क्या खोटे नसीब वाली महिलाओं का सीरियल है अनुपमा?
अनुपमा शो में कुछ तो बात है जो यह टीआरपी में नंबर 1 पर बना रहता है. वरना दुनिया एक रोती हुई महिला को क्यों देखती? असल में कई महिलाओं को लगता है कि सीरियल में उनके जीवन की सच्चाई दिखाई जा रही है, क्योंकि जो कुछ अनुपमा के साथ होता है वह कहीं ना कहीं औरतें अपनी जिंदगी में महसूस करती हैं.
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अनुपमा सीरियल (Anupamaa seria) में इन दिनों काफी उथल-पुथल देखने को मिल रहा है. हाल ही के कुछ एपिसोड्स में दिखाया गया कि अनुपमा और उसके पूर्व पति वनराज की बेटी पाखी भागकर बरखा भाभी के भाई 'अधिक' संग शादी कर लेती है. जिसके बाद घर में फुल ड्रामा होता है. अनुपमा सिचुएशन संभालने के लिए दोबारा अपनी बेटी की शादी करवाने की सोचती है, मगर उसकी हरकतों को देखकर अपना फैसला बदल लेती है और उसे घर से बाहर निकाल देती है ताकि वह जिंदगी की सबक सीख सके. ऐसा करके वह बहुत दुखी होती है और रोती है, क्योंकि वह एक मां है और एक मां के लिए ऐसा करना आसान नहीं है.
वह अपने पति अनुज से कहती है कि मुझे कुछ दिन के लिए कहीं ले चलिए. वे दोनों क्वालिटी टाइम स्पेंड करने के लिए बाहर जाने के प्लान बनाते हैं मगर रास्ते में उनके साथ हादसा हो जाता है. रास्ते में उन्हें कुछ लफंगे लड़के मिल जाते हैं. जो एक शादीशुदा जोड़े को परेशान करते हैं. अनुपमा और अनुज उनकी सहायता करने की कोशिश करते हैं मगर सिर के पीछे चोट लगने से बुरी तरह घायल हो जाते हैं. इसके बाद दोनों रास्ते पर बेहोशी की हालत में पड़े हैं. पता नहीं अब आगे क्या होगा?
टीवी पर एकलौता यही एक शो है जिसे मैं देखती हूं, क्योंकि अनुपमा का आगे बढ़ना, अपने अधिकार के लिए लड़ना अच्छा लगता है. मगर अफसोस कि जब भी अनुपमा के साथ कुछ अच्छा होने वाला रहता है, कुछ गड़बड़ हो जाती है और फिर घर में तमाशा होने लगता है. जब भी कोई खास पल आता है तो अनुपमा को दर्द झेलना पड़ता है. उसे अपनी हर खुशी की कीमत आंसुओं से चुकानी पड़ती है.
अब देखना है कि इस हादसे के बाद अनुपमा अनुज की जिंदगी कैसे बदल जाती है?
कौन है अनुपमा?
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसमें हर औरत खुद को देखती है
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसकी शादी हो गई औऱ वह अपनी पढ़ाई पूरी न कर सकी
अनुपमा एक ऐसी महिला है जो शादी के बाद पढ़ना चाहती थी मगर गृहस्थी में लग गई
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसे पति ने दूसरी औरत के लिए उसे धोखा दिया
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसकी बेटी को उसे मां कहने में शर्म आती है
अनुपमा एक ऐसी महिला है जो अपने परिवार के लिए हमेशा सोचती रहती है
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसकी पूर्व सास उसे ताने देती रहती है
अनुपमा एक ऐसी महिला है जो अपने बारे में नहीं सोच पाती है
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसने तलाक के बाद ताने सहे
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसके कैरेक्टर पर शक किया गया
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसपर जमाने ने उंगली उठाई
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसने हमेशा अपना फर्ज निभाया
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिस पर हमेशा दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है
अनुपमा एक ऐसी महिला है जो हमेशा कंप्रोमाइज करती है
अनुपमा एक ऐसी महिला है जो हर बात पर रो देती है
अनुपमा एक ऐसी महिला है जिसने जिंदगी में हार नहीं मानी
अनुपमा शो में कुछ तो बात है जो यह टीआरपी में नंबर 1 पर बना रहता है. वरना दुनिया एक रोती हुई महिला को क्यों देखती? महिलाओं को लगता है कि उनके जीवन की सच्चाई दिखाई जा रही है, क्योंकि जो कुछ अनुपमा के साथ होता है वह कहीं ना कहीं महिलाएं अपनी जिंदगी में महसूस करती हैं. महिलाएं आगे बढ़ने के लिए लड़ती रहती हैं और दुनिया उन्हें पीछे खींचने में लगी रहती है. उनकी सबसे बड़ी लड़ाई अपने घर में है.
शादी के बाद लड़कियों की जिंदगी बदल जाती है. गृहिणियां दिन भर घर में काम करती रहती हैं फिर भी उनसे पूछा जाता है कि दिन भर घर पर करती क्या हो? जो महिलाएं कामकाजी हैं उन्हें घर और बाहर दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है. इस तरह वे अपनी जिंदगी में पिसती रहती हैं.
अनुपमा की जिंदगी में भी हमेशा कुछ ना कुछ लगा रहता है. पहले पूर्व ससुराल वाले टॉर्चर करते थे और अब नई ससुराल में बरखा भाभी उसके खिलाफ साजिश रचती रहती है.
अनुपमा को विदेश में डांस शो करना था मगर अभी भी वह नए घर-गृहस्थी और पुराने ससुराल में उलझी हुई है. वह बार-बार कोशिश करती है मगर हर बार परिवार में उलझ जाती है. उसे कॉलेज में एक ही दो दिन दिखाया गया, तब तक लाडली बेटी की ने कांड कर दिया. कुल मिलाकर बाकी महिलाओं की तरह अनुपमा की जिंदगी में भी शांति नहीं है.
ऐसा लगता है कि उसकी जिंदगी एक जंग है जिसे वह लड़ती जा रही है. वह रोती है, चिल्लाती है और खुद को हिम्मत देकर आगे बढ़ती है मगर फिर दूसरी मुसीबत उसे घेर लेती है. ऐसा लगता है कि पूरे परिवार की जिम्मेदारी उस अकेले कंधे पर है.
भला एक महिला सुपर वुमन तो है नहीं (बनना भी क्यों है) जो अपने हाथों से खाना भी बना ले, बच्ची को संभाल ले, ऑफिस में काम कर ले, घर का काम कर ले, डांस क्लास ले ले ऊपर से पूर्व ससुराल को भी देख ले और सबकी साजिश भी झेल ले. आखिर हम किसी महिला से इतने काम की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?
कई महिलाएं ऐसी हैं जो अनुपमा की तरह दिन-रात काम में पिसती रहती हैं. वे अपने नसीब को कोसती हैं. वे दूसरों महिलाओं की जिंदगी देखकर अपने नसीब को खोटा कहती हैं. वे घर में सबसे पहले उठती हैं. दिन भर काम करती हैं और सबसे लेट सोती हैं. उनके बच्चे उन्हें कुछ नहीं समझते. पति को उनसे कोई खास मतलब नहीं रहता है. उनका किसी दिन वीक ऑफ नहीं होता. उनकी पहचान सिर्फ किसी की पत्नी और किसी मां तक सीमित रह जाती है. वे जल्दी कहीं बाहर नहीं जातीं. वे किसी बड़ी जगह पर जान से घबराती हैं. उनका घऱ ही उनकी दुनिया बन जाती हैं और एक दिन वे खुद को भी भूल जाती हैं.
अनुपमा के साथ भी यही हो रहा है. वह अपने लिए चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रही है. वह अपनी जिंदगी में बहुत आगे बढ़ना चाहती है मगर अनुज और बापू जी और समर को छोड़कर बाकी लोग मिलकर उसे पीछे खींचने में लगे हैं. मेकर्स को भी पता है कि जो कुछ अनुपमा के साथ हो रहा है वही इस जमाने की सच्चाई है.
खैर, अब देखना है कि इस हादसे के बाद अनुपमा अनुज की जिंदगी कैसे बदल जाती है. क्या वह हार मान लेती है या फिर इसका सामना करते हुए आगे बढ़ती है...
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