सन्यास से गृहस्थी में लौटे महिला-पुरुष कुछ लोगों को खल रहे हैं, तो कई के लिए सुकून भी
आगरा की संन्यास ले चुकी 50 वर्षीय महिला का अपने से 10 साल छोटे शख्स से शादी करना फिर साबित करता है कि प्यार उम्र का मोहताज नहीं होता. ये बस होता है, और किसी से भी हो जाता है. इस शादी का सबसे खूबसूरत पहलू है दोनों का निष्काम भावना से किया गया प्यार.
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एक बरसों पुरानी कहावत है कि इश्क़ और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. बाकी मजा तो तब है जब जगजाहिर हो चुकी मुहब्बत अंजाम तक पहुंचे. होने को तो ये कम ही होता है मगर जिसके साथ होता है उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं होता. कुछ ऐसा ही हाल आगरा की एक 50 साल की महिला का है. उसने न केवल 50 साल की उम्र में मुहब्बत की बल्कि अपनी मुहब्बत को अंजाम पर पहुंचाया और उस इंसान से शादी की जिससे उसने दिल लगाया था. मामला हैरत में तो डालता ही है मगर इसे देखकर सुकून भी मिलता है और महसूस होता है कि एक ऐसे समय में जब इंसान को जीवन साथी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उम्र के उस पड़ाव में उसको अपना हमसफ़र मिला.
बरसों पहले हुई अपने पति की मौत के बाद महिला ने तमाम जटिलताओं का सामना करते हुए अपने बच्चों को पाला और उनकी शादी कर उनकी गृहस्थी बसा दी. अब तो उसके बच्चों के भी बच्चे हो गए. पांच महीने पहले यह महिला गृहस्थ जीवन से संन्यास लेकर बटेश्वर में आकर रहने लगीं जहां उसकी मुलाकात अपने से दस साल छोटे एक शख्स से हुई. पहले ही नजर में महिला को बाबा का स्वभाव बहुत पसंद आया और उनमें आत्मीयता नजर आई और वो उनसे दिल लगा बैठीं.
आगरा की बुजुर्ग महिला की कहानी हर प्यार करने वाले को एक बड़ा संदेश देती है
इसी दौरान महिला ने सन्यासी जीवन त्याग कर दोबारा घर परिवार के सपने देखने शुरू कर दिए और आखिरकार अपने से 10 साल छोटे प्रेमी के गले में वरमाला डाल वो कर दिखाया जिसे सोचने या कर दिखाने की हिम्मत हम और आप कभी कर पाएं.
क्यों किया बुजुर्ग महिला ने ऐसा
बुजुर्ग महिला ने ये सब क्यों किया उसके पीछे की कहानी भी अपने आप में दिलचस्प है. पति की मौत के बाद महिला ने बच्चों के लालन पालन की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. बच्चों को कोई कष्ट न हो साथ ही वो पिता को मिस न करें इसके लिए भी महिला ने खूब मेहमत की. बाद में जब बच्चे बड़े हुए तो महिला ने उनकी शादी कर दी. यही वो टर्निंग पॉइंट था जिसने बुजुर्ग महिला का जीवन बदल कर रख दिया. शादी के बाद बच्चे अपनी जिम्मेदारियों पर लग गए और उन्होंने अपनी मां पर ध्यान देना लगभग बन्द कर दिया. यहीं से महिला के जीवन में एकाकीपन की शुरुआत हुई और फिर जब वो संन्यास लेकर बटेश्वर आ गई. उसने वहां पर बाबा को देखा तो उसे एहसास हुआ कि ज़िन्दगी में सिर्फ अंधेरा ही नहीं बल्कि उजाला भी है.
बताया जा रहा है कि बटेश्वर में बाबा और महिला एक साथ एक ही टिन शेड के नीचे रहते थे. इस दौरान बुजुर्ग महिला को बाबा का आचरण और उनके विचारों ने बहुत प्रभावित किया और उन्होंने उनके गले में वरमाला डालने का फैसला किया. मामले के मद्देनजर जक जानकारी बाबा के बारे में मिली है वो भी खासी दिलचस्प या ये कहें कि किसी फिल्म की तरह है.
बाबा इटावा का बताया जा रहा है जो अविवाहित था और जिसने अपना घर त्याग दिया था. वह महिला की हर छोटी बड़ी जरूरत का ध्यान रखता. महिला के खाने से लेकर बीमार होने पर देखभाल तक हर चीज बाबा करता और एक समय ऐसा आया जब बाबा को भी महिला से प्रेम हो गया और बाबा ने ही बुजुर्ग महिला को प्रपोज किया. बाबा ने ही महिला से शादी करके नई जिंदगी की शुरूआत करने का प्रस्ताव रखा जिसे बुजुर्ग महिला ने सहर्ष स्वीकार किया और एक नई जिंदगी की शुरुआत की.
शादी के बाद शुरू हुआ चर्चाओं का दौर
दोनों संन्यासियों ने बटेश्वर में शादी करके अपना संन्यास त्यागा. जब से ये शादी हुई है लोगों के बीच चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. ध्यान रहे कि एक ऐसे समय में जब ज्यादातर युवाओं द्वारा ही लव मैरेज के मामले सामने आते हों, ऐसे में एक 50 वर्षीय महिला और बाबा ने जो किया है उसपर तरह तरह की प्रतिक्रियाओं का आना स्वाभाविक है.
अब जबकि पहले प्यार, फिर शादी करने वाले ये दोनों ही लोग सुखमय जीवन जी रहे हैं. इस मामले के चलते तमाम लोगों को प्रेरणा मिली है. महिला और बाबा की जो कहानी है यदि उसका गहनता से अवलोकन किया जाए तो जो एक चीज हमारे सामने आती है वो ये कि निष्काम भावना और प्रेम से यदि कोई भी काम किया जाए तो वो सफल होता है. बाकी हम भी बस यही दुआ करेंगे कि दोनों का जीवन सुखमय बीते.
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