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Updated: 08 जनवरी, 2021 08:45 PM
अनु रॉय
अनु रॉय
  @anu.roy.31
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(Badaun Gangrape) एक स्त्री जो पचास साल की थी और ईश्वर में आस्था रखती थी, वो शाम में मंदिर गयी. मंदिर के पुजारी ने उसके साथ न सिर्फ़ बलात्कार किया बल्कि उसके वजाइना में रॉड-बोतल और न जाने क्या-क्या घुसा कर अपनी कुंठा बुझाई. बाद में उसे उठा कर उसके घर के सामने मरने के लिए छोड़ आए. चलिए इसमें तो नया कुछ भी नहीं है. घटना उत्तर-प्रदेश के बदायूं की है जहां योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं. मैं वैसे भी एक शब्द, इस घटना या किसी भी बलात्कार पर लिखना अब ज़रूरी नहीं समझती हूं क्योंकि इस पर लिख कर कोई फ़ायदा है नहीं. लेकिन अभी कहीं पर एक आर्टिकल पढ़ रही थी जिसमें नेशनल कमीशन फ़ॉर विमन (NCW) की चंद्रमुखी देवी बदायूं गयी थीं इस घटना की जांच-पड़ताल के लिए.

Badaun Gangrape, Women, Chandramukhi Devi, UP, Investigation, UP PoliceNCW की चंद्रमुखी देवी ने बदायूं मामले में जो कहा वो बहुत घिनौना है

उन्होंने जो कहा वो सुनने के बाद दिल का क्या हाल है, बता नहीं सकती. चंद्रमुखी देवी ने कहा कि, 'वो औरत अगर शाम ढलने के बाद यानी अंधेरा होने के बाद अगर घर से नहीं निकलती तो उसका बलात्कार नहीं होता. वो ज़िंदा होती. अकेली औरत को देर से यानी आड टाइम पर घर से नहीं निकलना चाहिए और अगर वो मंदिर गयी भी तो किसी को साथ ले कर जाती, तो बच जाती.'

अब जब नेशनल कमीशन की कार्यकर्त्ता इतनी सुंदर बात कहेंगी तो देश के बलात्कारियों का मनोबल बढ़ेगा ही न. और बढ़ना भी चाहिए आख़िर वो पुरुष हैं, उनकी शारीरिक ज़रूरतें होती हैं अगर वो बलात्कार नहीं करेंगे तो क्या करेंगे. ऊपर से अब प्लेज़र सिर्फ़ ज़बरदस्ती सेक्स करने में थोड़े ही आता है.

अब फ़न के लिए उन्हें स्त्रियों की योनि में मोमबत्ती, छड़, बोतल जैसी चीजें डालकर आनंद उठाना होता है. अच्छी बात है. ये सब होता रहे तभी तो पता चल पाएगा कि हम मर्दों के बीच रह रहें हैं जो इतने स्ट्रॉंग है. बहुत ख़ुशी की बात है हमारे पुरुषों में पुरुषत्व बचा हुआ है.

ख़ैर, पुरुष तो जो हैं वो हैं दिल से आभार चंद्रमुखी देवी का जिन्होंने बलात्कार से मर चुकी महिला को ही दोषी ठहराया और हम ज़िंदा लड़कियों को ये बताया कि अगर बलात्कार से बचना है तो सांझ ढले घर से न निकलें और अगर निकलें तो किसी को साथ ले कर लेकिन शायद देवी जी निर्भया को भूल गयीं.

निर्भया भी तो अपने दोस्त के साथ थी लेकिन चलती बस में उसका भी गैंग-रेप हुआ और उसका दोस्त वहां मौजूद था. चलिए बढ़िया जा रहें हैं. ऐसे ही बलात्कार के लिए स्त्रियों को दोष देते रहिए बजाय अपने आस-पास के पुरुषों को सही सबक़ सीखाने के या उन्हें सैनेटाईज़ करने के.

स्त्रियां आख़िर हैं क्या? एक वस्तु ही तो हैं जिसके पास एक जोड़ी छाती और एक योनि है. जिसको देख कर पुरुषों के मन में भावनाएं उमड़ती हैं और वो बलात्कार कर देते हैं. इसमें भला उनका क्या क़सूर है? अगर उन्हें एक स्त्री का जिस्म दिख जाएगा अकेले में तो बलात्कार कर ही देंगे.

इसलिए भलाई अगर स्त्रियां चाहती हैं तो घर के रहें, पर्दे में रहें अकेले कहीं न जाएं, छोटे कपड़े न पहनें, सांस ही न लें और घुट-घुट के मर जायें. ऐसे ही स्त्रियां बलात्कार से बचेंगी. ठीक न.

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लेखक

अनु रॉय अनु रॉय @anu.roy.31

लेखक स्वतंत्र टिप्‍पणीकार हैं, और महिला-बाल अधिकारों के लिए काम करती हैं.

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