अजय त्यागी की ठेकेदारी ने योगी आदित्यनाथ के निजाम को चैलेंज दे दिया है
गाजियाबाद (Ghaziabad) के मुरादनगर (Muradnagar) में छत गिरने (crematorium roof collapsed) और 25 लोगों की मौत के मामले में आरोपियों को अलग अलग धाराएं लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया हो लेकिन दोषी ठेकेदार अजय त्यागी (Who is Ajay Tyagi) ने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को न केवल चुनौती दी बल्कि उनके निजाम पर सवाल भी खड़े किये हैं.
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कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यों रात भर नहीं आती
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती
ये पंक्तियां शायरी के पितामह असदुल्लाह खां यानी मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) की हैं और मौत का ज़िक्र करते हुए मरहूम शायर ने क्या सही बात कही दी है. वाक़ई हर व्यक्ति की मौत निश्चित है. इंसान को मारना जरूर है मगर अपने सही वक्त पर. इस बात को दोबारा पढ़िए और बीच बीच में याद करते रहिए उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित मुरादनगर में हुई घटना को जहां शमशान की छत गिरने के कारण करीब 25 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 17 लोग घायल हैं. कुछ और बात करने से पहले बताना जरूरी है कि घटना बीते दिन की है. ये हादसा उस वक़्त हुआ जब एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कुछ लोग गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित शमशान घाट पर एकत्र हुए थे. जिस वक्त घटना घटी उस वक़्त बारिश हो रही थी जिससे बचने के लिए लोग एक इमारत के नीचे आकर खड़े हुए थे और वो हो गया जिसकी कल्पना शायद ही कभी किसी ने की हो. वो लोग जो अपने किसी परिचित के अंतिम संस्कार में आए थे आज उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां हो रही हैं. मामला लापरवाही और उससे भी ज्यादा भ्रष्टाचार से जुड़ा था, इसलिए फौरन ही इसका संज्ञान लिया गया और मरने वालों को 2-2 लाख का मुआवजे देकर शासन प्रशासन ने भी अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली. घटना के लिए जिम्मेदार जेई (चंद्रपाल), मुरादनगर नगर पालिका परिषद की अधिशासी अधिकारी (ईओ) निहारिका सिंह, और सुपरवाइजर (आशीष) को माना जा रहा है.
गाजियाबाद मामले में ठेकेदार अजय त्यागी ने सीधी चुनौती योगी आदित्यनाथ को दी है
भले ही आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 337, 338, 427, 409 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ हो, और ये लोग गिरफ्तार हो चुके हों. मगर वो शख्स जो इस मामले में चर्चा में है और तमाम तरह की लानत मलामत का सामना सबसे ज्यादा कर रहा है वो ठेकेदार अजय त्यागी है. कहा जा रहा है कि ये वो अजय ही था जिसने खराब मटेरियल का इस्तेमाल करते हुए क्वालिटी से समझौता किया जिसके बाद इतना बड़ा हादसा हुआ.
अजय के इस रवैये ने सूबे के मुखिया अजय सिंह बिष्ट यानी योगी आदित्यनाथ के निजाम को न केवल चुनौती दी बल्कि उसे सवालों के घेरे में डाल दिया है. सवाल होगा कैसे? जवाब के लिए हमें 2017 के उस दौर में जाना चाहिए जब योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. तब जो बयान योगी आदित्यनाथ ने दिए थे उसमें तमाम मौकों पर उन्होंने इस बात को दोहराया था कि सूबे में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जो भी लोग भ्रष्टाचार में व्याप्त पाए गए उनपर सख्त एक्शन लिया जाएगा. एक तरफ योगी आदित्यनाथ की ये बातें हैं जिसपर वो आज तक कायम हैं दूसरी तरफ ठेकेदार अजय त्यागी जैसे लोग हैं जो केवल अपना फायदा देख रहे हैं. किसी की जान जानी हो जाए लेकिन इन्हें सिर्फ अपनी तिजोरियां भरने से मतलब है.
सवाल ये है कि जब सूबे के मुखिया भ्रष्टाचार के लिए इतना गंभीर हो और उसके मातहत ऐसे कारनामें में लिप्त हों कहीं न कहीं कोई गड़बड़ तो है. यानी एक बड़ा लूपहोल है जो है तो सबकी नजरों के सामने लेकिन हर आदमी फिर क्या मुख्यमंत्री और क्या ठेकेदार हर कोई उससे अपना पिंड छुड़ाने की कोशिश करता नजर आ रहा है. बात एकदम सीधी और शीशे की तरह साफ है. हम उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली पर सवाल नहीं उठा रहे लेकिन जो प्रश्न जस का तस हमारे सामने खड़ा है वो ये कि जिस वक्त ठेकेदार ने अपने करीबियों संग इतना बड़ा घोटाला किया उस वक़्त कोई क्वालिटी चेक क्यों नहीं किया गया?
हम फिर अपनी बातों को दोहरा रहे हैं कि एक न एक दिन मौत सबको आनी है मगर जब मौत इस तरह की होगी तो उसपर बताएं भी होंगी और सवाल भी खड़े होंगे। वो तमाम लोग जो एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अपने घरों से निकले थे और जिनकी मौत छत के गिरने से हुई ये उनकी नियति नहीं थी. उन्हें अभी जीना था. दुनिया देखनी थी. इन्होने जन्म इसलिए नहीं लिया था कि बारिश हो, छत गिरे और ये लोग उसके नीचे दब कर मर जाएं.
चूंकि इस मामले में सरकार ने मुआवजा भी दे दिया है और ठेकेदार अजय त्यागी समेत बाकी लोगों को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन एक नागरिक के रूप में अभी हमारे कलेजे को ठंडक नहीं मिली है. हमें इंसाफ की दरकार है. हम चाहते हैं कि इस मामले में दोषी ठेकेदार समेत बाकी लोगों को ऐसी सख्त से सख्त सजा मिले कि भविष्य में जब कोई दूसरा ठेकेदार 'अजय त्यागी' जनता का काम कर रहा हो तो वो कभी सपने में भी इस तरह का भ्रष्टाचार करने की न सोचे.
बाकी बात की शुरुआत 25 लोगों की मौत से हुई है तो हम बस पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की उन बातों से अपनी बात को विराम देंगे जिनमें अटल जी ने कहा था कि -
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा
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