जब मौत में इतना मजा है तो ये तांत्रिक जिंदा क्यों रहते हैं !
इस तरह की सामूहिक हत्याओं में अक्सर ही किसी न किसी तांत्रिक बाबा का हाथ होता है. इस केस में एक बरगद के पेड़ का भी जिक्र है. मरने वालों की लाशों ने भी बरगद के पेड़ की जड़ों को दिखाने का काम किया है.
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इन दिनों दिल्ली के बुराड़ी में 11 लोगों की मौत एक रहस्य बन गई है. इस घटना ने 1999 में आई अक्षय कुमार की फिल्म संघर्ष की याद दिला दी. उस फिल्म में भी तंत्र-मंत्र की बात थी और बुराड़ी की घटना में भी तंत्र-मंत्र है. अभी तक की जांच से तो यह आत्महत्या का मामला समझ आ रहा है, लेकिन सोचने की बात ये है कि आखिर किसी ने तो इन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया होगा. आखिर 11 लोगों का परिवार अपनी ही जान लेने को आमादा क्यों हो जाएगा? क्यों पूरा परिवार मौत के बाद की जिंदगी जीने के लिए उतावला हो गया? पुलिस ने इसी गुत्थी को सुलझाने के लिए अपनी जांच जारी रखी और सामने आया एक तांत्रिक बाबा का नाम. यानी जो संभावना इस तरह के अधिकतर मामलों में देखी जाती है, जैसा संघर्ष फिल्म में भी दिखाया गया, कुछ वैसा ही एक बार फिर से पाया गया है. ये तांत्रिक बाबा लोगों को गुमराह करके अमर होने का सपना देखते हैं और अमरत्व के लिए बलि चढ़ा दिए जाते हैं मासूम लोग. ऐसे तांत्रिकों को इंसान समझना भी एक भूल ही है. संघर्ष फिल्म का ये सीन लोगों की आंखें खोलने के लिए काफी है :
तांत्रिक जिंदा क्यों बच जाते हैं?
इस तरह की सामूहिक हत्याओं में अक्सर ही किसी न किसी तांत्रिक बाबा का हाथ होता है, जो खुद के फायदे के लिए दूसरे का ब्रेनवॉश करते हैं और बलि चढ़ा देते हैं. इस बार 'गदा बाबा' नाम के एक तांत्रिक का नाम सामने आ रहा है. एक बात तो माननी पड़ेगी कि इन तांत्रिकों की बातों में कोई तो जादू जरूर है कि लोग गुमराह हो जाते हैं. लेकिन एक सवाल भी है कि ये जो तांत्रिक दूसरों को मोक्ष का रास्ता दिखाते हैं, वो खुद मोक्ष क्यों नहीं पाना चाहते? जो तांत्रिक दूसरों को अपनी कुर्बानी देनी की सलाह दे डालते हैं, वह खुद क्यों नहीं मरते? तांत्रिकों की बातों में पड़कर लोग मौत के बाद की जिंदगी जीने के सपने देखने लगते हैं. अगर मौत में इतना ही मजा है तो आखिर ये तांत्रिक जिंदा कैसे बच जाते हैं? दरअसल, ये तांत्रिक दूसरों को अमर होने का सिर्फ झांसा देते हैं, जबकि उसकी आड़ में वो खुद को अमर करने के तरीके खोज रहे होते हैं.
तो इसलिए पूरा परिवार मरने के लिए तैयार हो गया
दरअसल, ललित भाटिया पहले से ही तंत्र-मंत्र से आकर्षित थे. एक दुर्घटना की वजह से ललित के बेटे की आवाज चली गई थी. बताया जाता है कि इसके बाद ललित ने कई तरह की तांत्रिक क्रियाएं कीं और एक दिन उनके बेटे की आवाज वापस आ गई. बस इसी घटना ने सभी को तंत्र-मंत्र में विश्वास दिलाने का काम किया. यहां से शुरू हुई मोक्ष की खोज. परिवार से मिले दो रजिस्टरों ने पूरा घटनाक्रम सामने ला दिया है. रजिस्टर में लिखा है कि वह मोक्ष के लिए ऐसा कर रहे हैं. उन रजिस्टरों में हर बारीक चीज लिखी गई है, जैसे कौन कहां मरेगा, कमरे में रोशनी कितनी होगी, घर का कुत्ता घटना के वक्त किधर रहेगा, मरने का तरीका क्या होगा, किसके हाथ बांधे जाएंगे... सब कुछ.
माना जा रहा है कि गदा बाबा ने ही भाटिया परिवार को आत्महत्या के लिए उकसाया होगा.
बरगद का पेड़ और भगवान को खुश करने के लिए 'बंध तपस्या'
इस केस में एक बरगद के पेड़ का भी जिक्र है. जिस गदा बाबा की तलाश में पुलिस जुटी हुई है, माना जा रहा है कि उसी ने भाटिया परिवार को आत्महत्या के लिए उकसाया है. वह बाबा बरगद के पेड़ की पूजा करता है. भाटिया परिवार से घर से मिले रजिस्टर में भी यह बात लिखी है कि मरने वालों की लाशें बरगद के पेड़ की जड़ों की तरह दिखनी चाहिए. आपको बताते चलें कि बरगद के पेड़ की जड़ें सिर्फ जमीन में ही नहीं होतीं, बल्कि पेड़ों से लटकी हुई भी रहती हैं. इसी को दिखाते हुए घर में जाल से लटक कर 10 लोगों ने आत्महत्या की है. इसे 'बंध तपस्या' का नाम दिया गया है और लिखा है कि ऐसा करने से भगवान खुश होते हैं. यह भी लिखा पाया गया है कि मानव शरीर अल्पकालिक है, आंखें और मुंह बांधकर डर को दूर किया जा सकता है.
तंत्र मंत्र के मामले पहले भी सामने आए हैं
जिस तरह बुराड़ी के मामले में एक तांत्रिक का नाम सामने आ रहा है, ठीक उसी प्रकार उज्जैन में करीब 18 साल पहले हुई एक घटना में भी तांत्रिक को ही दोषी पाया गया था. उज्जैन की घटना में परिवार के 5 लोगों में से 3 की घर से काफी दूर हत्या कर दी गई थी और बाकी दो सदस्य लापता थे. तांत्रिक को कोर्ट में उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इस घटना में किसी छुपे खजाने की वजह से यह सब हुआ था. परिवार के अमित और उसकी मां अंगूलबाला और भाई सुमित की लाश इंदौर के एक लॉज में मिली थी. जबकि सुरेश जैन और उनके सबसे छोटा बेटा नीतेश लापता हो गए थे.
इसी तरह मार्च 2013 में राजस्थान के गंगापुर में भी एक पूरे परिवार ने भगवान शिव के प्रकट ना होने पर सायनाइड में डूबे लड्डू खा लिए थे. उनका मानना था कि वह मरकर भगवान शिव से मिलेंगे. इस पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई थी. यूं तो इस घटना में किसी तांत्रिक का नाम सामने नहीं आया था, लेकिन परिवार का सदस्य कंचन सिंह, जिसके कहने पर पूरे परिवार ने हंसते-खेलते मौत को गले लगा लिया, वह खुद तंत्र-मंत्र में लगा हुआ था.
21वीं सदी में ऐसे बाबाओं से बचना कितना जरूरी है, ये बुराड़ी केस से साफ हो जाता है. ध्यान रहे, इस तरह के बाबा सिर्फ आपका इस्तेमाल करते हैं, ना कि आपका भला सोचते हैं. जन्म और मृत्यु परम सत्य है. जो पैदा हुआ है, वह मरेगा जरूर. जरा सोच कर देखिए, अगर पैदा होने वाले लोग मरेंगे नहीं तो प्रकृति का संतुलन नहीं बिगड़ जाएगा? अंत में आपको सलाह यही है कि ऐसे बाबाओं की बातों में न आएं. जीवन बेहद अनमोल है, इसे अमरत्व पाने के चक्कर में बर्बाद ना करें. अपना जीवन भी अच्छे कामों में लगाएं और अपने परिवार वालों को भी अच्छे-बुरे की पहचान कराएं, ताकि कोई इस तरह से बाबाओं के जाल में ना फंसे.
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