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Updated: 28 अगस्त, 2016 11:31 AM
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उत्तर प्रदेश के बरेली में बच्चे को बेरहमी से पीटने का मामला सामने आया है, डेढ़ साल के बेटे को बेरहमी से पीटने का पता घर में लगे सीसीटीवी से चला. वीडियो में दिखाई दे रहा है कि एक कमरे में बिस्तर पर वेदांत की पिटाई की जा रही है. पति- पत्नी के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं, जिसका खामियाजा मासूम बच्चे को भुगतना पड़ा.

वीडियो- बरेली में कैसे एक मां ने अपने बच्चे बेरहमी से पीटा

ऐसे ही दिल्ली में दो बहनें (हिमांशी और दीपाली) अपने ही घर में कैद रहीं. कई दिनों तक वो घर से बाहर नहीं निकलीं. 19 अगस्त की दोपहर जब पुलिस इनके घर पहुंची तो दीपाली अपनी बड़ी बहन हिमांशी का हाथ थामे चारपाई पर लगभग बेसुध पड़ी थी.

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हिमांशी के सिर पर जख्म थे और जख्म सड़ रहे थे. बिस्तर और दोनों के बदन पर कीड़े रेंग रहे थे. पड़ोसी ने पुलिस बुलवाया, उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया और बच्चों की जान बची.

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 दिल्ली की हिमांशी और दीपाली

पिछले दिनों की ये दो घटनाएं- काफ़ी मार्मिक एवं मर्माहत करने वाली थी और जिसने सुर्खियां भी खूब बटोरी, पर क्या हमनें इन खबरों को केवल सतही तौर देखा और बस मुक्त हो गये. कुछ समय तक चर्चा के बाद नये ब्रेकिंग न्यूज़ की तलाश शुरू कर दी, ताकि उसपर चर्चा की जा सके.

बच्चों से अमानवीय व्यवहार

NCRB के अनुसार, बच्चों पर किए गये अपराधों की बात करें, तो लगता है कि साल दर साल इस तरह की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है. सन 2004 में जहां 715, तो 2014 में 983 घटनाएं दर्ज की गईं

क़ानून क्या कहता है

317 आईपीसी के तहत- अगर 12 साल से कम उम्र के बच्चों को त्यागा गया या उनसे अमानवीय व्यवहार किया गया तो 7 साल के सज़ा हो जाती है. अगर बच्चे की मौत हो जाती है तो गैर इरादतन हत्या का मामला चलेगा.

हमारे संविधान और क़ानून में अब कड़े प्रावधान करने होगे ताकि, बेरहम माता- पिता को अपने ज़िम्मेदारी का सही बोध हो और समाज भी सिख ले. बच्चों के प्रति अमानवीय व्यवहार सचमुच कई सवाल खड़े करता है. इन बच्चो के भविष्य के प्रति अब सवाल उठने लाजमी है कि उन्हें वापस अपने माता- पिता को दोबारा सौंपा जाएगा, बच्चा गृह भेजा जाएगा या कोई उन्हें गोद लेगा. आख़िर बच्चों का कसूर क्या है.

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लेखक

जगत सिंह जगत सिंह @jagat.singh.9210

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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