देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI की जांच आखिर हुई कैसे?
सीबीआई रिश्वत मामले में एजेंसी के दो सबसे बड़े अफसर आपस में ही एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. करोड़ों की रिश्वत के इस मामले ने पूरे देश को हैरत में डाल दिया है.
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देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी यानी सीबीआई और देश की सबसे बड़ी जासूसी एजेंसी यानी RAW अब सवालों के घेरे में है. सीबीआई के दो सबसे बड़े ऑफिसर एक दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं. ये युद्ध चल रहा है सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच. खुद सीबीआई की तरफ से ही अब राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत लेने के मामले में एफआईआर दर्ज कर दी है. अस्थाना पर मीट कारोबारी मोइन कुरेशी से 3 करोड़ रुपए रिश्वत लेने का आरोप है. सीबीआई की तरफ से जो एफआईआर दर्ज की गई है उसमें राकेश अस्थाना, सीबीआई डेप्युटी सुप्रीटेंडेंट देवेंद्र कुमार, बिजनेसमैन सतीश सना, बिचौलिए और बिजनेसमैन मनोज प्रसाद के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं.
एक तरफ तो एफआईआर दर्ज की गई है दूसरी तरफ अस्थाना ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा के खिलाफ ही रिश्वत का आरोप लगाया है. आलोक वर्मा के खिलाफ करीब दर्जन भर आरोपों का पूरा पुलिंदा राकेश अस्थाना ने तैयार कर रखा है.
सीबीआई ने 22 अक्टूबर को डिप्टी सुप्रीटेंडेंट देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार भी कर लिया. अभी तक राकेश अस्थाना ने सिर्फ यही बयान दिया था कि उनके खिलाफ लग रहे आरोप झूठे हैं और सीबीआई डायरेक्ट आलोक वर्मा असल में दोषी हैं. देवेंद्र को बिजनेसमैन सतीश सना के स्टेटमेंट लेते समय धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. सतीश सना भी मोइन कुरेशी केस में अहम किरदार थे. सतीश सना ने ही सीबीआई को रिश्वत देने की बात कबूली है.
कहां से शुरू हुआ था मामला..
सीबीआई का ये मामला एक महीने पहले जगजाहिर हुआ था जांच एजेंसी की तरफ से एक नोटिस सामने आया था जिसमें सीबीआई ने कहा था कि उसके स्पेशल डायरेक्टर रोल को निभा रहे अस्थाना के खिलाफ जांच हो रही है और कम से कम आधा दर्जन आरोप लगे हैं. इसके बाद ये बात भी सामने आई थी कि अस्थाना ने कैबिनेट सेक्रेटरी को एक टॉप सीक्रेट शिकायत की थी जिसमें उतने ही मामलों में डायरेक्टर आलोक वर्मा के फंसे होने की बात थी और पहली बार तभी मीट एक्पोर्टर मोइन कुरेशी का नाम सामने आया था. इसके अलावा, दो बिजनेसमैन जिन्होंने सेंट किट्स देश की नागरिकता ली है उनके और हरियाणा के एक भूमि अधिग्रहण मामले में रिश्वत के आरोप लगे थे.
सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना (बाएं), सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा (दाएं)
सीबीआई के अधिकारियों में आलोक वर्मा नंबर 1 की पोजीशन पर हैं तो अस्थाना नंबर 2 की.
RAW पर भी सवाल..
सीबीआई की एफआईआर में सिर्फ राकेश अस्थाना का नाम नहीं है बल्कि भारतीय एक्सटर्नल इंटेलिजेंस एजेंसी RAW के स्पेशल डायरेक्टर सामंत कुमार गोयल का भी नाम है. हालांकि, उनका नाम किसी आरोपी के तौर पर स्पष्ट नहीं है, लेकिन अब इसके बाद रॉ पर भी सवाल उठने लगे हैं.
कैसे हुई जांच..
सीबीआई के दो सबसे बड़े अधिकारियों पर अगर आरोप लग रहे हैं तो यकीनन जांच भी बहुत बड़े लेवल पर हुई होगी. सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने टेलिफोन की बातों की रिपोर्डिंग, वॉट्सएप मैसेज, पैसे भेजने और लेने के स्टेटमेंट कि जांच की थी. इसके बाद ही मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत मामला दर्ज हुआ. सीबीआई की तरफ से किसी भी केस की जांच बहुत बारीकी से होती है और एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम भी रहती है जो केस के हर पहलू को परखती है. बड़ी बात ये है कि राजेश अस्थाना इस केस की जांच के लिए बनाई गई सीबीआई की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के भी हेड थे. अब वो अपने खिलाफ हुई शिकायत तो झूठ बता रहे हैं. सीबीआई पूरी तरह से आलोक वर्मा के साथ है.
सीबीआई ने सिर्फ इतने ही सबूतों के साथ अस्थाना के खिलाफ केस नहीं किया. बल्कि जांच कर दुबई स्थित एक बिजनेसमैन मनोज प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद अस्थाना पर ये केस हुआ है. मनोज प्रसाद ने पूरे केस में बिचौलिए का काम किया था. इस पूरे मामले की शिकायत सबसे पहले हैदराबाद स्थित बिजनेसमैन सतीश सना ने आरोप लगाया था. सतीश सना ने मोइन कुरेशी के केस में सबसे पहले जानकारी दी थी. ये जानकारी 2017 में दी गई थी उस समय अपने स्टेटमेंट में सतीश सना ने कहा था कि कुरेशी मामले को दबाने के लिए 10 महीने के अंदर तीन करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी. सतीश सना ने 4 अक्टूबर 2018 को ही मजिस्ट्रेट के आगे अपना बयान दिया था जिसमें अस्थाना, मनोज प्रसाद और प्रसाद के एक रिश्तेदार सोमेश श्रीवास्तव का नाम था और सारी जानकारी दी थी कि कैसे 3 करोड़ रुपए रिश्वत के तौर पर दिए गए.
सीबीआई कई सालों से मोइन कुरेशी मामले में जुटी हुई थी
सतीश की जानकारी के बाद ही मनोज प्रसाद के खिलाफ केस दर्ज हुआ और प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद राकेश अस्थाना के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले. ये सारी जानकारी सीबीआई के सूत्रों के अनुसार है. अब राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा के खिलाफ आरोप लगाया है कि वो खुद 2 करोड़ रुपए लेकर बैठे हैं. सना ने कुल 5 करोड़ रिश्वत का मामला कबूला है तो ये कहना कि दोनों में से कौन सा पक्ष सही है बिलकुल मुमकिन नहीं.
मोइन कुरेशी मामले में ये पहले डायरेक्टर नहीं हैं जिनपर आरोप लग रहा है. बल्कि आपको जानकर हैरानी होगी कि 2014 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मोइन कुरेशी के यहां छापामारी की थी और उसके ब्लैकबेरी मैसेंजर से पूर्व सीबीआई डायरेक्टर एपी सिंह को मैसेज भेजे गए थे जिसके बाद एपी सिंह ने इस्तीफा दिया था.
कैसे मिलता है कोई केस सीबीआई को?
सीबीआई देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी है और कोई भी केस ऐसे ही सीबीआई को नहीं मिल जाता. सीबीआई के पास हर तरह का केस होता है, लेकिन शुरुआती दौर में ये नहीं सौंपा जाता. जैसे अगर किसी कत्ल की जांच करनी है तो ये पहले लोकल पुलिस करती है.
सीबीआई को चार तरह से केस दिया जा सकता है. पहला केंद्र सरकार द्वारा केस निर्धारित किया जाए तो, दूसरा हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट सीबीआई को जांच के आदेश दे तो, तीसरा राज्य सरकार केंद्र सरकार से किसी केस की सिफारिश करे तो, और चौथा किसी केस को लेकर पब्लिक की डिमांड हो (इसे भी सरकार को ही निर्धारित करना होगा) तो.
कुल मिलाकर सीबीआई की जांच और इसके केस दोनों ही खास होते हैं और अब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी पर इस तरह से सवाल खड़े होना यकीनन लोगों के भरोसे को भी चुनौती दे रहा है.
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