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Updated: 31 अक्टूबर, 2016 03:40 PM
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दिवाली की रात 2 से 3 बजे के बीच सिमी के 8 आतंकवादी भोपाल जेल से फरार. ये हेडलाइन मीडिया पर छा गई. हो भी क्यों ना, इनपर आतंकवादी होने का ठप्पा लग चुका था. एक साथ 8 आतंकवादी भोपाल की सेंट्रल जेल से भाग गए. आनन-फानन में 5 अधिराधियों को सस्पेंड किया गया. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन आतंकियों की खबर देने वाले के लिए 5 लाख का इनाम घोषित किया. होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने मध्यप्रदेश सरकार से रिपोर्ट भी मांग ली.  पुलिस ने 9 घंटे के ऑपरेशन के बाद इन सभी आतंकियों को भोपाल के पास ईंठखेड़ी में मार गिराया.

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हर बार की तरह इस बार भी लोगों ने ट्विटर पर इस मामले में अपनी भड़ास निकाली और किसी विशेषज्ञ की तरह बयान देना शुरू कर दिया. जैसे ही भागने की खबर आई वैसे ही पुलिस और प्रशाशन को दोष देने वाले लोगों की ट्वीट करना शुरू किया. लोगों का गुस्सा सामने आने लगा, लोग प्रशाशन का मजाक बनाने लगे. लोग उन आतंकियों की फोटो शेयर करने लगे कि अगर कहीं भी वो दिखें तो ध्यान रखें और पुलिस को फौरन सूचना दें.

इसके दो-तीन घंटे बाद खबर आई कि सिमी आतंकियों को पुलिस ने मार गिराया. सभी 8 आतंकियों का एनकाउंटरएनकाउंटर कर दिया गया. लो जी, ट्वीट पार्ट 2 शुरू हो गई. लोग इसके बाद पुलिस और प्रशाशन की बुराई इसलिए करने लगे क्योंकि उन्होंने 8 ऐसे लोगों को मार दिया जिनके ऊपर आतंकी होने का टैग लगा था.

 

लो जी पुलिस कुछ करे तो भी दिक्कत और ना करे तो भी दिक्कत. आखिए ऐसे में कोई करे तो क्या करे.

क्या कहते हैं आंकड़े-

इससे पहले कि कोई घारणा बनाई जाए चलिए आंकड़ों को देखते हैं. जिन 8 आतंकियों के भागने की बात कही गई थी उनमें से 3 खंडवा जेल से 2013 में भी भाग गए थे. इसके बाद उन्हें उड़ीसा में फिर से गिरफ्तार किया गया था. उनमें से एक आतंकी को 2012 बम ब्लॉस्ट का मास्टर माइंड भी माना जाता है. तो भले ही इनपर इल्जाम साबित ना हुआ हो इन्हें खतरनाक तो माना जा सकता है.

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 सांकेतिक फोटो

आखिर मध्यप्रदेश इतना हाइलाइट क्यों?

मध्यप्रदेश से सिमी का पुराना नाता है. 2008 में इंदौर में 13 कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया गया था. इसमें सिमी का राष्ट्रीय महासचिव भी शामिल था.  2012 में उज्जैन में एक आतंकी विस्फोटक के साथ पकड़ा गया था. 2013 में खंडवा जेल को तोड़ा गया था. 2013 में ही उज्जैन में 2011 अहमदाबाद ब्लास्ट के आरोपी मोहम्मद शाहिद नागौरी को पकड़ा गया. 2014 में उज्जैन डिस्ट्रिक्ट के महिदपुर गांव में जिलेटिन और विस्फोटक के साथ तीन संदिग्धों को पकड़ा गया था. 2014 में ही उज्जैन के पठान मोहल्ले से एक और बम ब्लास्ट आरोपी को पकड़ा गया था. इंदौर और उज्जैन को सिमी का गढ़ भी माना जाता है.

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सिमी के नियम-

2001 में बैन किए गए इस ग्रुप का स्लोगन है "अल्लाह ही हमारा मालिक है, कुरान हमारा संविधान है, मोहम्मद हमारे मार्गदर्शक हैं, जिहाद हमारा रास्ता है और शहादत हमारी चाह है". सिमी के सदस्य सिर्फ 30 साल की उम्र तक ही सक्रीय रह सकते हैं और इसके बाद वो रिटायर हो जाते हैं. 2008 से सिमी सक्रीय तौर पर ब्लास्ट कर रहा है और कई की प्लानिंग भी की है. सिमी के करीब 20 हजार सदस्य माने जाते हैं.

क्या भोपाल का एनकाउंटरएनकाउंटर प्लान था?

मध्यप्रदेश में सिमी की पिछले कुछ सालों की गतिविधियों को देखें तो लगता है कि मध्यप्रदेश अब सिमी के छुपने का ठिकाना बनता जा रहा है. भोपाल का एनकाउंटर योजनाबद्ध तरीके से हुआ है. क्या पुलिस ने वाकई इन 8 लोगों को मारकर वाकई कोर्ट का समय बचाया है?

कहां है इन सवालों के जवाब?

क्या हुआ उस गार्ड का जिसे मारा गया? क्या उसे सच में मार दिया गया? क्या वो भी प्लान का हिस्सा था? आखिर पुलिस इतनी चौकन्नी है तो जेल की सुरक्षा में इतनी बड़ी सेंध कैसे लगी? क्या सिर्फ चादर की मदद से जेल से भागना इतना आसान है? जेल से भागे हुए कैदियों के पास हथियार कहां से आए? आखिर क्या किया जा रहा है सिमी के मध्यप्रदेश में फैलते पैरों को रोकने के लिए?

सवाल चाहें कुछ भी हों, लेकिन पुलिस, प्रशाशन के साथ हमें ट्विटर पर भी कड़ी नजर रखनी चाहिए कि शायद वहीं से कुछ जवाब मिल जाएं.

#भोपाल, #एनकांउटर, #सेंट्रल जेल, Bhopal, Bhopal Encounter, Bhopal Central Jail

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