बोनी कपूर ने साउथ सिनेमा का आईना दिखाकर बॉलीवुड को कड़वी दवा कपिल के शो में पिलाई है!
कपिल के शो में आए बोनी अपनी बातें कह कर जा चुके हैं. हम फिर इस बात को दोहराएंगे कि जैसा लहजा बतौर प्रोड्यूसर बोनी कपूर का था उनकी बातें उस कड़वी दवा की तरह हैं जिनका जायका भले ही कड़वा लगे मगर उसकी तासीर में बीमारी को दूर करना है. अब निर्भर करता है बॉलीवुड पर की उसे सही होना है या फिर अभी की तरह यूं ही बीमार बने रहना है.
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बॉलीवुड के लिए मुश्किल समय है. बड़े बजट और उम्दा स्टारकास्ट के बावजूद हिंदी पट्टी के बीच फ़िल्में नकारी जा रही हैं. जैसे हालात हैं, इंडस्ट्री में प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स के माथे पर चिंता की लकीरें साफ़ देखि जा सकती हैं. बॉलीवुड क्यों लगातार पिट रहा है? इसे बताने के लिए बड़े बड़े मंच सजे हैं. संगोष्ठियां हो रही हैं. विमर्श चल रहा है लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकल रहा. हाल फ़िलहाल में हिंदी फिल्मों की इतनी बुरी स्थिति क्यों हुई? कई तर्क दिए जा सकते हैं मगर जो बात प्रोड्यूसर बोनी कपूर ने कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो में कही हैं प्रभावशाली नजर आती हैं. अभी बीते दिनों बेटी जाह्नवी कपूर की हालिया रिलीज फिल्म मिली के प्रोमोशन के सिलसिले में कपिल शर्मा के शो में पहुंचे प्रोड्यूसर बोनी कपूर ऐसा बहुत कुछ बोल गए हैं जो सुनने में तो कड़वा है लेकिन अगर बॉलीवुड ने बोनी की बातों पर गौर कर लिया और उन्हें अमल में ला दिया तो ये बातें दवाई से कम किसी सूरत में नहीं हैं.
बॉलीवुड को उसकी कमियां बोनी कपूर ने दिखा दी हैं देखना दिलचस्प रहेगा कि बॉलीवुड पर असर क्या होता है
भले ही अपने द्वारा कही कड़वी बातों के बाद बोनी इंडस्ट्री के ही कुछ लोगों के निशाने पर आ गए हों. मगर उनके द्वारा कही बातों में ऐसा भी बहुत कुछ है, जिसे किसी भी सूरत में ख़ारिज नहीं किया जा सकता. शो में सिनेमा पर बात करते हुए बोनी ने बॉलीवुड और साउथ के बीच का फर्क भी बताया. बोनी ने कहा कि बॉलीवुड में फ़िल्में नहीं चल रही हैं. जबकि इसके ठीक उलट साउथ में फ़िल्में चल रही हैं. ये सिर्फ इसलिए हो रहा है कि वहां के लोगों में पैशन है जो यहां बॉम्बे के मेकर्स में 90 के दशक तक था.
साउथ के डायरेक्टर का थॉट प्रॉसेस स्पष्ट है!
बोनी के अनुसार अब भी वहां (साउथ में) पहले जैसी ही कमर्शियल पिक्चर्स बन रही हैं. वहां डायरेक्टर की सोच एकदम सपष्ट है, वहां जब सीन लिखा जाता है तो डायरेक्टर अपनी जरूरतें बताता है मतलब उसे कहां ताली चाहिए? कहां उसे दर्शकों को रुलाना है? कब सीटी बजनी चाहिए सब साउथ के डायरेक्टर को और फिल्म के बाकी है क्रू को पता होता था.
बोनी ने बताया कि इस प्रथा का पालन यहां बॉलीवुड में भी होता था. मनमोहन देसाई, प्रकाश मेहरा जब अपनी फ़िल्में बनाते थे, तो ऐसे ही बनाते थे. तब अगर फिल्म में गाने डाले जाते थे तो उनका भी एक मतलब होता था. बात वजनदार लगे इसलिए बोनी ने 1977 में आई अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन को कोट किया और बताया कि इस फिल्म में 'खाई के पान बनारस वाला' गाना क्यों डाला गया.
अपने लोगों के लिए नहीं बल्कि ऑस्कर और कांस के लिए फ़िल्में बनाता है बॉलीवुड
बोनी ने आज के फिल्म मेकर्स पर बड़ा कटाक्ष करते हुए कहा कि आज फिल्म मेकर्स कहते हैं कि हमारे कंटेंट में पावर है. लेकिन जब इस कंटेंट को देखा जाए तो इसमें किसी तरह की कोई पावर नहीं है. बोनी ने बताया कि दक्षिण के प्रोड्यूसर्स मानते हैं कि हम अपनी फिल्मों से पैन इंडिया लोगों के दिलों में जगह बनाएंगे. वहीं बॉलीवुड 'दुनिया' के लिए फ़िल्में बनाता है. बोनी ने कहा कि बॉलीवुड को वर्ल्ड के दिल में नहीं बल्कि अपने लोगों के दिलों में जगह बनानी है.
ध्यान रहे बॉलीवुड में तमाम डायरेक्टर्स ऐसे हैं जो लीग से हटकर काम करते हैं. बात अगर इनके काम की हो तो इनका काम बहुत अलग होता है इसलिए इन्हें बहुत लिमिटेड दर्शक मिलते हैं. इसपर बोनी के तर्क दिया कि आज बॉलीवुड वैसी फ़िल्में बना रहा है जिसे समझने में दर्शकों को लंबा वक़्त लगेगा.
बोनी ने कहा है कि अगर किसी विचार को लेकर निर्देशक चल रहा है तो वो विचार सिर्फ और सिर्फ डायरेक्टर के दिमाग में न रहे बल्कि पंक्ति के आखिर में खड़े लोगों तक पहुंचे. बोनी का मानना है कि आज बॉलीवुड में निर्देशकों के एक बड़े वर्ग का मानना है कि उनकी फ़िल्में ऑस्कर्स तक पहुंचें, कांस तक पहुंचे जबकि होना ये चाहिए कि बॉलीवुड के निर्देशकों को अपने देश और यहां के लोगों का सोचना चाहिए.
जब बातों बातों में अक्षय कुमार को आड़े हाथों ले बैठे बोनी कपूर
कपिल के शो में आए बोनी ने सिर्फ निर्माताओं और निर्देशकों पर खार नहीं खाई. जैसी बातें थीं बोनी आजकल के एक्टर्स के रवैये से भी खासे नाराज दिखे, बोनी ने कहा कि आजकल कई हीरो ऐसी पिक्चर करते हैं जो 25 दिन में ख़त्म हो जाए और उन्हें पैसे पूरे मिल जाएं. बोनी का मानना है कि ये भाव निंदनीय है. बिना अक्षय का नाम लिए बोनी ने कहा कि हमारे आस पास ही कई एक्टर्स हैं जो पूछते हैं कि प्रोजेक्ट कितने दिन का है.
ऐसे एक्टर्स का एक पूरा सेट-अप होता है जो इनकी सुविधा पर चलता है. इनको सेट पर हीरोइन मौजूद चाहिए होती है. डायरेक्टर चाहिए होता है ये आते हैं अपना काम जैसे तैसे ख़त्म करते हैं और चले जाते हैं. बोनी ने सवाल किया कि क्या ऐसी स्थिति में अच्छी फिल्म बनेगी? जवाब भी उन्होंने खुद दिया और कहा कि जब तक ये बेईमानी रहेगी और ईमानदारी नहीं आएगी, चाहे वो डायरेक्टर हो, प्रोड्यूसर हो या फिर एक्टर कोई भी अच्छी पिक्चर नहीं बना सकता.
कपिल के शो में आए बोनी अपनी बातें कह कर जा चुके हैं. हम फिर इस बात को दोहराएंगे कि जैसा लहजा बतौर प्रोड्यूसर बोनी कपूर का था उनकी बातें उस कड़वी दवा की तरह हैं जिनका जायका भले ही कड़वा लो मगर उसकी तासीर में बीमारी को दूर करना है. अब निर्भर करता है बॉलीवुड पर की उसे सही होना है या फिर अभी की तरह यूं ही बीमार बने रहना है.
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