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Updated: 20 मई, 2016 04:22 PM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
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इन दिनों अंकित श्रीवास्तव नाम के एक शख्स का फेसबुक पोस्ट वायरल है. वह संभवत: सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन 2015 के नतीजे आने के बाद इतने हताश हैं कि अपनी पोस्ट में किताबों को आग लगाने और देश छोड़ने की बात तक कर रहे हैं.

मीडिया में आई कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार अंकित ने यह पोस्ट 17 मई को लिखा, जिस दिन यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षार्थियों के नंबर सार्वजनिक किए. बता दें कि नतीजों के मुताबिक दि्ल्ली की 22 वर्षीय टीना डाबी टॉपर रही हैं. बहरहाल, अंकित ने जो पोस्ट किया है, उसे 8000 से ज्यादा बार शेयर और 5000 से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. हमने भी अंकित के उस पोस्ट को देखने की कोशिश की लेकिन शायद उनका फेसबुक पेज फिलहाल डिएक्टिवेट है.

अंकित ने अपने पोस्ट में यह कहने की कोशिश की है कि कैसे टीना डाबी को दलित वर्ग का होने का फायदा मिला और वह चूक गए. लोगों ने धड़ल्ले से इस पोस्ट को शेयर किया है, बिना ये सोचे कि वे जो पढ़ रहे हैं वो न्यायसंगत भी है कि नहीं. वैसे भी, भावनाओं में बह जाना और भावनाओं का आहत होना हमारे देश में बहुत आम है. पहले आप पढ़िए अंकित के उस पोस्ट का स्क्रिनशॉट...

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ये रही अंकित और टीना के प्रीलिम्स के मार्कशीट की कॉपी..

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अब बात मुद्दे की और कुछ तीखे सवाल भी. ये अंकित के लिए है और उन जैसे हजारों छात्रों के लिए भी जो उनका पोस्ट पढ़ने के बाद भावनाओं में बहे जा रहे हैं.

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- अंकित, सबसे पहले तो ये कि आपने बहुत ही भ्रामक सूचना पोस्ट की है. इसमें कहीं भी रचनात्मकता और गंभीरता नहीं है बल्कि एक खीझ और निराशा है. सिर्फ इसलिए कि आप पहली बाधा भी पार नहीं कर सके. ये उन लोगों में भी निराशा और नकारात्मक सोच ही पैदा करेगा, जो अगली बार परीक्षा देने जा रहे हैं.

- अंकित की तरह हमें अक्षय मिश्रा नाम के एक शख्स की मार्कशीट की कॉपी भी एक वेबसाइट पर मिली. उनकी भी शिकायत है कि 254 अंकों के बावजूद वे प्रीलिम्स से आगे नहीं जा सके. जबकि टीना के केवल 195.39 नंबर हैं.

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- अब अंकित, अक्षय और टीना..इन तीनों के नंबर देखिए. अंकित के पेपर-1 में 103.34 नंबर हैं जबकि अक्षय के 100. टीना के पेपर-1 में 96.66 नंबर है. विवाद तो इसी पर है न कि दोनों के ज्यादा नंबर होने के बावजूद टीना आगे कैसे बढ़ गई. तो जनाब हर रेस की एक फिनिशिंग लाइन होती है. उसे तो पार करना पड़ेगा. यही किसी भी रेस की शर्त होती है और रेस शुरू होने से पहले यह हर एथलीट को पता होता है. टीना के लिए जो लाइन निर्धारित थी, उसे उसने पार किया. आप नहीं कर सके. इसमें गलती टीना की नहीं है. अंकित और अक्षय को क्वालीफाई करने के लिए पेपर-1 में कम से कम 107 नंबर लाने थे. जबकि टीना के लिए 94 अंक जरूरी थे, वो उन्होंने हासिल किया.

- फिर भी नंबरों से इतनी परेशानी है तो टीना के पूरे अंक देख लीजिए. उन्होंने कुल 2025 में 1063 अंक हासिल किए मतलब 52.49 प्रतिशत. अंकित, अक्षय और उनकी तरह सोचने वाले वे तमाम लोग ये क्यों भूल जाते हैं कि टीना ने टॉप किया है. मतलब उसने उन सब लोगों को पछाड़ा है जो प्रीलिम्स में उससे ज्यादा नंबर ले आए होंगे. वैसे भी सिविल सर्विसेस में मेरिट मेंस और इंटरव्यू के आधार पर ही तय होता है. प्रीलिम्स तो केवल क्वालि‍फिकेशन का आधार होता है.

- अगर अंकित के तर्क को ले तो टीना तो पर्सनैलिटी टेस्ट में तो बहुत पीछे थी. 275 अंकों के पर्सनैलिटी टेस्ट में टीना को केवल 195 नंबर मिले. 59 उम्मीदवार उनसे आगे रहे. लेकिन ओवरऑल में बाजी टीना ने मार ली. तो क्या ये सवाल किया जाए कि टीन टॉप कैसे हो गईं. तीन चरणों में होने वाले इस परीक्षा का हर चरण बेहद कठिन होता है. अंकित तो पहले ही दौड़ से बाहर हो गए थे. अंकित ने कम से कम क्वालिफाई किया होता और फिर कुछ ऊंच-नीच हुई होती तो बात समझ में भी आती.

- वैसे, सिविल सर्विसेस के इस बार के कट ऑफ लिस्ट को देखिए तो मालूम होगा कि आरक्षण का फायदा हासिल करने वालों और सामान्य वर्गों के उम्मीदवारों में ज्यादा अंतर नहीं था. जनरल वर्ग के लिए इस बार कट ऑफ लिस्ट 43.3 प्रतिशत जबकि एससी (SC) के लिए 40 फीसदी था. वहीं एसटी (ST) के लिए ये 39.55 जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 41.67 फीसदी था. मतलब एड़ियां दोनों को घिसनी है.

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कोई दो राय नहीं कि आरक्षण इस देश का एक सच है. इसमें भी कोई शक नहीं कि हर वर्ष कई परिक्षाओं में सामान्‍य वर्ग से आने वाले कुछ प्रतिभावान छात्रों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन छुआछूत, जातिवाद और सदियों तक अमानवीय व्यवहार झेलते आए दलित भी इसी देश का सच हैं.

इसलिए बेहतर है कि अपनी कमजोरी और असफलता को हम आरक्षण की चादर न ओढ़ा दे. टीना ने जो किया वो तारीफ के काबिल है. इस पर तो कोई सवाल उठना ही नहीं चाहिए. उनकी लगन और मेहनत निश्चित तौर पर बहुत ऊंचे दर्जे की रही होगी. अच्छा होगा कि उससे प्रेरणा हासिल की जाए. हो सकता है कि अंकित भविष्य में सिविल सेवा में अपना योगदान दे. इस लिहाज से तो उन्हें और उनके जैसे हजारों लोगों को ऐसी सोच को तो जगह भी नहीं देनी चाहिए. ये सोच बहुत घातक है. आखिर में...अंकित आपको दिल से शुभकामानाएं इस साल के लिए..

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लेखक

विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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