मोदी राज में कैसे टॉप कर गए दलित और मुस्लिम छात्र?
जातिवाद और सांप्रदायिकता से नाता तोड़िए. ...और साथ मिल-जुलकर इस देश को जोड़िए. देश में ही सभी हैं- क्या हिन्दू, क्या मुसलमान, क्या अगड़े, क्या पिछड़े, क्या दलित, क्या आदिवासी. इसलिए देश की तरक्की में ही सबकी तरक्की है.
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मीडिया से पता चला कि इस बार सिविल सेवा परीक्षा में टॉपर दलित है और सेकेंड टॉपर मुसलमान. इससे एक बात तो साफ़ है कि हमारे लोकतंत्र ने धीरे-धीरे सबको बराबरी से आगे बढ़ने के मौके मुहैया कराए हैं और अब चाहे आप किसी भी जाति-धर्म के हों, अगर आपमें दम है और लक्ष्य के प्रति समर्पण है, तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता.
राजनीतिक रूप से इसे इस तरह से भी देखा जा सकता है कि मोदी राज में भी दलित टॉप कर सकता है और मुसलमान सेकेंड टॉपर हो सकता है, जबकि विरोधियों का इस सरकार पर सबसे बड़ा आरोप ही यही है कि जबसे मोदी सत्ता में आए हैं, दलितों-अल्पसंख्यकों के लिए आपातकाल आ गया है.
रिजल्ट आने के बाद प्रतिष्ठित कवि लक्ष्मी शंकर वाजपेयी का भी एक बयान पढ़ा- "मेरे लिए बहुत खुशी औऱ गर्व की बात है कि इस वर्ष की आइएएस टॉपर टीना जब मॉक इंटरव्यू के लिए आई, तो उस बोर्ड का अध्यक्ष मैं था. बहुत शानदार इंटरव्यू था उसका. उसके पास एक विज़न है और समाज बदलने का जज़्बा भी" यद्यपि वाजपेयी जी जैसे लोग जाति-धर्म से ऊपर हैं, फिर भी आज की सस्ती राजनीति के हिसाब से अगर इस वाकये की व्याख्या करें, तो एक ब्राह्मण (माफी सहित) की अध्यक्षता वाले इंटरव्यू बोर्ड के सामने एक दलित छात्रा आई, फिर भी उसके साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ, बल्कि वह ब्राह्मण अध्यक्ष (माफी सहित) उसकी मेधा से न सिर्फ़ प्रभावित हुआ, बल्कि उसके चयन पर गर्व भी प्रकट कर रहा है.
परिवार के साथ आईएएस टॉपर टीना डाबी |
यानी ऐसा कहा जा सकता है कि दलितों-अल्पसंख्यकों के दमन के मुद्दे अब सियासी स्वार्थ सिद्धि के लिए अधिक उछाले जाते हैं और हकीकत से इनका लेना-देना लगातार कम हुआ है. देश बदल रहा है. समाज बदल रहा है. लोगों की सोच बदल रही है. मुझे ख़ुशी होती है, जब देखता हूं कि आज मुसलमानों के हक की लड़ाई लड़ने वालों में हिन्दुओं की और दलितों-पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ने वालों में अगड़ों की बहुलता है.
इसीलिए मैं बार-बार कहता हूं कि नफ़रत और नकारात्मकता छोड़िए. जातिवाद और सांप्रदायिकता से नाता तोड़िए. ...और साथ मिल-जुलकर इस देश को जोड़िए. देश में ही सभी हैं- क्या हिन्दू, क्या मुसलमान, क्या अगड़े, क्या पिछड़े, क्या दलित, क्या आदिवासी. इसलिए देश की तरक्की में ही सबकी तरक्की है.
आइए, मिल-जुलकर हम जातिवादी और सांप्रदायिक राजनीति के सत्यानाश की बुनियाद डालें, न कि जातिवादी और सांप्रदायिक सोच रखने वालों से हाथ मिला लें.
हमें न मुस्लिम तुष्टीकरण चाहिए, न हिन्दू तुष्टीकरण. हमें सबका पुष्टीकरण चाहिए. हमें न दलित-पिछड़ों से भेदभाव का प्रलाप चाहिए, न आरक्षण पर अगड़ों का विलाप चाहिए.
हमें सिर्फ़ देश की तरक्की चाहिए. सभी जातियों और धर्मों के बीच रिश्तों की बुनियाद पक्की चाहिए. जय हिन्द.
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