनट लेट थी. हो सकता है कि ड्रायवर को इस बात की जल्दी हो कि वो ट्रेन सही समय पर स्टेशन पहुंचा दे.
ट्रेन जिस ट्रैक से गुजर रही थी वहां एक मोड़ था जिसके कारण शायद लोगों को ट्रेन दिखी नहीं होगी. रावण को जिस वक्त आग लगाई गई उसी समय ट्रेन आ गई. लोगों को आतिशबाजी के कारण भी ट्रेन नहीं दिखी होगी. इसके अलावा, रेल प्रशासन का कहना है कि ड्रायवर को धुएं और आग-आतिशबाजी के कारण ट्रैक पर खड़े लोग नहीं दिखे. जो लोग इस हादसे में जख्मी हुए हैं उनका कहना है कि उन्हें ट्रेन का हॉर्न नहीं सुनाई दिया और इसके कुछ समय पहले ही एक और ट्रेन धीमी गति से वहां से गुजरी थी.
रिपोर्ट के मुताबिक ड्राइवर 91 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन लेकर आ रहा था, उसने जब लोगों को देखा तो रफ्तार कम करने की कोशिश की और 68 किमी प्रति घंटे तक ही ला पाया था कि हादसा हो गया. 90 की गति से दौड़ रही ट्रेन को रोकने के लिए कम से कम 625 मीटर की दूरी चाहिए होती है, भीड़ और ट्रेन के बीच इतनी दूरी नहीं थी, कि एमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया जा सकता. ड्राइवर अगर एमरजेंसी ब्रेक लगाता तो ट्रेन पलट सकती थी और तब मरने वालों की संख्या और ज्यादा होती.
ट्रेन के ड्रायवर ने भी अपना लिखित बयान जारी कर दिया है. उसका कहना है कि, 'उसने लोगों को देखने के बाद ब्रेक लगाया. कुछ दूरी पर ही ट्रेन धीमी हुई, लेकिन तब तक हादसा हो चुका था. इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए थे और ट्रेन में बैठे यात्रियों को बचाने के लिए मैंने स्पीड बढ़ाई और आगे निकल गया.' कुल मिलाकर रेलवे प्रशासन को अगर इसकी जानकारी वाकई नहीं थी (जैसा कि कहा जा रहा है) तो वैसे भी ट्रेन अपनी स्पीड में चल रही थी और ट्रेन ड्रायवर अपनी स्पीड में ही ट्रेन के गंतव्य स्थान पर जा रहा था. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने ये भी बताया कि, 'ट्रैक के मिड सेक्शन (जहां से ट्रेन गुजर रही थी.) के बीच कोई भी रेलवे कर्मचारी नहीं होता है. ट्रेन को उसी स्पीड पर चल रही थी जिसपर उसे चलना चाहिए था जो रेलवे द्वारा ही असाइन की गई थी.' यानी ट्रेन अपनी उसी स्पीड पर जा रही थी जिसपर उसे जाना था.
3. श्रीमती सिद्धू क्या हादसे के वक्त मौके पर मौजूद थी?
हादसे के तुरंत बाद जब श्रीमती सिद्धू का बयान आया था तब उन्होंने कहा था कि कार्यक्रम पूरी तरह से निपट चुका था और उसके बाद वो निकलीं, लेकिन नवजोत कौर सिद्धू पर आरोप लग रहा है कि ये झूठ है.
कहा जा रहा है कि हादसे के बाद नवोजत कौर मौका देख कर चुपके से वहां से निकल गईं. इस पर नवजोत का कहना है कि उनके कार्यक्रम से चले जाने के बाद हादसा हुआ था. नवजोत कौर ने बताया कि सब कुछ आराम से हो चुका था और वह वापस आ चुकी थीं, लेकिन बाद में पता चला कि हादसा हो गया है तो वह घायलों को इलाज मुहैया कराने के लिए अस्पताल पहुंचीं. सोशल मीडिया पर नवजोत कौर पर लग रहे आरोपों को दरकिनार करने का दावा करते हुए एक वीडियो भी वायरल हो रहा है.
Navjot Kaur and her husband, Navjot Sidhu's problems will increase with this video clip wherein she is being clearly told as a boast that 5000 ppl are standing on the railway lines.#AmritsarTrainTragedy pic.twitter.com/tKNXkErxfv
— Man Aman Singh Chhina (@manaman_chhina) October 20, 2018
चलिए ये कह दिया जाए कि इसमें नवजोत कौर सिद्धू हादसे के वक्त थीं या नहीं थीं ये नहीं दिख रहा है. पर सीधे तौर पर सोचिए कि अगर रावण दहन के कार्यक्रम में नवजोत कौर सिद्धू को चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था तो कम से कम वो रावण के जलने तक तो रुकी होंगी? ट्रेन हादसे के वीडियो में दिख रहा है कि रावण को आग लगाई ही गई थी. तभी हादसा हो गया. नवजोत कौर सिद्धू ने अपने बयान में कहा कि वो निकल चुकी थीं और 15 मिनट बाद उन्हें फोन आया कि हादसा हो गया है. कम से कम ये बात तो फैक्ट्स के अनुसार गलत लग रही है. साथ ही उन्हें पता था कि ट्रेन ट्रैक पर 5 हजार लोग खड़े हैं क्योंकि कार्यक्रम का अनाउंसर ये बात वीडियो में बोलता सुनाई दे रहा है. यानी उन्हें पता था कि गाड़ियां उस ट्रैक पर आ सकती हैं.
4. आयोजकों के इंतजाम ने लोगों को रेलवे ट्रैक पर पहुंचाया?
जिस जगह हादसा हुआ और जिस कार्यक्रम के कारण ये हादसा हुआ उसके आयोजक थे सौरभ मदन मिठू जो कांग्रेस काउंसलर विजय मदन के बेटे हैं. उनके परिवार ने ही ये कार्यक्रम किया था और कांग्रेस से जुड़े होने के कारण ही शायद ये आयोजन हो पाया. हादसे के बाद से ही आयोजकों का कोई अता-पता नहीं है. इतनी बड़ी भीड़ के लिए सुरक्षा इंतजाम भी नहीं किए गए थे. वहां मौजूद आयोजकों को पता था कि कितनी भीड़ मौजूद है और कुछ समय पहले भी ट्रेन ट्रैक पर से गाड़ी गुजरी थी जो स्लो स्पीड में थी और लोगों ने उसे देख लिया था. तब भी ट्रैक पर से लोगों को हटाया नहीं गया.
आयोजन जिस ग्राउंड में हुआ वो नीचे की ओर था और ट्रैक्स थोड़ी ऊंचाई पर. और यही कारण था कि लोग ट्रैक पर चढ़कर रावण को जलता देखने लगे. दूसरी बात ये कि जब आग लगाई गई तब रावण के आस-पास मौजूद लोग दूर जाने लगे. यानी दोनों तरफ से भीड़ ट्रैक्स पर ही आ गई.
अमृतसर ट्रेन हादसे के बाद उसी जगह मौजूद भीड़.
अभी तक हादसे में मारे गए लोगों की संख्या का ही पूरी तरह से खुलासा नहीं हो पाया है. पंजाब के चीफ मिनिस्टर अमरिंदर सिंह ने कहा कि 59 लोगों की मौत हुई है और उसी जगह सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट राजेश शर्मा ने कहा कि 61 लोगों की मौत हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स 60 लोगों की मौत बता रही हैं.
5. क्या पहली बार हुआ था ये आयोजन?
इस सवाल का जवाब है नहीं. ये पहली बार नहीं है जब जोड़ा फाटक के पास दशहरे का आयोजन हुआ है बल्कि ये कई सालों से चलता आ रहा है. नवजोत कौर ने ये कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है कि ये कार्यक्रम यहां हुआ है. अकाली दल भी वहीं कार्यक्रम करता था.
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